फूल मिले या कांटे पर मुस्कान बनाए रहिए


0 कमलेश कौशिक कमल 0
हमने सोते सागर में
तूफान मचलते देखा है
चांद की शीतल किरणों से,
पत्थर भी पिघलते देखा है
क्या चीज है वो हम ना जाने;
हमने तो उनकी नजरों से ,
आकाश भी झुकते देखा है।
*******
मेहंदी का रंग चढ़ता है
सूख जाने के बाद ,
कुछ लोग याद आते हैं
बिछड़ जाने के बाद,
यूं तो बहुत रोएगा जमाना
हम पर भी एक दिन ;
लेकिन इस जग से चले
जाने के बाद ।
******
दिल में आशाओं के
घर पर दीप जलाए रहिए
फूल मिले या कांटे
पर मुस्कान बनाए रहिए,
और से नहीं कटेंगी
यह जीवन की राहें;
इसीलिए चेहरे पर अपने
नूर बनाए रहिए ।

टिप्पणियाँ

बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना।
हार्दिक शुभकामनाएं आपको

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

राजा बहिरवाणी बने सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया दुबई चैप्टर के अध्यक्ष

डंडिया जी की कलम में है सच को सच कहने की हिम्मत : कटारिया

वाणी का डिक्टेटर – कबीर