जल संकट से निपटने के लिए जल ग्राम जखनी मॉडल
० टिल्लन रिछारिया ०
हमारे अनन्य पुरुषार्थी , जखानी जलग्राम के जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया है । यह उनके 25 वर्षों की अथक तपस्या का प्रसाद है । उमाशंकर स्वाभिमानी , अक्खड़ , लक्ष्य को समर्पित व्यक्ति हैं । यह उनकी उपलब्धि का एक पड़ाव है , उन्हें अपने पुरुषार्थ और सम्यक विवेक से अपने सामाजिक सरोकारों के साथ अपनी गतिशीलता बनाए रखना है । इन दिनों उमाशंकर , खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ , मंत्र के साथ मेडबंदी यज्ञ अभियान में सक्रिय हैं ।
स्वातंत्र्यवीर मंगल पांडेय को अपना आदर्श और अपनी मां को अपना ' जलगुरु ' मानने वाले विनोबा प्रेमी सर्वोदय पंथी उमाशंकर पांडेय अपने पथ पर अडिग हैं । संघर्ष के तमाम पड़ाव तय करते हुए वे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं । उनके इन प्रयासों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ' जलयोद्धा ' सम्मान से सम्मानित किया है । उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जखनी जलग्राम के निवासी उमाशंकर पांडेय को ' जलयोद्धा ' का नार्थ जोन में पहला पुरस्कार मिला है।
भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की ओर से वर्ष 2019 के लिए राष्ट्रीय जल पुरस्कार के तहत उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में भारत के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार के रूप में उन्हें डेढ़ लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया था। जिस विज्ञान भवन से इन्हें ' जलयोद्धा ' के पुरस्कार की घोषणा की गई उसी विज्ञान भवन में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने इन्हें ' जलग्राम ' बनाने का मंत्र दिया था। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सपनों की हकीकत है जलग्राम जखनी ।
कलाम साहब ने कहा था, भारत के गांव में जल संकट अधिक है, हमें गांव को जलग्राम के रूप में विकसित करना होगा। वहीं मौजूद परम्परात जल वैज्ञानिक अनुपम मिश्र ने कहा, प्रथम जलग्राम बगैर किसी सरकारी सहायता के परंपरागत तरीके से बनाएंगे। जलग्राम के स्वप्नद्रष्टा तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 अप्रैल 2005 को विज्ञान भवन में सैकड़ों स्वैच्छिक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के गांव में जल संकट अधिक है। हमें गांव को जल ग्राम के रूप में विकसित करना होगा। इस अवसर पर परंपरागत जल वैज्ञानिक अनुपम मिश्र, पद्म विभूषण निर्मला देशपांडे, प्रसिद्ध समाजसेवी मोहन धारिया, अन्ना हजारे, जैसे प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।
हमारे अनन्य पुरुषार्थी , जखानी जलग्राम के जलयोद्धा उमाशंकर पांडेय को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया है । यह उनके 25 वर्षों की अथक तपस्या का प्रसाद है । उमाशंकर स्वाभिमानी , अक्खड़ , लक्ष्य को समर्पित व्यक्ति हैं । यह उनकी उपलब्धि का एक पड़ाव है , उन्हें अपने पुरुषार्थ और सम्यक विवेक से अपने सामाजिक सरोकारों के साथ अपनी गतिशीलता बनाए रखना है । इन दिनों उमाशंकर , खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ , मंत्र के साथ मेडबंदी यज्ञ अभियान में सक्रिय हैं ।
स्वातंत्र्यवीर मंगल पांडेय को अपना आदर्श और अपनी मां को अपना ' जलगुरु ' मानने वाले विनोबा प्रेमी सर्वोदय पंथी उमाशंकर पांडेय अपने पथ पर अडिग हैं । संघर्ष के तमाम पड़ाव तय करते हुए वे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं । उनके इन प्रयासों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें ' जलयोद्धा ' सम्मान से सम्मानित किया है । उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जखनी जलग्राम के निवासी उमाशंकर पांडेय को ' जलयोद्धा ' का नार्थ जोन में पहला पुरस्कार मिला है।
भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय की ओर से वर्ष 2019 के लिए राष्ट्रीय जल पुरस्कार के तहत उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में भारत के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार के रूप में उन्हें डेढ़ लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया था। जिस विज्ञान भवन से इन्हें ' जलयोद्धा ' के पुरस्कार की घोषणा की गई उसी विज्ञान भवन में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने इन्हें ' जलग्राम ' बनाने का मंत्र दिया था। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सपनों की हकीकत है जलग्राम जखनी ।
कलाम साहब ने कहा था, भारत के गांव में जल संकट अधिक है, हमें गांव को जलग्राम के रूप में विकसित करना होगा। वहीं मौजूद परम्परात जल वैज्ञानिक अनुपम मिश्र ने कहा, प्रथम जलग्राम बगैर किसी सरकारी सहायता के परंपरागत तरीके से बनाएंगे। जलग्राम के स्वप्नद्रष्टा तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 अप्रैल 2005 को विज्ञान भवन में सैकड़ों स्वैच्छिक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के गांव में जल संकट अधिक है। हमें गांव को जल ग्राम के रूप में विकसित करना होगा। इस अवसर पर परंपरागत जल वैज्ञानिक अनुपम मिश्र, पद्म विभूषण निर्मला देशपांडे, प्रसिद्ध समाजसेवी मोहन धारिया, अन्ना हजारे, जैसे प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।
तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी थे । कलाम साहब के सुझाव का संदेश को पालन का संकल्प उस समय राष्ट्रीय कार्यशाला में मौजूद बांदा जिले के जखनी गांव के सर्वोदय कार्यकर्ता उमाशंकर पांडे के मन मस्तिष्क में 3 दिन तक चली कार्यशाला में बैठ गया। अनुपम मिश्र जिन्होंने आज भी खरे हैं तालाब जैसा जल ग्रंथ लिखा है, उनकी सहमति और परामर्श से जखनी को जल ग्राम बनाने की सहमति मंच पर दे दी कि सूखे बुंदेलखंड के जखनी गांव को देश का प्रथम जल ग्राम बगैर किसी सरकारी सहायता के परंपरागत तरीके से बनाएंगे ।
उमाशंकर आप बीती बताते हैं... 15 साल के सतत संघर्ष, मेहनत, कष्ट सहते हुए, लोगों के ताने सहे, अपमान सहा, वहीं दूसरी ओर अपनी धुन में अपने गांव को जल ग्राम बनाने के लिए जल संरक्षण की दिशा में काम करते रहे । ना अपमान से डरे, न सम्मान लिया। दिल्ली की सरकारों के साथ पत्र व्यवहार किया योजना बताई, कई बार नहीं सुना गया लेकिन जनहित के प्रयास जारी रहे । यह सोचा कि कोई ना कोई आपकी बात सुनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई । तत्कालीन केंद्रीय जल मंत्री, जल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को जलग्राम का सुझाव 2014 से 2016 तक समझाने के बाद मीटिंग हुई फाइलें दौड़ी, अंतत: सरकार को जल क्रांति अभियान के अंतर्गत जल ग्राम जखनी मॉडल को तथाकथित जल सेवियो एनजीओ के नाम पर बड़ा धन देने वाले एसी वाले समाजसेवियों के विरोध के बावजूद मान्यता मिली और संपूर्ण भारत के प्रत्येक जिले में 2 जल ग्राम चुने गए। वर्तमान में 1050 जल ग्राम जल क्रांति अभियान के अंतर्गत जल मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। जखनी से प्रज्वलित विचार ने देश में जलग्राम को मूरत रूप दिया । धैर्य हो, संकल्प हो, लगन हो, संघर्ष की भावना हो तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
जखनी गांव के साथ आसपास के गांव के किसानों ने जखनी से प्रेरणा लेकर जल संरक्षण के लिए अपने संसाधन से हजारों बीघे जमीन में कर डाली मेडबंदी । जखनी गांव में मेड़बंदी से जल संरक्षण व खेती के फायदे देख आस-पास के गांव घुरौडा के किसानों ने परंपरागत तरीके से अपने श्रम अपने संसाधन अपने पैसे से 500 बीघे जमीन में तथा साहेबा गांव के किसानों ने 400 बीघा जमीन में, जमरेही गांव के किसानों ने 800 बीघे में तथा बंसडा खुर्द बुजुर्ग के किसानों ने 400 सौ बीघे जमीन में मेड़बंदी 5 वर्ष पहले शुरू कर दी ।पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का गुरुमंत्र लेकर उमाशंकर पांडेय ने जखनी में ऐसा उदाहरण पेश किया कि नीति आयोग ने उनकी कामयाबी को देश की एक कारगर उपलब्धि में शामिल करते हुए उसे राष्ट्रीय 'जलग्राम' घोषित कर दिया । उमाशंकर की कोशिशों ने जखनी को भारत ही नहीं, विश्व मानचित्र पर ला दिया है।
