देश में पॉलीमर करेंसी नोट जारी करने की मांग

पॉलिमर बैंकनोट्स को एक सिंथेटिक पॉलीमर से बनाया जाता है जिसको बाइक्सियाली ओरिएंटेड पॉलीप्रोपाइलीन (बीओपीपी) कहते हैं और ऐसे नोटों में कई सुरक्षा विशेषताएं शामिल होती हैं, जो पेपर नोट में उपलब्ध नहीं हैं! पॉलीमर नोट में मेटामेरिक स्याही का उपयोग होता है । पॉलिमर नोट कागज़ी नोटों की तुलना में काफी लंबे समय तक रहते है जिससे पर्यावरणीय प्रभाव सुरक्षित रहता है ! आधुनिक पॉलीमर  बैंकनोट्स को सबसे पहले रिजर्व बैंक ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया  (आरबीए) और राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (सीएसआईआरओ) और द यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न द्वारा विकसित किया गया था।



उन्हें पहली बार 1988 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में मुद्रा के रूप में जारी किया गया था। 1996 में ऑस्ट्रेलिया पूरी तरह से पॉलीमर नोटों में करेंसी के रूप में उपयोग किया जाने लगा है ! इसके साथ ही अन्य देश जो पूरी तरह से पॉलीमर नोट को करेंसी के रूप में उपयोग कर रहे हैं उनमें ब्रुनेई, कनाडा, मालदीव, मॉरीशस, निकारागुआ, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, रोमानिया, त्रिनिदाद, टोबैगो और वियतनाम जैसे देश में चलन में हैं। 


नयी दिल्ली - कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर भारत में पेपर करेंसी के स्थान पर पॉलिमर नोट शुरू करने और देश भर में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एक आक्रामक देशव्यापी अभियान शुरू करने का आग्रह किया ! कैट ने इससे पूर्व सरकार को कहा था की अनेक अज्ञात लोगों की श्रंखला में विभिन्न लोगों के संपर्क में आने के कारण से पेपर करेंसी विभिन्न प्रकार के वायरस और संक्रमणों का सबसे खतरनाक वाहक है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक खतरा भी है ! इसी पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में कैट ने उपरोक्त सुझाव प्रधानमंत्री को आज भेजे हैं !


 कैट ने कहा कि दुनिया के बड़ी संख्या में विभिन्न देशों ने आधिकारिक मुद्रा के रूप में पॉलीमर नोटों को अपनाया है और भारत सरकार के लिए यह भी सही समय है कि वह कागजी मुद्रा के स्थान पर पॉलीमर नोटों को अपनाए। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत सुरक्षित हैं और पॉलीमर  नोटों के माध्यम से वायरस या संक्रमण के जाने का जोखिम बेहद कम है तथा इसकी जालसाजी भी लगभग नगण्य है और इसमें कागज की मुद्रा की तुलना में अधिक सुरक्षा विशेषताएं हैं। पॉलिमर नोट अत्यधिक तापमान का सामना करने में भी  सक्षम हैं। इसके अलावा, अगर यह खराब हो जाए तो इसका पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है तथा पर्यावरण को कम नुकसान होता है। पोलीमर बैंक नोट कागज के नोटों की तुलना में लंबे समय तक चलते हैं, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है तथा इसकी उत्पादन और प्रतिस्थापन की लागत भी कम है !


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कोरोना वायरस से देश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा की सरकार के प्रयतनस्वरूप इसके वैश्विक प्रभाव की तुलना में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में बहुत कम है।उन्होंने कहा की  कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल भुगतान को अपनाने और भारत को कम नकदी का राष्ट्र  बनाने के लिए पहले दिए गए आवाहन के अनुसरण में यह समय है जब इस तरह की पहल को एक बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय अभियान द्वारा तेजी से पूरे देश में चलाना चाहिए जिसके जरिये अधिक से अधिक लोग डिजिटल भुगतान को अपनमायें !कैट  ने इस तरह के किसी भी अभियान के लिए सरकार को अपना समर्थन दोहराया है।


 


 


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