एचडीएफसी इर्गो ने सैटेलाईट इंडैक्स आधारित कृषि बीमा पॉलिसी लॉन्च की
नई दिल्ली : हितेन कोठारी, एप्वाईंटेड एक्चुअरी, एचडीएफसी इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने कहा, ‘‘कृषि पर आपदाओं का सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ता है कि पैदावार को हुए बड़े नुकसान से कम का आकलन होता है। इस वजह से किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान पहुँचता है, जो पूरी वैल्यू चेन में उत्तरोत्तर बढ़ता चला जाता है और इससे इस सेक्टर या पूरी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित होती है। डिजिटल फर्स्ट संगठन के रूप में कृषि उपज का बीमा कवर फसल चक्र के सभी चरणों में कंपोज़िट बीमा प्रदान करेगा, और मुश्किल मैन्युअल सर्वे की जरूरत नहीं पड़ेगी।’’ यह पॉलिसी खाद्य फसलों, तिलहन और वाणिज्यिक एवं हॉर्टीकल्चर की फसलों के लिए लागू होगी।
भारत की अग्रणी जनरल इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने किसानों के लिए एक अभिनव और टेक्नॉलॉजी आधारित कृषि उपज बीमा पॉलिसी के लॉन्च की घोषणा की है। यह अपनी तरह का पहला बीमा समाधान है, जिसमें एक सैटेलाईट बेस्ड इंडेक्स का उपयोग स्थानीय स्तर पर खेती को कवरेज प्रदान करने के लिए किया जाएगा। यह सैटेलाईट पर आधारित डेटा के अनुसार बुआई से लेकर कटाई तक फसल के पूरे जीवनचक्र में विस्तृत कवर प्रदान करेगा।
यह उत्पाद कॉर्पोरेट/फार्म इनपुट कंपनी (एफआईसी) कॉन्ट्रैक्ट्स के अंतर्गत किसानों पर केंद्रित है। थ्रेशोल्ड इंडेक्स वैल्यू की गणना हर पैदावार के लिए विशेष फसल के ऐतिहासिक सैटेलाईट इमेजिंग डेटा और सार्वजनिक पटल पर मौजूद रिमोट सेंसिंग प्रक्रिया द्वारा होती है। इसके बाद थ्रेशोल्ड/बेंचमार्क इंडैक्स की तुलना बीमित फसल के लिए संदर्भित सैटेलाईट द्वारा प्राप्त वास्तविक इंडैक्स वैल्यू के साथ की जाती है, ताकि यह निर्धारण हो सके कि पैदावार का नुकसान हुआ है। यह पूरी प्रक्रिया टेक्नॉलॉजी पर आधारित है, इसलिए इस फसल के क्लेम का आकलन करने के लिए किसी भी मैन्युअल सर्वे की जरूरत नहीं होती है।
यह उत्पाद कॉर्पोरेट/फार्म इनपुट कंपनी (एफआईसी) कॉन्ट्रैक्ट्स के अंतर्गत किसानों पर केंद्रित है। थ्रेशोल्ड इंडेक्स वैल्यू की गणना हर पैदावार के लिए विशेष फसल के ऐतिहासिक सैटेलाईट इमेजिंग डेटा और सार्वजनिक पटल पर मौजूद रिमोट सेंसिंग प्रक्रिया द्वारा होती है। इसके बाद थ्रेशोल्ड/बेंचमार्क इंडैक्स की तुलना बीमित फसल के लिए संदर्भित सैटेलाईट द्वारा प्राप्त वास्तविक इंडैक्स वैल्यू के साथ की जाती है, ताकि यह निर्धारण हो सके कि पैदावार का नुकसान हुआ है। यह पूरी प्रक्रिया टेक्नॉलॉजी पर आधारित है, इसलिए इस फसल के क्लेम का आकलन करने के लिए किसी भी मैन्युअल सर्वे की जरूरत नहीं होती है।
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