जयपुर : जेकेके के अलंकार म्यूजियम में मिस्र हुआ साकार
जयपुर. राजस्थानवासियों के लिए मिस्र की सभ्यता से रूबरू होने का अनोखा अवसर। एशिया महाद्वीप में पहली बार जयपुर के जवाहर कला केंद्र के अलंकार म्यूजियम में 7 अक्टूबर तक अनूठी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। जवाहर कला केंद्र, बीकानेर की धोरा इन्टरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी व मिस्र की संस्था फेहरोज लैंड की ओर से आयोजित प्रदर्शनी में मिस्र के प्रसिद्ध शासक तूतनखामुन के 3500 साल पुराने मकबरे में दफनायी गयी वस्तुओं की लगभग 250 प्रतिकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदेश के कला और संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला और कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने इसका उद्घाटन किया।इस दौरान जेकेके की अति. महानिदेशक अनुराधा गोगिया, क्यूरेटर अहमद लतीफ उस्ता समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।डाॅ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि यह अद्वितीय प्रदर्शनी है, जिसमें मिस्र की बेजोड़ कला देखने को मिली है। इस तरह के प्रयास से भारत के साथ विदेशों की संस्कृति साझा होगी। ऐसे आयोजनों से वैश्विक सद्भावना को बढ़ावा मिलेगा।
प्रदर्शनी के भारतीय संयोजक चित्रकार मनीष शर्मा ने बताया कि सन् 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविदों की एक टीम ने तूतनखामुन की कब्र को खोजा था। तुतनखामुन की कब्र को हावर्ड कार्टर ने खोला। इस ऐतिहासिक घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में मौजूद समस्त कलाकृतियों को मिस्र के एकमात्र अधिकृत प्रतिकृति निर्माता डॉ. मुस्तफा अलजैबी ने 30 वर्ष की मेहनत के बाद तैयार किया है। सभी कलाकृतियों को मिस्र से यहाॅं लाया गया है। मनीष शर्मा का कहना है कि भविष्य में पूरे देश में इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
प्रदर्शनी के दौरान मिस्र के विशेषज्ञ डॉ. मुस्तफा अलजैबी व उनकी टीम तत्कालीन समय में ममी तैयार करने की तकनीक के बारे में भी बताएंगे। इसी के साथ प्रदर्शनी में तूतनखामुन और उनकी पत्नी के शवों के दो ताबूत (ममी), कई परिजनों के शवों की प्रतिकृतियां, राजपरिवार के सदस्यों के आभूषणों, तूतनखामुन की पत्नी के असमय हुए गर्भपात के भ्रूण, उनके सुरक्षा कर्मियों और शवों की सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाले अनोखे जानवरों की रेप्लिका भी देखने को मिलेंगी। अधिकतर कलाकृकतियों को सोने की परत चढ़ाकर व बेशकीमती रत्नों से तैयार किया गया है। प्रदर्शनी के दौरान मिस्र की चित्रकला व वहाॅं की पुरानी भाषा को जानने का भी मौका मिलेगा।
प्रदर्शनी के भारतीय संयोजक चित्रकार मनीष शर्मा ने बताया कि सन् 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविदों की एक टीम ने तूतनखामुन की कब्र को खोजा था। तुतनखामुन की कब्र को हावर्ड कार्टर ने खोला। इस ऐतिहासिक घटना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में मौजूद समस्त कलाकृतियों को मिस्र के एकमात्र अधिकृत प्रतिकृति निर्माता डॉ. मुस्तफा अलजैबी ने 30 वर्ष की मेहनत के बाद तैयार किया है। सभी कलाकृतियों को मिस्र से यहाॅं लाया गया है। मनीष शर्मा का कहना है कि भविष्य में पूरे देश में इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
प्रदर्शनी के दौरान मिस्र के विशेषज्ञ डॉ. मुस्तफा अलजैबी व उनकी टीम तत्कालीन समय में ममी तैयार करने की तकनीक के बारे में भी बताएंगे। इसी के साथ प्रदर्शनी में तूतनखामुन और उनकी पत्नी के शवों के दो ताबूत (ममी), कई परिजनों के शवों की प्रतिकृतियां, राजपरिवार के सदस्यों के आभूषणों, तूतनखामुन की पत्नी के असमय हुए गर्भपात के भ्रूण, उनके सुरक्षा कर्मियों और शवों की सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाले अनोखे जानवरों की रेप्लिका भी देखने को मिलेंगी। अधिकतर कलाकृकतियों को सोने की परत चढ़ाकर व बेशकीमती रत्नों से तैयार किया गया है। प्रदर्शनी के दौरान मिस्र की चित्रकला व वहाॅं की पुरानी भाषा को जानने का भी मौका मिलेगा।
तूतनखामुन अपने पिता अखेनातेन की मौत के बाद ईसा पूर्व सन् 1333 में मात्र 9 वर्ष की उम्र में राजा बना था। वह राजा तुत के रूप मे भी लोकप्रिय है। तुतनखामुन का मतलब है ‘अमन की छवि वाला’। 15-16 साल की उम्र में अज्ञात बीमारी से तुतनखामुन की मृत्यु हो गयी।
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