कोरोना वाइरस एक अभिशाप
सुषमा भंडारी
कोरोना अभिशाप है
कैसे होगा दूर।
महामारी का रूप ले
मद में है ये चूर।।
आया यह विदेश से
करना होगा दूर ।
छूने से परहेज कर
जायेगा जरूर।।
त्रसित दुनिया हो रही
कर- कर सभी उपाय।
छींकों और खांसी से
ये विषाणु फैलाय।।
स्कूल ,ऑफिस बंद हैं
कॉलेज भी खामोश।
घर तक सीमित हो गये
नहीं किसी का दोष।।
तन्त्र- मन्त्र सब क्या करें
दिन- दिन हुये हताश।
मचा रहा उत्पात ये
विचलित है उल्लास।।
हाथ जोड़ प्रणाम हो
स्वच्छ सदा हों हाथ।
संग हो सेनेटाइजर
सुख की हो प्रभात।।
रखना दूरी भीड़ से
कोरोना की मांग।
वरना कोरोना कहे
तुझको, मुझको रॉंग।।
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