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स्कून्यूज़ ग्लोबल एजुकेटर्स फेस्ट' में शरीक हुए 3000 स्कूल लीडर्स

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० आशा पटेल ०  जयपुर, । हमारा देश अप्रयुक्त क्षमता और संसाधनों से समृद्ध है, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में। शिक्षा की गुणवत्ता को सही मायने में बढ़ाने के लिए, हमें न केवल बड़े संस्थानों बल्कि छोटे स्कूलों को भी बदलने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण में निवेश करना महत्वपूर्ण है, जिससे उन्हें पारंपरिक, थियोरी-आधारित शिक्षण से अधिक प्रैक्टिकल, क्रियाशील एप्रोच अपनाने में सक्षम बनाया जा सके।  आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस की वृद्धि के साथ, भविष्य के बारे में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। यह आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने और उनमें सफल होने के लिए तैयार करें। यह बात काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन के सीईओ एवं सचिव, डॉ. जोसेफ इमैनुएल ने कही। वह राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में 9 से 10 अगस्त तक आयोजित स्कून्यूज़ ग्लोबल एजुकेटर्स फेस्ट के छठे सीजन के उद्घाटन सत्र में संबोधित कर रहे थे। इस सीजन फेस्ट का आयोजन 'कम्पेन्टेनसीस बियॉन्ड कंटेंट: अलाइनिंग टूडेज करिक्यूलम विथ टुमॉरोज अननोन' थीम पर किया गया । स्कून्यूज के संस...

इंपॉर्टेंस ऑफ रिटायरमेंट प्लानिंग रोल ऑफ एनपीएस' पर हुआ इंटरेक्टिव सेशन

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० आशा पटेल ०  जयपुर। पेंशन का लाभ पहले केवल सरकारी कर्मचारियों को ही मिलता था। लेकिन, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की शुरुआत के बाद अब यह लाभ सभी को मिल रहा है। भारत में जहां वर्कफोर्स की संख्या लगभग 468 मिलियन है, वहीं 90 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभों तक वैधानिक पहुंच भी उपलब्ध नहीं है। इस संदर्भ में, कर्मचारियों के जीवनसाथी और बच्चों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनपीएस एक महत्वपूर्ण साधन बन जाता है।  यह बात पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के चेयरपर्सन, डॉ. दीपक मोहंती ने कही। वे जयपुर में फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल द्वारा पीएफआरडीए के सहयोग से आयोजित कॉर्पोरेट्स के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) पर इंटरैक्टिव सेशन में संबोधित कर रहे थे। डॉ. मोहंती ने कहा बाजार में रिटर्न काफी अनुकूल है, क्योंकि एनपीएस एक रेगुलेटेड, कम लागत वाला प्रोडक्ट है। भारत की विकसित होती अर्थव्यवस्था और बढ़ती उम्र की आबादी के साथ, पेंशन की सुविधा होना एक समझदारी भरा फैसला है, खासकर तब जब हमारी आय से कई जरूरतें पूरी करनी हों...

फिलिस्तीन में अमानवीय जनसंहार के खिलाफ़ शहीद स्मारक पर हुआ विरोध प्रदर्शन

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० आशा पटेल ०  जयपुर। दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान (दलित- आदिवासी- अल्पसंख्यक- महिला) की ओर से जयपुर के गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहे पर स्थित शहीद स्मारक पर विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने सैकड़ों की संख्या में हिस्सा लिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान उपस्थित जनसमुदाय ने फिलिस्तीन की जनता के पक्ष में और अमेरिकन साम्राज्यवाद के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। विरोध प्रदर्शन के बाद आमसभा का भी आयोजन किया गया। आम सभा को सीपीएम के जिला सचिव डॉ. संजय"माधव", समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, जमाते इस्लामी हिन्द के मोहम्मद नाजिमुद्दीन , राजस्थान विश्वविद्यालय के डा.विशाल विक्रम, एप्सो की सुनीता चतुर्वेदी, एटक के प्रदेश अध्यक्ष मांगी लाल यादव, सीटू के राज्य सचिव हरेंदर सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कृष्ण शर्मा, जल धारा अभियान से उपेंद्र कुमार, डीवाईएफआई के जिला संयोजक रितांश आजाद , एसएफआई के जिला सचिव विक्रम नेहरा, महिला नेत्री सबीहा परवीन, रुबीना अबरार आदि ने संबोधित किया। आम सभा को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने फिलिस्ती...

