मैं जानती हूँ,आज तुम्हें मैं बहुत याद आऊँगी
डाक्टर स्वाति शर्मा
मैं जानती हूँ, आज तुम्हें मैं बहुत याद आऊँगी आज तुम फिर मेरी याद में कुछ कविताएं लिखोगे,
और मेरी तारीफों मे कई व्याख्यान करोगे लेकिन कल मैं फिर एक साल के लिए भुला दी जाऊँगी।
क्यों मेरी अवहलेना कर औरों को अपनाते हो...
क्यों मुझे अपनाने में तुम इतना शरमाते हो..
मुझे औरों से कोई इर्ष्या नहीं, पर मैं तुम्हारी अपनी हूँ....
फिर तुम मुझे ही क्यों नीचा दिखाते हो...
तुम्हारे इस कृत्य से मैं घुट घुट कर ही मर जाऊंगी
और कल मैं फिर एक साल के लिए भुला दी जाऊँगी
राष्ट्रभाषा,राजभाषा, मातृभाषा जैसे कई नाम मुझे तुम देते हो..
पर उन नामों के अनुसार मान क्यों नहीं देते हो...
जब तुम ही कुछ नहीं समझते मुझे....
आने वाली पीढ़ियों में पिछड़ी ही समझी जाऊँगी..
और कल फिर मैं एक साल के लिए भुला दी जाऊँगी
तुम्हारी हिंदी
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