बुंदेलखंड के बांदा जिले का गांव जखनी इन दिनों, उस समय से चर्चा में है जब देश के अधिकांश हिस्सों में जलस्तर कम हो रहा है वहीं यहां के लोगों के प्रयास से पानी का स्तर बढ़ रहा है। ये बात शायद ही आपको एक पल के लिए हैरान कर दे लेकिन यह वह सच है जिसे आप देख सकते हैं और एक सीख भी ले सकते हैं। जखनी गांव के लोगों ने पानी के स्तर को सुधारने के लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली। बावजूद इसके वो कारनामा कर दिखाया जिसे करने में शायद सरकारें भी हांफ जाती। गांव के कुंए में छह फीट पर पानी है।
यह जलस्तर दिन पर दिन और सुधरता नजर आ रहा है। बढ़ता जलस्तर और तर होते गले अपने आप में एक पत्थर से पानी निकालने जैसी कहावतों को पूरा करते दिखाई देते हैं। गांव के लोग इस खुशी में लोकनृत्य कर रहे हैं। तालाबों में नौकाविहार देख शायद एक बार आपकी आंखे भी भरोसा न करें लेकिन इस सच को आप चाह कर भी झुठला नहीं सकते। पानी से लबालब भरे बड़ी दाई तालाब, रद्दू बाबा तालाब, रसिया तालाब, गड़रिया तालाब, नरसिंह तालाब, बड़ा तालाब और जखनिया तालाब अपने आप में बसंत सा मौसम बयां कर रहे हैं।
उमाशंकर अपनी बात बताते हुए कहते हैं, जल ग्राम जखनी के जल संरक्षण के अलग प्रयोग समझने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, भारत रत्न नानाजी देशमुख, प्रसिद्ध समाजसेवी मोहन धारिया, मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नरेश यादव, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल. राम नईक, तत्कालीन राजस्थान के राज्यपाल मदन लाल खुराना, तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, ने जल संकट से निपटने के लिए जल ग्राम जखनी के मॉडल को सराहा। जखनी के संयोजक यानी मुझको बुलाकर इस विधि को समझा । सूखे से निपटने के लिए कारगर बताया।
उमाशंकर आप बीती बताते हैं... 15 साल के सतत संघर्ष, मेहनत, कष्ट सहते हुए, लोगों के ताने सहे, अपमान सहा, वहीं दूसरी ओर अपनी धुन में अपने गांव को जल ग्राम बनाने के लिए जल संरक्षण की दिशा में काम करते रहे । ना अपमान से डरे, न सम्मान लिया। दिल्ली की सरकारों के साथ पत्र व्यवहार किया योजना बताई, कई बार नहीं सुना गया लेकिन जनहित के प्रयास जारी रहे । यह सोचा कि कोई ना कोई आपकी बात सुनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई । तत्कालीन केंद्रीय जल मंत्री, जल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को जलग्राम का सुझाव 2014 से 2016 तक समझाने के बाद मीटिंग हुई फाइलें दौड़ी, अंतत: सरकार को जल क्रांति अभियान के अंतर्गत जल ग्राम जखनी मॉडल को तथाकथित जल सेवियो एनजीओ के नाम पर बड़ा धन देने वाले एसी वाले समाजसेवियों के विरोध के बावजूद मान्यता मिली और संपूर्ण भारत के प्रत्येक जिले में 2 जल ग्राम चुने गए। वर्तमान में 1050 जल ग्राम जल क्रांति अभियान के अंतर्गत जल मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। जखनी से प्रज्वलित विचार ने देश में जलग्राम को मूरत रूप दिया । धैर्य हो, संकल्प हो, लगन हो, संघर्ष की भावना हो तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
जखनी गांव के साथ आसपास के गांव के किसानों ने जखनी से प्रेरणा लेकर जल संरक्षण के लिए अपने संसाधन से हजारों बीघे जमीन में कर डाली मेडबंदी । जखनी गांव में मेड़बंदी से जल संरक्षण व खेती के फायदे देख आस-पास के गांव घुरौडा के किसानों ने परंपरागत तरीके से अपने श्रम अपने संसाधन अपने पैसे से 500 बीघे जमीन में तथा साहेबा गांव के किसानों ने 400 बीघा जमीन में, जमरेही गांव के किसानों ने 800 बीघे में तथा बंसडा खुर्द बुजुर्ग के किसानों ने 400 सौ बीघे जमीन में मेड़बंदी 5 वर्ष पहले शुरू कर दी ।पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का गुरुमंत्र लेकर उमाशंकर पांडेय ने जखनी में ऐसा उदाहरण पेश किया कि नीति आयोग ने उनकी कामयाबी को देश की एक कारगर उपलब्धि में शामिल करते हुए उसे राष्ट्रीय 'जलग्राम' घोषित कर दिया । उमाशंकर की कोशिशों ने जखनी को भारत ही नहीं, विश्व मानचित्र पर ला दिया है।