साहित्य संसार के अनुराग से पैदा होता है- अशोक वाजपेयी

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक मनोहर श्याम जोशी की जयंती की पूर्व संध्या पर यह आयोजन जानकी पुल ट्रस्ट की ओर से किया गया था। इस अवसर पर साहित्य के हस्तक्षेप विषय पर जाने माने लेखक विचारक अशोक वाजपेयी ने व्याख्यान दिया। बोलते हुए अशोक वाजपेयी ने कहा कि साहित्य में तरह तरह के हस्तक्षेप बढ़ते जा रहे। उन्होंने मनोहर श्याम जोशी की एक कविता का हवाला दिया जिसमें हनुमान का नाम आया है।  उन्होंने कहा कि उन्होंने आज के समय में यह कविता लिखी होती तो निश्चित रूप से उनके यहाँ सरकार की ओर से छापा पड़ा होता। उन्होंने कहा कि अब धर्म राजनीति और मीडिया साहित्य के सहचर नहीं रहे बल्कि वे सब झूठ हिंसा नफरत कदाचार और सत्ता के चाटुकार हो गए हैं जबकि साहित्य अपने समय में झूठ से लड़ रहा है और वह अकेला और निहत्था भी हो गया है पर उसने सच का साथ नहीं छोड़ा है। अशोक वाजपेयी ने आगे कहा कि किस तरह धार्मिक और राजनीतिक सत्ताएं संस्थाएँ शिक्षा व्यस्था मीडिया और सोशल मीडिया बाजार सभी साहित्य में हस्तक्षेप कर रह...

अमेरिका की कांसुल जनरल ने मिल्क मंत्रा का दौरा किया

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० योगेश भट्ट ०  भुवनेश्वर : अमेरिका की कांसुल जनरल जेनिफर लार्सन, अपनी टीम के साथ मिल्क मंत्रा मुख्यालय का दौरा किया। उन्होंने मिल्क मंत्रा के संस्थापकों श्रीकुमार मिश्र और रश्मा मिश्र से मिलकर ओडिशा में मिल्क मंत्रा की स्थापना की उनकी अनूठी उद्यमिता यात्रा के बारे में जाना। यह उल्लेखनीय है कि मिल्क मंत्रा ने 2020 में अमेरिका के डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन से 10 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, जिसका उपयोग पुरी में एक नया संयंत्र बनाने के लिए किया जा रहा है।  यह संयंत्र पूरा होने के करीब है और मिल्क मंत्रा के प्रभाव को और बढ़ाएगा, जिसमें रोजगार सृजन से लेकर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और मिल्की मू के उत्पादों की श्रृंखला का विस्तार शामिल है। इस बीच, संस्थापक श्रीकुमार मिश्र ने 'आर्ना' नामक अपने अगले उद्यम की शुरुआत की है, जो एआई + डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस क्षेत्र में काम करेगा, जबकि वे मिल्क मंत्रा के बोर्ड में बने रहेंगे।  कंपनी का प्रबंधन सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक रश्मा मिश्र और एक पेशेवर प्रबंधन टीम द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कैलाश गहिर CEO और प्रदीप्ता जे...

Delhi में BSNL सर्विस शुरु,महंगे रीचार्ज से छुटकारा // BSNL SERVICES STA...

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फ्लो के 'हैंडलूम एंड टेक्सटाइल फिएस्टा' में अभिनेत्री चित्रांगदा ने बांधा समां

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० आशा पटेल ०  जयपुर | गुलाबी नगर में एक शाम जहाँ ' हैंडलूम एंड टेक्सटाइल फिएस्टा' अपनी पूरी भव्यता के साथ छाया रहा । फिक्की फ्लो जयपुर चैप्टर चेयरपर्सन रघुश्री पोद्दार के नेतृत्व में आयोजित यह कार्यक्रम शानदार रहा , जिसमें राजस्थान की समृद्ध टेक्सटाइल विरासत पर सबसे आकर्षक तरीके से चर्चा की गई । मुख्य आकर्षण थी तेजस्वी और प्रतिभाशाली चित्रांगदा सिंह की विशेष उपस्थिति , जिन्होंने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। चेयरपर्सन रघुश्री पोद्दार ने बताया की इस कार्यक्रम में रैंप वॉक का आयोजन भी किया गया, जिसमें राजस्थान के बेहतरीन हस्तनिर्मित वस्त्रों का प्रदर्शन किया गया। मॉडल्स उत्कृष्ट हस्त निर्मित वस्त्रों से सुसज्जित होकर रनवे पर चली , प्रत्येक परिधान हमारे स्थानीय कारीगरों की अविश्वसनीय कलात्मकता का प्रमाण था। जटिल बुनाई, जीवंत प्रिंट और पारंपरिक रूपांकनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया जिसने राजस्थान की कपड़ा विरासत की शाश्वत सुंदरता को दर्शकों के समक्ष उजागर किया। उपस्थित महिलाओं ने अपनी सबसे खूबसूरत पोशाकें पहन रखी थीं, जिससे कार्यक्रम की शोभा बढ़ रही थी। कार्यक्रम का माहौल पीढ़ियों ...