नयी दिल्ली - कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी पदों से इस्तीफा देते ही यह क्या बोल गए ...दहलीज पार करते ही बेवफाई की हद पार कर गए ...जनाब ने तमाम उम्र पार्टी में रहकर माल मलाई और सत्ता का सुख पाया तब तो गुलाम को कांग्रेस पार्टी में कहीं से भी गुलामी महसूस ही नहीं हुआ....जनाब को आज कॉन्ग्रेस पार्टी में कौन कैसा है किसका क्या रुतबा है किसके कैसे कारनामे हैं कौन किस की टांग खींच रहा था कौन आगे बढ़ रहा था किसने अपने प्रतिष्ठा का बेजा इस्तेमाल किया यह सब गुलाम नबी आजाद को आज ही अचानक ऐसा कौन सा चश्मा पहन लिया जो दिखाई देने लगा
51 साल तक जिस पार्टी ने आपको नाम दिया शोहरत दिया रुतबा दिया तब सब अच्छा था उस वक्त खामोशी से जहर को ही इमरत समझ कर पी रहे थें......ऐसे ही होते हैं सियासत के मदारी.... सब जानती है जनता कल भी खुद को ठगा महसूस कर रही थी आज भी वही खड़ी है जनता ....बस अपने कारनामे को अच्छा साबित करने के लिए कुछ लोग चोला बदल लेते हैं..... एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोगकिसी ने क्या खूब कहा है यह करिश्मा ही तो है मोहब्बत का वरना पत्थर की दीवारों को भला कोई ताजमहल क्यों कहता/
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