बुंदेलखंड के बांदा जिले का गांव जखनी इन दिनों, उस समय से चर्चा में है जब देश के अधिकांश हिस्सों में जलस्तर कम हो रहा है वहीं यहां के लोगों के प्रयास से पानी का स्तर बढ़ रहा है। ये बात शायद ही आपको एक पल के लिए हैरान कर दे लेकिन यह वह सच है जिसे आप देख सकते हैं और एक सीख भी ले सकते हैं। जखनी गांव के लोगों ने पानी के स्तर को सुधारने के लिए किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली। बावजूद इसके वो कारनामा कर दिखाया जिसे करने में शायद सरकारें भी हांफ जाती। गांव के कुंए में छह फीट पर पानी है।
यह जलस्तर दिन पर दिन और सुधरता नजर आ रहा है। बढ़ता जलस्तर और तर होते गले अपने आप में एक पत्थर से पानी निकालने जैसी कहावतों को पूरा करते दिखाई देते हैं। गांव के लोग इस खुशी में लोकनृत्य कर रहे हैं। तालाबों में नौकाविहार देख शायद एक बार आपकी आंखे भी भरोसा न करें लेकिन इस सच को आप चाह कर भी झुठला नहीं सकते। पानी से लबालब भरे बड़ी दाई तालाब, रद्दू बाबा तालाब, रसिया तालाब, गड़रिया तालाब, नरसिंह तालाब, बड़ा तालाब और जखनिया तालाब अपने आप में बसंत सा मौसम बयां कर रहे हैं।
उमाशंकर अपनी बात बताते हुए कहते हैं, जल ग्राम जखनी के जल संरक्षण के अलग प्रयोग समझने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, भारत रत्न नानाजी देशमुख, प्रसिद्ध समाजसेवी मोहन धारिया, मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नरेश यादव, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल. राम नईक, तत्कालीन राजस्थान के राज्यपाल मदन लाल खुराना, तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, ने जल संकट से निपटने के लिए जल ग्राम जखनी के मॉडल को सराहा। जखनी के संयोजक यानी मुझको बुलाकर इस विधि को समझा । सूखे से निपटने के लिए कारगर बताया।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह, उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक तकनीक जल गुरु महेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक विजय कुमार, मध्य प्रदेश पुलिस के ग्वालियर रेंज के आईजी राजा बाबू सिंह, कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा के कुलपति यूएस गौतम, जल वैज्ञानिक परंपरागत अनुपम मिश्र, नीति आयोग कद अविनाश मिश्र जखनी के जल संरक्षण के कार्यों को देखने के लिए जखनी आए । चित्रकूट धाम मंडल कमिश्नर तत्कालीन कमिश्नर एल वेंकटेश्वर लू, तत्कालीन जिलाधिकारी योगेश कुमार तथा जिलाधिकारी बांदा हीरालाल ने जनपद बांदा की 471 ग्राम पंचायतों को जखनी मॉडल पर जल संरक्षण का संदेश दिया है।
जखनी जलग्राम के जलाशयों के उत्थान और मेड़बंदी अभियान की लोकप्रियता के लिए सतत प्रयत्नशील उमाशंकर पांडेय अपने प्रयासों का ब्यौरा देते हैं, हमने अब तक 11 छोटे बड़े आयोजन जखनी से लेकर दिल्ली खजुराहो तंक किये हैं, 19 दिसंबर 2019 दिल्ली मे ' जखनी के लोग दिल्ली मे ', 15 मार्च 2021 खजुराहो में ' जल पर्व ' और ' जल संवाद ' दिल्ली में जहां 50 कृषि कर्मयोगियों को ' कृषिजीवी ' सम्मान से सम्मान से सम्मानित किया गया ।... अब मैं मेड़बन्दी अभियान को समर्पित हूँ ' आज भी खरी है मेड़बन्दी ।
* मेरे आसपास के लोग , किताब से
जखनी जलग्राम के जलाशयों के उत्थान और मेड़बंदी अभियान की लोकप्रियता के लिए सतत प्रयत्नशील उमाशंकर पांडेय अपने प्रयासों का ब्यौरा देते हैं, हमने अब तक 11 छोटे बड़े आयोजन जखनी से लेकर दिल्ली खजुराहो तंक किये हैं, 19 दिसंबर 2019 दिल्ली मे ' जखनी के लोग दिल्ली मे ', 15 मार्च 2021 खजुराहो में ' जल पर्व ' और ' जल संवाद ' दिल्ली में जहां 50 कृषि कर्मयोगियों को ' कृषिजीवी ' सम्मान से सम्मान से सम्मानित किया गया ।... अब मैं मेड़बन्दी अभियान को समर्पित हूँ ' आज भी खरी है मेड़बन्दी ।
* मेरे आसपास के लोग , किताब से
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