समाज में लिंग आधारित रूढ़िवादिता और लैंगिक आधार पर भूमिकाओं के संदर्भ में आयोजित कार्यशाला
० संवाददाता द्वारा ० जयपुर। यूएनएफपीए तथा हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय (एचजेयू) के संयुक्त तत्वावधान एवं लोक संवाद संस्थान के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हुआ. इस अवसर पर पॉपुलेशन फर्स्ट की निदेशक डॉ. एएल शारदा ने कहा कि महिलाओं के प्रति लैंगिक संवेदना और समानता के बारे में धारणाएँ बना कर पुरुष वर्ग के समाज में नेतृत्व करने की प्रकृति चिंताजनक है. इससे महिलाओं के मन पर भी गलत असर पड़ता है और वो खुद को कमतर समझने लगती हैं. उदाहरण के तौर पर लड़की हूँ, कार ठीक से नहीं चला सकती, या लड़की गाड़ी चला रही है, दूर रहो नहीं तो टक्कर मार देगी, ड्रायवर की नौकरी लड़कियों के लिए नहीं होती. उन्होंने कहा कि अबला, बेचारी जैसे शब्दों और महिलाओं के शरीर से जुड़े अपशब्दों (गालियों) पर रोक लगाना जरूरी है. साथ ही जेंडर अवधारणाएं कैसे बनती हैं और उन्हें कैसे तोड़ा जाए, इस बारे में भी छात्रों को समझाया. डॉ. एएल शारदा ने चार महीने तक चलने वाले प्रोजेक्ट के लिए चयनित पत्रकारिता के 35 छात्रों के साथ लैंगिक संवेदना से संबंधित सामाजिक मानदंडों, भाषा, मूल्यों औ...