मायूसी में क्या जीना रोने धोने से कुछ नहीं होगा


संत कुमार गोस्वामी


अब रोने धोने से कुछ नहीं होगा,अरे श्यामा  परेशान हताश क्यों हो,क्या बात है ? क्या बताऊं जिंदगी ही कुछ कदर गुजर बसर कर रही है कोई जानकार काफी सबक लेगा और भाई अतुल बताओ क्या बात है इतना घुमा फिरा कर बोले से अच्छा है सीधे सीधे तो बोल दो...... सुनाता  एक हफ्ता के अंदर श्याम भाई मेरे घर परिवार सब में मेरे प्रति नाराजगी भरी हुई है क्योंकि कोई भी कार्य करता हूं असफलता ही हाथ लगती है लोग लतीफे मारते चल बनते हैं। 


 दरअसल बात यह है कई दिनों से परेशानियां झेल रहा हूं अतुल किसी को धोखा नहीं दिया बस घर किसी के साथ दिया इसी का फायदा लोगों ने उठाए और अपना काम निकालते हि चल बनते आए दिन कोई-न-कोई अपना काम निकालता है मैं किसी से कोई काम के लिए बोलता हूं शिवा धोखा कि कुछ नहीं मिलता अतुल की बा बात सुन श्याम ने कहा अरे भाई दुनिया का यही दस्तूर है सेवा करने वाले को दूसरे को मदद करने वालों कभी आपके काम नहीं आएंगे यह अपेक्षा छोड़ देने मात्र से ही सुख में क्यों जिंदगी डगर जाएगी 


मायूसी पल में क्या जीना रोने धोने से कुछ नहीं होगा बस चलने की नजरिया बदलने होगी जिंदगी जीने की परिभाषा ही बदल जाएगी अफसोस अतुल आपने किसी का साथ दिया आपको लोगों की जरुरत है कोई खरा नहीं हो रहा
किसी पर भरोसा  क्या करना जिसकी जो आदत है अपने आदत से बाज नहीं आएगा से दुखी होने की क्या ज़रूरत बस तरीका बदल कर देखें की जिंदगी जीने और सरल हो सके श्याम भाई आपके बातें जीवन में उतारने लायक है पर मैं कर भी क्या सकता आखिरी पड़ाव पर जो खड़ा हूं यहां पछताने के सिवा क्या कर सकता पर अब भरोसा लोगों से छोड़कर जरुरतमंद को मदद करूंगा रोना धोना छोड़कर उचित मार्ग पर पॉजिटिव विचारों का आदान प्रदान कर अपना जो बचा समय  आनंद में रहना है


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

वाणी का डिक्टेटर – कबीर