ब्राह्मण समर्पण भाव से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभायेगा

० योगेश भट्ट ० 
जयपुर। धार्मिक आस्था की धरती भुवनेश्वर (उड़ीसा) से ब्राह्मणों ने हुंकार भरी और समाज को एकजुट एवं एक मंच पर लाने में जुटी सर्व ब्राह्मण महासभा लगातार देश के कोने कोने में मौजूद बुद्धिजीवी, चिंतकों की बीच अपनी बात पहुंचा रही है। दिल्ली, यूपी, एमपी, गुजरात, हिमाचल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ राजस्थान सहित 22 राज्यों में अपनी मजबूत पहचान बना चुकी है, सर्व ब्राह्मण महासभा। ब्राह्मण सनातन काल से सबको साथ लेकर चलाता आया है। सभी जाति-धर्म-सम्प्रदाय को राह दिखाना और उनके सुख दुख में सहभागी के रूप में ब्राह्मण रहा है। ब्राह्मण जन्म, मरण, परण जैसे कर्मो में हर समाज के साथ रहता है और देश की आजादी के समय किये गये बलिदान को कोई भूल नही सकता है। ब्राह्मण समर्पण भाव से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभायेगा। 
ब्राह्मण देश हित में काम करता है और करता रहेगा, ये बात ग्लोबल ब्राह्मण फेडरेशन एवं सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने कही। समाज हित में 15 प्रस्ताव पर चर्चा हुई। जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। उड़ीसा के राष्ट्रीय समन्वयक संतोष मिश्रा ने कहा कि सर्व ब्राह्मण महासभा की जड़ों को देवभूमि में मजबूत करते हुए ब्राह्मणों को एकजुट कर रहे है तथा पूरे उड़ीसा में सर्व ब्राह्मण महासभा को मजबूत और संगठित किया जाएगा। उड़ीसा के अध्यक्ष रवि नारायण महामात्र ने कहा कि ब्राह्मण पुरे विश्व का कल्याण के बारे में सोचता है और हमेशा विश्व कल्याण की ही बात करता है। वह कभी भी जातिगत बात नहीं करता है।

राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि ब्राह्मणों ने सदैव देश को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। ब्राह्मणों को सिर्फ सम्मान चाहिए। अगर ब्राह्मणों को अपमानित करने का काम किया जाएगा तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर सर्व ब्राह्मण महासभा उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पाराशर, उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री आचार्य नरेश शर्मा, उड़ीसा के राष्ट्रीय समन्वयक संतोष मिश्रा, प्रदेशाध्यक्ष रवि नारायण महापात्र, प्रदेश महामंत्री नारायण महापात्रा, पूर्णिमा दास, प्रफुल्ला महापात्र सहित सैकड़ों की संख्या में विप्रजन उपस्थित रहे।

प्रस्ताव, जो प्रमुख रूप से हैं ब्राह्मण देश हित में देश की अखंडता को बनाए रखने और पूरे विश्व में भारत देश का परचम लहराने के लिये सदैव तत्पर रहेगा। 2. ब्राह्मणों के आराध्य देव भगवान परशुराम जयंती पर पूरे देश में अवकाश की घोषणा करवाने हेतु देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों से मांग करते हैं कि करोडो ब्राह्मणों के आराध्य देव की जयंती पर अवकाश की घोषणा कि जाये । 3. देषभर में गौ हत्या पर पाबंदी लगाई जाये, गाय माता में सभी देवताओं का वास माना गया है और सनातन परम्परा में गाय का स्थान सर्वोपरि रहा है।

देशभर में ब्राह्मण शिक्षण संस्थाओं का निर्माण और उच्च शिक्षा हेतु छात्र-छात्राओं को सहयोग के लिये पुरे देष में एक ठोस योजना बनाई जायेगी। 5. ब्राह्मण समाज की अनुमानित जनसंख्या कितनी है उसका ब्यौरा इकट्ठा करने के लिये प्रत्येक जिले में आने वाले 3 माह में कमेटी का गठन किया जायेगा। 6. 1 लाख समाज की प्रतिभाओं को एक साथ एक ही दिन में सम्मानित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने हेतु प्रयास किया जायेगा।
7. ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड के निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर प्रत्येक वर्ष भगवान परशुराम जयंती समारोह में लगाये जायेगें।8. ब्राह्मण गुरुकुल की स्थापना की जायेगी साथ कौशल विकास जैसे कार्यक्रम भी हाथ में लिये जायेगें।

प्रत्येक राज्य के प्रमुख आईएएस, आईपीएस, न्यायिक अधिकारी, सरकारी अधिकारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं, सांसद, विधायक, पार्षद, पंचायत समिति सदस्य व सरपंच एवं समाज के गणमान्य व्यक्तियों की सूची तैयार की जायेगी। 10. छोटे कस्बों व गांवों में समाज के लोगों को संगठन से किस प्रकार जोडा जाये, किस प्रकार उनकी समस्याओं का समाधान किया जाये, उस पर विशेष कार्य योजना बनाई जायेगी। साथ ही सामाजिक कुरूतियों को रोका जायेगा। 11. सत्ता में पर्याप्त भागीदारी हो इसके लिये प्रत्येक परिवार में राजनीतिक सक्रियता बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा तथा वो मतदान अवश्य करें उसके लिये प्रेरित किया जायेगा।

 देशभर के मंदिरों, मठों और देवालयों पर सरकार की अनावश्यक दखल अंदाजी को बंद करवायेगें। 13. प्रत्येक जिले में तहसील, गांव, ढाणी स्तर तक प्रत्येक वर्ष भगवान परशुराम जयंती समारोह आयोजित करना।14. प्रत्येक जिले में मेधावी छात्रों का प्रतिभा सम्मान समारोह व शिक्षा हेतु सहायता कोष की स्थापना करना। 15. राष्ट्रीय स्तर पर ब्राह्मण शिरोमणि, प्रदेश स्तर पर ब्राह्मण रत्न, जिला स्तर पर ब्राह्मण गौरव इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना। साथ ही सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के माध्यम से शादी विवाह में फिजूल खर्च को रोकने का प्रयास।

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