बाल साहित्य के संसार में सुनहरे रंग भरने की जरूरत-डा.संजीव कुमार
० आशा पटेल ०
जयपुर । पं.जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित अकादमी संकुल में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये डा.संजीव कुमार चैयरमेन, इण्डिया नेट बुक्स, नई दिल्ली ने कहा कि बच्चों के साहित्य में इस समय बहुत बड़ी रिक्तता आ गई है जिसका सबसे बड़ा कारण टेक्नोलॉजी है। आज बच्चे मूल्य, निष्ठा और चरित्र की कहानियां भूल चुके है जो उन्हें सहज रूप में गीत, कहानी, कविता, नाटक के रूप में पढ़ने को मिलती थी। कार्टून की दुनिया ने बच्चों की भाषा बिगाड़ दी है। आज के युवा साहित्यकारों का विशेष रूप से यह दायित्व है कि वे ठोस कार्य करें और देशभक्ति, चरित्र, जीवन मूल्य के निर्माण में बच्चों की सहायता करें।
अकादमी अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने कहा कि यह अकादमी बाल अभिरूचियों के अनुसार शीघ्र ही एक बाल पत्रिका का शुभारंभ करने जा रही हैं जिसमें बच्चों की रचनाओं को स्थान दिया जायेगा और अतिथि संपादक के रूप में प्रतिभा सम्पन्न बालकों को अवसर दिया जायेगा। वरिष्ठ साहित्यकार और साहित्य समर्था पत्रिका की संपादक डा.नीलिमा टिक्कू ने कहा कि अब विदेशों में रह रहे भारतीयों के बच्चों को अपनी माटी और भाषा से जोड़े रखने के लिये ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को जन्मदिन पर बच्चों को अच्छी किताबें देना का फिर से प्रचलन शुरू करना चाहिये।
वरिष्ठ गीतकार कृष्ण कल्पित ने कहा कि कोई भी विज्ञान साहित्य से आगे नहीं हो सकता। जीवन में जब बच्चे हारना सीख जाते हैं तो समझ लिजिए कि उसमें नायकत्व के गुण विकसित होने लेगे हैं। वरिष्ठ शायर और गजलकार लोकेश कुमार साहिल ने कहा कि बाल अकादमी को अपनी पहुँच सीधे स्कूलों तक बढ़नी चाहिये। कवि प्रदीप सैनी, डा. महेन्द्र मोहन शर्मा, श्रीमती मनोरमा कुमार, श्रीमती भाग्यम शर्मा, श्रीमती कामिनी मिश्रा, गजेन्द्र रिझवानी आदि अनेक साहित्यकारों ने इस अवसर पर अपनी बात रखी।
अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि बाल अभिरूचियों को जानने, परखने के लिये अकादमी ने एक व्यापक सर्वेक्षण करवाया है जिसके आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि अधिकांश बच्चे पढ़़ने में रूचि रखते हैं, उन पर यह गलत आरोप लगाया जा रहा है कि बच्चों ने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है। शर्मा ने जानकारी दी कि आगामी कुछ ही समय में बाल गीतकारों की कार्यशाला के साथ-2 बच्चों को कहानी सुनाओ कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं।
जयपुर । पं.जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित अकादमी संकुल में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये डा.संजीव कुमार चैयरमेन, इण्डिया नेट बुक्स, नई दिल्ली ने कहा कि बच्चों के साहित्य में इस समय बहुत बड़ी रिक्तता आ गई है जिसका सबसे बड़ा कारण टेक्नोलॉजी है। आज बच्चे मूल्य, निष्ठा और चरित्र की कहानियां भूल चुके है जो उन्हें सहज रूप में गीत, कहानी, कविता, नाटक के रूप में पढ़ने को मिलती थी। कार्टून की दुनिया ने बच्चों की भाषा बिगाड़ दी है। आज के युवा साहित्यकारों का विशेष रूप से यह दायित्व है कि वे ठोस कार्य करें और देशभक्ति, चरित्र, जीवन मूल्य के निर्माण में बच्चों की सहायता करें।
अकादमी अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने कहा कि यह अकादमी बाल अभिरूचियों के अनुसार शीघ्र ही एक बाल पत्रिका का शुभारंभ करने जा रही हैं जिसमें बच्चों की रचनाओं को स्थान दिया जायेगा और अतिथि संपादक के रूप में प्रतिभा सम्पन्न बालकों को अवसर दिया जायेगा। वरिष्ठ साहित्यकार और साहित्य समर्था पत्रिका की संपादक डा.नीलिमा टिक्कू ने कहा कि अब विदेशों में रह रहे भारतीयों के बच्चों को अपनी माटी और भाषा से जोड़े रखने के लिये ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को जन्मदिन पर बच्चों को अच्छी किताबें देना का फिर से प्रचलन शुरू करना चाहिये।
वरिष्ठ गीतकार कृष्ण कल्पित ने कहा कि कोई भी विज्ञान साहित्य से आगे नहीं हो सकता। जीवन में जब बच्चे हारना सीख जाते हैं तो समझ लिजिए कि उसमें नायकत्व के गुण विकसित होने लेगे हैं। वरिष्ठ शायर और गजलकार लोकेश कुमार साहिल ने कहा कि बाल अकादमी को अपनी पहुँच सीधे स्कूलों तक बढ़नी चाहिये। कवि प्रदीप सैनी, डा. महेन्द्र मोहन शर्मा, श्रीमती मनोरमा कुमार, श्रीमती भाग्यम शर्मा, श्रीमती कामिनी मिश्रा, गजेन्द्र रिझवानी आदि अनेक साहित्यकारों ने इस अवसर पर अपनी बात रखी।
अकादमी सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि बाल अभिरूचियों को जानने, परखने के लिये अकादमी ने एक व्यापक सर्वेक्षण करवाया है जिसके आधार पर निष्कर्ष निकलता है कि अधिकांश बच्चे पढ़़ने में रूचि रखते हैं, उन पर यह गलत आरोप लगाया जा रहा है कि बच्चों ने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया है। शर्मा ने जानकारी दी कि आगामी कुछ ही समय में बाल गीतकारों की कार्यशाला के साथ-2 बच्चों को कहानी सुनाओ कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं।
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