बाजार दिन के हाई से 4% गिरे; बैंकिंग, ऑटो और एनर्जी बुरी तरह प्रभावित
ऐसा लग रहा था कि शेयर बाजार अपनी रैली जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सुबह की बढ़त दोपहर के भोजन के समय तक आते-आते खत्म हो गई। सेंसेक्स 31,688 के हाई से 1,300 अंक नीचे आ गया था, लेकिन बाद में संभलकर थोड़ा ऊपर 30,398 पर बंद हुआ। निफ्टी ने भी ऐसा ही किया और शुरुआती स्तर से 0.76% नीचे बंद हुआ। श्री अमर देव सिंह, हेड एडवायजरी, एंजिल ब्रोकिंग
बैंक, ऑटो और एनर्जी क्षेत्र को तगड़ा नुकसान
निफ्टी बैंक में तगड़ी गिरावट रही और कोटक बैंक 6.17% की गिरावट के साथ बंद हुआ। एचडीएफसी बैंक में भी लगभग 3.58%, बंधन बैंक 3.21% और बैंक ऑफ बड़ौदा 1.81% की गिरावट देखी गई। इंडसइंड बैंक, आरबीएल बैंक और फेडरल बैंक जैसे अन्य बैंक 1.8% से 3.3% ऊपर बंद हुए। इसके साथ-साथ एनएसई में हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर और मारुति सुजुकी क्रमशः 4.95%, 4.66% और 3.57% नुकसान के साथ बंद हुए। आरआईएल, टाटा पावर, ओएनजीसी, और पावर ग्रिड ने गोता लगाया जिससे एनर्जी शेयरों में गिरावट आई है।
एफएमसीजी रैलीः
30 अप्रैल से लॉकडाउन में ढील देने की संभावनाओं के बीच बुधवार को एफएमसीजी सेक्टर को अच्छा सपोर्ट मिला। निफ्टी में, हिंदुस्तान यूनिलीवर, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, डाबर, नेस्ले, आईटीसी और मैरिको जैसे शेयर 4% ऊपर बंद हुए। दूसरी ओर यूनाइटेड ब्रेवरीज, यूनाइटेड स्पिरिट्स, पीएंडजी और इमामी जैसी कुछ कंपनियों को भी लंच के बाद के कारोबार के दौरान दबाव में देखा गया। एसएंडपी बीएसई एफएमसीजी में 4.33% की बढ़त देखी गई, जिसमें 43 स्टॉक बढ़त और 25 गिरावट के साथ बंद हुए। दिन के कारोबार में डीएफएम फूड्स की श्रेणी में 19.99% की बढ़ोतरी हुई।
फार्मा में उतार-चढ़ाव का दौरः
निफ्टी फार्मा शुरुआती स्तर से 0.06% नीचे बंद हुआ। इंडेक्स के भीतर केवल 3 स्टॉक बढ़त के साथ बंद हुए जैसे कि डिविस लेबोरेटरी, अरबिंदो फार्मा और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी। कैडिला हेल्थ ने 4.14% नीचे आया जबकि टोरेंट फार्मा ने भी 3.32% का नुकसान उठाया।
कच्चा तेल नीचे:
निवेशक 15 अप्रैल को अपनी पोजिशन में शॉर्टिंग करते देखे गए, जिससे वायदा कारोबार में कच्चा तेल 1,519 रुपये प्रति बैरल पर आ गया। तेल की कीमतें गिरने के पीछे मुख्य कारण ओपेक+ और गैर-ओपेक देशों द्वारा घोषित उत्पादन कटौती थी। प्रस्तावित कटौती का कीमतों पर बहुत कम और बिल्कुल भी असर नहीं होने की उम्मीद थी। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने संकेत दिया कि पिछले साल के मुकाबले इस अप्रैल में तेल की वैश्विक मांग 29 मिलियन बैरल प्रतिदिन घट जाएगी। इस वजह से उत्पादन में कटौती बमुश्किल तत्काल प्रभाव से कीमतों में स्थिरता ला सकेगी।
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