एकता का मूलमंत्र ही गणतन्त्र है
सुषमा भंडारी
एकता का मूल मंत्र जान लो
भारती होने का तन्त्र जान लो ।
देश की लिये ही जीना मरना हो
पूर्णतः स्वतन्त्र हो ये जान लो ।।
शत्रु है वो देश का जो चाहता विनाश है
ना ही उसकी धरती है ना ही आकाश है
दुश्मनों से कर रहा मुकाबला जो बिन डरे
गहरे अँधियारे का प्रकाश वो प्रकाश है।
एकता की' ढाल को सम्भाल लो
प्यार को हृदय में तुम पाल लो।
कोई कुछ बिगाड पायेगा नहीं
दिल से नफरतोंं को तुम टाल लो।।
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