यूपीएससी की तैयारी में डेढ़ वर्षों तक निरंतरता कैसे बनाएँ रखें ?

० योगेश भट्ट ० 
 नयी दिल्ली  - यूपीएससी के सभी उम्‍मीदवार परीक्षाओं के लिए पूरी तरह तैयार होने के लिए ज़रूरी योजना और प्रक्रियाओं के बारे में अच्छी तरह अवगत नहीं रहते हैं। ऐसे उम्‍मीदवारों में कॉलेज स्टूडेंट्स, कामकाजी प्रोफेशनल्स, या गृहिणियां भी हो सकती हैं। तैयारी के दौरान चीजों को संतुलित करने की कला में महारत होना ज़रूरी है। इस प्रक्रिया में पहला चरण है अपना लक्ष्य निर्धारित करना और एक समय-सीमा तय करना। उदाहरणार्थ एक बिगिनर के लिए 6 महीने की अवधि सफलतापूर्वक यूपीएससी क्रैक करने के लिए शायद बहुत कम होगी। इसके बदले, उम्‍मीदवार को अपनी समय-सीमा अगले साल तक बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा, एक साथ अनेक लक्ष्य का होना भी निरंतरता बनाए रखने के लिए ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

यूपीएससी के लिए तैयारी करते समय प्रत्येक उम्‍मीदवार के लिए अपनी खुद की विशिष्ट रणनीति बनानी ज़रूरी है। किसी भी दो उम्‍मीदवारों की पढ़ने की स्टाइल, पढ़ने की टेक्निक या समस्यायें और चुनौतियाँ एक जैसी नहीं होतीं। आपकी रणनीति में वे सभी घटक और वैरिएबल्स शामिल होने चाहिए जो आपकी तैयारी को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें तैयारी के लिए रोजाना/साप्ताहिक आधार पर ज़रूरी समय, लर्निंग स्टाइल, और फाइनेंशियल मुद्दे, जैसे कि कोचिंग फीस, रेंट, आदि शामिल हैं। इसके आधार पर आपको एक टाइमटेबल तैयार करने की ज़रुरत है जो ‘फ्लेक्सिबल’ और ‘एडैप्टिव” है और यह मासिक, साप्ताहिक या रोजाना हो सकता है।

इसके साथ ही, स्टडी की एक साल से ज्यादा समय तक तैयारी को छोटे-छोटे, मापनीय और मैनेज करने योग्य खण्डों में विभाजित कर लेना चाहिए। टास्क को बढ़िया तरह से मैनेज करने के लिए इसे मासिक या साप्ताहिक आधार पर बनाना ज़रूरी है।अपने प्रोग्रेस पर नजर रखें, अपनी उपलब्धियों और लर्निंग का मूल्यांकन करें यूपीएससी सीएसई परीक्षाओं के लिए तैयारी करने में स्टडी और रीडिंग के लिए कई घंटों की ज़रुरत होती है। लेकिन यूपीएससी की तैयारी अकेले रीडिंग का मामला नहीं है। आप जो भी पढ़ रहे हैं, आपको अवश्य ही उसका विश्लेषण करना, उसे रिटेन करना और उसका उपयोग करने का तरीका सीखना चाहिए। यह कुछ वैसा ही है जैसे कि आंसर लिखना। टेस्ट्स के माध्यम से अपनी प्रोग्रेस पर नजर रखना और आपने जो भी कवर किया है उसका मूल्यांकन करना ज़रूरी है। प्रीलिम्स मॉक्स, मेंन्स आंसर राइटिंग, और मेंटर्स तथा सहपाठियों के साथ चर्चा को अपनी तैयारी के पहले हफ्ते से ही ज़रूर शामिल करना चाहिए। याद रखें, आप तभी सुधार कर सकते हैं, जिसे आप मेज़र कर सकते हैं।

एक फीडबैक और सुधार लूप स्थापित करने के लिए अकाउंटेबिलिटी सिस्टम तैयार करेंअक्सर होता है कि लोग किये जाने वाले ज़रूरी टास्क को पूरा नहीं करने के अनावश्यक बहानों का प्रयोग करते हैं, क्योंकि वे इसे करना नहीं चाहते। इसलिए आपको अपनी जिम्मेदारी दूसरों लोगों के पास आउटसोर्स कर देनी चाहिए। यह कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसके बारे में आप ऊँचे ख्याल रखते हैं, कोई जो यूपीएससी क्रैक करने में अनुभवी है या कई-कई बार परीक्षायें दे चुका है। वे आपको अपने लक्ष्य से नहीं भटकने में मदद करने के लिए अपने बहुमूल्य अनुभव का प्रयोग करेंगे। इस प्रकार आपको कोई निर्दिष्ट टास्क पूरा करने के लिए न केवल खुद के प्रति, बल्कि उस व्यक्ति या सिस्टम के प्रति भी जिम्मेदार होना पडेगा।

एक बड़ी छलांग के बदले रोजाना सुधार और छोटी-छोटी उपलब्धियों पर फोकस करें यूपीएससी में सफलता समय की एक अवधि में छोटी-छोटी मापनीय उपलब्धियों से जुड़ी है। एक बात याद रखें। निरंतरता हमेशा ही तीव्रता को हरा देती है। नए गोल तय करना आसान है, और नए जोश के साथ शुरुआत करना भी आसान हो सकता है। लेकिन अपने दैनिक रूटीन और टारगेट्स के साथ निरंतरता कायम रखना आसान नहीं होता। यही वह बिंदु है जहाँ हमें कुछ प्रैक्टिकल, लाइफ-सेविंग हैक्स की ज़रुरत महसूस होती है। थोड़ा ब्रेक लें, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और एकांत से बचें

हर आदमी की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। आप थक जायेंगे और कुछ ही हफ़्तों में थका-हारा महसूस करने लगेंगे। जब पूरी तरह थक चुके हों, मन उचाट लगने लगे तब खुद को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए इंतज़ार नहीं करें। अपने यूपीएससी टाइमटेबल में ब्रेक को शामिल करें, पढ़ाई से ब्रेक लेने के दौरान एक्‍सरसाइज करें, पढ़ाई से अलग गतिविधियाँ, या कोई शारीरिक गतिविधि अपनायें, कुछ भी जो आपके मन को ताजगी दे सके, और समाज से जुड़ा हो। वे दिन चले गए जब एकांत में तैयारी करने का नियम हुआ करता था।भावनात्मक स्थिरता बनाए रखें

यूपीएससी में सफलता का एक और नजरिया है इस डेढ़-वर्षीय लम्बे सफ़र में भावनात्मक रूप से तंदुरुस्त बने रहना। आपनी निरंतरता का उच्चतम स्तर हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा भावनात्मक होती है। हर समय डर या उदासी जैसे नकारात्मक विचारों से घिरे रहने की प्रवृत्ति होती है। इसके बदले इन भावनात्मक समस्याओं को हल करें, अनेक लोग इन्‍हें नजरअंदाज करते हैं, क्योंकि यह उन्हें बहुमूल्य समय की बर्बादी लगती है। लेकिन आपको यह समझना होगा कि भावनात्मक कष्टों को नजरअंदाज करने से उनका समाधान नहीं होता है। असल में होता यह है कि आप एक भावनात्मक टाइम बम बनाते चले जाते हैं, जो आपकी मेन्स या प्रीलिम्स के एक सप्ताह पहले ही फट सकता है।

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