कविता // संदेश राजधर्म का,जन जन तक पहुंचा दो
विजय सिंह बिष्ट
संदेश राजधर्म का,जन जन तक पहुंचा दो
मानवता का गला घोंटते,
संस्कारों को फांसी दो।
बलात्कार अपराध करते,
हत्यारों को फांसी दो।
दुराचार और अनाचार के,
गलियारों को फांसी दो।
काले धन से सेठ बने जो,
साहुकारों को फांसी दो।
भ्रष्टाचारी सत्ताधारी सरकारों को,
चुन चुन कर फांसी दो।
भोली भाली जनता से छल करें,
हाकिमों को फांसी दो।
मद के अंधे जो अधिकारी,
अफसरों को फांसी दो।
स्वाभिमान यदि छीने जो,
उन उपकारों को फांसी दो।
अस्मत का जो सौदा करते,
बाजारों को फांसी दो।
सुविधा भोगी जिससे बनते,
अधिकारों को फांसी दो।
लूट-पाट कर भरे खजाने,
जरद्दारों को फांसी दो।
स्वतत्र भारत के कर्णधारों को,
अपना जीवन अर्पण कर दो।
देश धर्म पर लुट जाने को,
अपना प्रण अर्पित कर दो।
*मातृभूमि की सेवा में,
अपना तन मन अर्पण कर दो।
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