भारत दुनिया का छठा ऐसा देश जो ज्यादा हॉर्स पावर का इंजन बनाने वाले देशों में शामिल हो गया
भारतीय रेलवे के लिए गर्व का पल है, क्योंकि भारत दुनिया का छठा ऐसा देश है जो स्वदेश में ही ज्यादा हॉर्स पावर का इंजन बनाने वाले देशों के प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो गया है। यही नहीं, पूरी दुनिया में पहली बार बड़ी रेल लाइन की पटरी पर उच्च हॉर्स पावर के इंजन का संचालन किया गया है। यह इंजन ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत निर्मित किया गया है। मधेपुरा फैक्ट्री गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों के साथ तैयार की गई सबसे बड़ी एकीकृत नई (ग्रीनफील्ड) यूनिट है। 120 इंजनों (लोकोमोटिव) की उत्पादन क्षमता वाला यह कारखाना 250 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
ये इंजन अत्याधुनिक आईजीबीटी आधारित, 3-फेज ड्राइव और 9000 किलोवाट (12000 हॉर्स पावर) के इलेक्ट्रिक इंजन हैं। यह इंजन 706 केएन के अधिकतम संकर्षण के लिए सक्षम है, जो 150 में 1 की ढाल में 6000 टी ट्रेन का संचालन शुरू करने और चलाने में सक्षम है। 22.5 टी (टन) के एक्सल लोड के ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इंजन (लोकोमोटिव) को 120 किमी प्रति घंटे की गति के साथ 25 टन तक उन्नत (अपग्रेड) किया जा सकता है। यह इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए कोयला रेलगाड़ियों की आगे की आवाजाही के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। इसमें लगे हुए सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इसके रणनीतिक उपयोग के लिए इंजन पर जीपीएस के जरिए करीबी नजर रखी जा सकती है। माइक्रोवेव लिंक के माध्यम से जमीन पर सर्वर के जरिए एंटीना उठाया जाता है।
बिहार स्थित मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री द्वारा निर्मित 12000 एचपी के पहले ‘मेड इन इंडिया’ इंजन को भारतीय रेलवे द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन स्टेशन से सफलतापूर्वक चलाया गया। इंजन का नाम डब्ल्यूएजी12 नंबर 60027 है। ट्रेन पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद डिवीजन से लंबी दौड़ के लिए दीनदयाल उपध्याय स्टेशन से रवाना हुई, जिसमें 118 वैगन जुड़े हुए थे और जो पं. दीनदयाल उपध्याय जंक्शन से डेहरी-ओन-सोन, गढ़वा रोड होते हुए बरवाडीह तक गई।
यह इंजन पारंपरिक ओएचई लाइनों वाली रेलवे पटरियों के साथ-साथ अत्यंत ऊंची ओएचई लाइनों वाले समर्पित माल गलियारों (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) पर भी परिचालन करने में सक्षम है। इंजन में दोनों ही तरफ वातानुकूलित ड्राइवर कैब हैं। इंजन पुनरुत्पादक ब्रेकिंग सिस्टम से लैस है जो परिचालन के दौरान पर्याप्त ऊर्जा बचत सुनिश्चित करता है। ये उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन मालवाहक ट्रेनों की औसत गति को बढ़ाकर अत्यधिक इस्तेमाल वाली पटरियों पर भीड़ कम करने में मदद करेंगे।
मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (एमईएलपीएल) 11 वर्षों में 800 अत्याधुनिक 12000 एचपी के इलेक्ट्रिक फ्रेट लोकोमोटिव का निर्माण करेगी। दुनिया में सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजनों में से एक होने की बदौलत यह मालगाड़ियों की गति बढ़ा देगा और इसके साथ ही देश भर में पहले से कहीं ज्यादा तेज, सुरक्षित और भारी मालगाड़ियों की आवाजाही सुनिश्चित करेगा, जिससे यातायात में भीड़-भाड़ कम होगी। यह पुनरुत्पादक ब्रेकिंग के माध्यम से ऊर्जा की खपत में काफी बचत भी करेगा। परियोजना के तहत बिहार के मधेपुरा में प्रति वर्ष 120 इंजनों के निर्माण की क्षमता वाले कारखाने के साथ टाउनशिप भी स्थापित की गई है। यह परियोजना देश में 10,000 से भी अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन करेगी। कंपनी द्वारा परियोजना में पहले ही 2000 करोड़ रुपये से भी अधिक का निवेश किया जा चुका है।
इस कारखाने के साथ मधेपुरा में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी इस परियोजना द्वारा नई गति दी जा रही है। सीएसआर पहल के तहत मधेपुरा में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अनेक कौशल केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने देश में भारी माल के ढुलाई परिदृश्य में बदलाव लाने के लिए भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश परियोजना के हिस्से के रूप में मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (एमईएलपीएल) के साथ खरीद-सह-रखरखाव समझौता किया है। यह भारतीय रेलवे की ‘मेक इन इंडिया’ पहल है।
यह परियोजना वर्ष 2018 में शुरू हुई और भारत के प्रधानमंत्री ने 10 अप्रैल 2018 को इस परियोजना का उद्घाटन किया। इंजन के प्रारूप की डिलीवरी मार्च 2018 में की गई थी। परीक्षण के परिणामस्वरूप उभरे डिजाइन से जुड़े मुद्दों को सुलझाते हुए बोगियों सहित पूरे इंजन को फिर से डिजाइन किया गया है। इंजन के नए डिजाइन का निरीक्षण आरडीएसओ ने मधेपुरा कारखाने में किया और 16 नवंबर 2019 को कारखाने से इसकी रवानगी के लिए अपनी मंजूरी दे दी। इसके अलावा, आरडीएसओ ने 132 किमी प्रति घंटे तक की विभिन्न गति पर दोलन या कंपन परीक्षणों का संचालन किया है और इंजन इन कंपन परीक्षणों में सफल साबित हुआ है। इस रेल इंजन ने 18 मई, 2020 को दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन से शिवपुर के बीच अपनी पहली वाणिज्यिक दौड़ लगाई है। पूरे इंजन के डिजाइन कार्य को चार से छह माह के रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया और शुरुआती दिक्कतों तथा कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बावजूद भारतीय रेलवे की इस उत्कृष्ट पहल से जुड़ा उत्साह कम नहीं हुआ और सभी बाधाओं को पार करते हुए मधेपुरा फैक्ट्री में इस परियोजना पर काम फिर से शुरू करने के लिए बिहार सरकार से अनुमति पाने में आखिरकार सफलता मिल ही गई।
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