अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना राजनीतिक मुहावरा बनता जा रहा है
पुरातन काल से राजा महाराजाओं की सच्ची परीक्षा गुण ज्ञान प्रजा पालन की चर्चाएं आज भी इतिहास के गर्भ में अंकित हैं। अशोक महान तो जन जीवन में इतने समाविष्ट हुए कि बर्तमान में अशोक चक्र के विना भारतीय संस्कृति को अधूरा समझा जायेगा। उनका पुरातनकाल क्या था उसको बर्तमान नहीं जानना चाहता। जनता-जनार्दन की चाहत सर्बोपरि होती है।
आज का जन-मानस राजनेताओं के गुण एवं अवगुणों विशेषताओं का मूल्यांकन भी कर रहा है। माननीय मोदी जी का दूसरा कार्यकाल इसी परीक्षा का प्रतिफल है। भविष्य निर्धारण करेगा वे जनता की भावनाओं की परीक्षा में आगे कितने सफल होंगे। उनका भावी इतिहास जनता निर्धारित करेगी।
पुरानी कहावत है जो जैसा बोयेगा , वैसे फल पायेगा।जनता रूपी भूमि में राजनीति फलती फूलती है। बैठकों का दौर आरम्भ हो गया है। आलोचना और आलोचकों की कमी नहीं है हम और तुम में सदैव अन्तर बना रहा। अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना राजनीतिक मुहावरा बनता जा रहा है।सच् धरातल पर आता है राजा सदैव वीर और मंत्री चतुर होना किसी भी राज्य का विस्तार, विकास का द्योतक माना जाता है विक्रमादित्य का चाणक्य विश्व विजेता बनाता है।
दिल्ली के विकास में चाणक्य का अभाव रहा है पार्टी का विखराव अपने आप में अपनी कमी गिनना दूसरों को असफलता का परिचय देता रहा है।जो भ्रष्टाचार की संज्ञा देने में भी नहीं चूका, उपेक्षा ही समझी गई।
परिवार की एकता बंद मुट्ठी की तरह होती है,समाधान घर के भीतर हो अच्छा लगता है। स्वेच्छा चारिता विकास में बाधक होगी ही आम आदमी पार्टी के विधायक चरित्र का सही परिचय नहीं दे पाये। देश का निर्माण, विकास और उत्थान उसके शीर्ष नेतृत्व तथा जन मानस के उज्जवल चरित्र पर निर्भर करता है वीर्य वलंम् शौर्य वलंम् की उक्ति चरितार्थ होनी चाहिए।
हमारे प्रदेश की मन:स्थिति आने वाले समय में राजनीति को किस दिशा में ले जायेगी, कहना कठिन सा लगता है। वर्तमान में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार का कार्य काल पूर्ण होने वाला है। मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने जिस अभेद बहुमत से राजसता में आये थे, पांच बर्ष में अपनी ही पार्टी के लोगों और विधायकों के साथ उलझे रहगये। बचा खुचा समय केंद्र सरकार के साथ सामंजस्य न विठाने में असफल ही समझा जायेगा।
चुनाव आने वाले हैं आप सरकार की सफलता का परिणाम जनता के हाथ में हैं। कर्मभूमि में उत्पादित फलों का स्वाद दोनों ही प्रकार का होता है उसे जितने प्यार से पाला पोसा जाये वह अवश्य ही मधुर होगा ।
समय सदैव मानव के कृतित्व का आदर करता है। जनता-जनार्दन है देखते हैं आने वाला चुनाव किसको अपनी नजरों से कितने नंबर से उत्तीर्ण करती है.हम तो सभी को विजयी भव ही कह सकते हैं।
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