श्रीमद्भगवद्गीता युवा वर्ग के लिए भी पथ प्रदर्शक बने
० योगेश भट्ट ० नयी दिल्ली- अपना भारत देश दुनिया में सबसे अधिक युवा वालों का देश है । अतः यहां की तरुण पीढी - छात्र छात्राओं पर न केवल हिन्दुस्तान, अपितु समूची दुनिया का ध्यान टिका है जो देश के तथा विश्व के सतत विकास तथा जन कल्याण के लिए अपना योगदान दे सकें । इसके लिए गीता उनके पथ प्रदर्शन के लिए जीवन दायिनी बन सकती है । श्रीमद्भगवतगीता जयन्ती पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा है कि गीता विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयन्ती पूरी दुनिया भर में मनायी जाती है जो कर्म, भक्ति तथा ज्ञान योगों का संदेश देती है । कुलपति ने आह्वान किया है कि गीता युवा वर्ग के लिए पथ प्रदर्शक बनें । ऐसा माना जाता है कि दुनिया में सबसे अधिक भाष्य इस पर ही लिखी गयी है । इससे भी इसकी वैश्विक लोकप्रियता की पुष्टि होती है । यह मूल्याधृत जीवन प्रबंधन का ऊर्जागृह है जिससे ज्ञान पर आवृत्त अज्ञान की कालिमा स्वयं समाप्त हो जाती है । इसको पढ़ने से जीवन में नया जीवन संचार हो उठता है ।गीता प्रति क्षण गतिशील बने रहने का संदेश देती है । वस्तुत: इसका संदेश अकर्मण्यता पर