भारतीय संस्कृति में घणी छांव है पिता, जिसके तले पूरा परिवार पुष्पित और पल्लवित होता है

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर - राजस्थान के शिक्षा व संस्कृति मंत्री बी डी कल्ला ने अंतरराष्ट्रीय फादर्स डे पर जवाहर कला केंद्र में सुरेख ऑर्ट गैलरी में युवाओं द्वारा बच्चों की परवरिश में "खाना- खेल- प्यार" के मूलमंत्रो को दर्शाते हुए चयनित छाया चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। बी डी कल्ला ने कहा कि "भारतीय संस्कृति में घणी छांव है पिता, जिसके तले पूरा परिवार बहुत आराम से पुष्पित और पल्लवित होता है।"- बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए जन्म पूर्व व जीवन पर्यन्त पिता संघर्षरत रहता है। जिसके पुनर्स्थापना के लिए किए गए इस प्रयास की सराहना की।

राजस्थान यूनिसेफ की राज्य प्रमुख ईजाबेल बर्डन ने कहा कि 'फादर्स डे पिताओं को समर्पित होता है। पिता के प्रति सम्मान, प्यार, भावनाओं को व्यक्त करने के लिए दुनिया भर के लोग इस दिन को मनाते है। उन्होंने ने अपने निजी अनुभवों के आधार पर बताया कि जन्म से तथा छः वर्ष तक बच्चों की परवरिश में पिता की अहम भूमिका रहती है। राजस्थान यूनिसेफ एवं लोक संवाद संस्थान ने 14 से 24 आयु वर्ग के युवाओं से पिता को प्रथम गुरु बताते हुए भावनात्मक बॉन्डिंग के छाया चित्रों के बारे में प्रविष्टियां आमंत्रित की थी ।
इस विषय पर दो दिवसीय वेबिनार आयोजित किया गया - जिसमें सुप्रसिद्ध छायाकारो व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित स्टोरी टेलर द्वारा इस विषय पर जानकारी प्रदान की गई।देश भर से 400 से अधिक की भागीदारी के बाद 200 से अधिक छायाचित्र प्रदर्शनी के लिए प्राप्त हुए।लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने बताया कि जूरी पैनल के माध्यम से 38 छायाचित्रों का चयन करके प्रदर्शित किया गया।
प्रदर्शनी 19 जून से 21 जून, 2022 तक प्रातः ग्यारह बजे से शाम साढ़े सात बजे तक खुली रहेगी। 21 जून को प्रदर्शनी का समापन होगा- जिसमें प्रदर्शनी में चयनित छायाकारों को राज्य के पंचायती व ग्रामीण विकास मंत्री रमेश चन्द्र मीणा द्वारा सम्मानित किया जाएगा। सुप्रसिद्ध छायाकार सुधीर कासलीवाल, प्रोफेसर हिमांशु व्यास, महेश स्वामी, पुरुषोत्तम दिवाकर व प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ. ताबीना अंजुम ने सहयोग प्रदान किया।

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