नाटक वर्तमान दौर के टूटते पारिवारिक परिवेश से जूझते वृद्ध लोगों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को उजागर करने वाला

० 
संत कुमार गोस्वामी ० 
मुंबई लेट्स विन द हार्ट थियेटर सोसाइटी द्वारा 'बलि और शंभू' नाटक का मंचन किया गया। मानव कौल के लिखे इस नाटक का निर्देशन युवा रंगकर्मी राजकुमार अहिरवार ने किया। नाटक में बुढ़ापे के अकेलेपन और बेचारगी को दिखाने के साथ-साथ बुजुर्गों के दिल में पनपने वाली इच्छाओं और उम्मीदों को भी बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया। अँधेरी पश्चिम के आदर्श नगर स्थित शाकुंतलम हाल में हुआ ये नाटक दो वृद्ध लोगों शंभू और बलि की दास्तान है, जो विपरीत हालात से जूझते हुए एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। शंभू अपनी मृत बेटी तितली की याद में खोया रहता है जबकि बलि वृद्धाश्रम की डाक्टर के कथित प्रेम में पड़कर हास्यास्पद स्तिथियों को जन्म देता है। 
शंभू वृद्धाश्रम के अपने कमरे में अकेला रहता है लेकिन उस कमरे के दूसरे बेड पर जब बलि का आना होता है तो उसे बड़ी परेशानी हो जाती है। वह उसे बर्दाश्त नहीं कर पाता लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसके और बलि के हालात एक जैसे हैं, तो उसे बलि से हमदर्दी होने लगती है। यही नहीं, कुछ दिनों पश्चात तो वे दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि अपने दिल की बातें और अपने घर के हालात भी सांझा करने लगते हैं। नाटक वर्तमान दौर के टूटते पारिवारिक परिवेश से जूझते वृद्ध लोगों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को उजागर करने वाला है।

इस नाटक में 6 पात्र हैँ  तितली, गौतम, झिलमिल, शुभांकर और बाली शम्भू... शंभू की बेटी तितली की भूमिका मे ज्योति पारछा ने बहुत ही मनमोहक अभिनय प्रस्तुत किया .... वृद्धा आश्रम का कर्मचारि गौतम के किरदार में प्रियांशु राजपूत ने अपने अभिनय से दर्शकों को खूब हंसाया ... डॉक्टर झिलमिल की भूमिका में विद्या पदवी ने अपने किरदार के साथ पूरी ईमानदारी की.. कृष्णा चौधरी ने शंभू और शुभंकर का किरदार निभाया है उन्होंने दोनों किरदारों को अपने अभिनय कौशल से बखूबी जीवंत किया .. और अंत में बलि का किरदार निभाया है नाटक के निर्देशक राजकुमार अहिरवार ने कुल मिलाकर सारे कलाकारों ने कठिन परिश्रम, अपने अभिनय के लिए पूरी ईमानदारी और चरित्र चित्रण कर मंच पर दर्शकों के समक्ष एक दमदार प्रस्तुति प्रस्तुत की जिससे कि दर्शकों को पलखें झपकाने ने तक का भी मौका नहीं मिला और दर्शकदीर्घा में बैठे दर्शकों की तालीयों की गड़गड़ाहट से पूरा थिएटर हॉल गूंज उठा.... वैसे यह नाटक देश प्रदेश के अलग-अलग शहरों में कई बार मंचित किया जाता रहा है पर इन कलाकारों द्वारा किया गया यह नाटक वाकेई काबिले तारीफ है

बैकस्टेज में रूप सज्जा : ज्योति पारछा,बीना अहिरवार प्रकाश परिकल्पना व संचालन मिथुन कुमार ने किया संगीत संचालन तरुण गुप्ता ने किया संगीत चयन राजकुमार अहिरवार ने किया मंच सामग्री कृष्णा चौधरी, सोहन साहू,अजय राज पंडित, जॉन क्रूज, अशोक अहिरवार वेशभूषा निर्माण ज्योति पारछा, विद्या पदवी वेशभूषा विन्यास ज्योति, विद्या, अजय ने किया मंच निर्माण राज अहिरवार कृष्णा चौधरी राजीव मैकले मंच व्यवस्थापक का कार्यभार मीरा अहिरवार व अशोक अहिरवार ने किया वीडियोग्राफ़ी राजीव मैकले और सोहन साहू ने की है  कम संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद कठोर परिश्रम के साथ बड़ी ही उम्दा जबरदस्त खूबसूरती से कलाकारों द्वारा नाटक बाली और शम्भू का सफल मंचन किया गया ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

राजा बहिरवाणी बने सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया दुबई चैप्टर के अध्यक्ष

डंडिया जी की कलम में है सच को सच कहने की हिम्मत : कटारिया

वाणी का डिक्टेटर – कबीर