हंसराज कॉलेज में स्नातकोत्तर अंतर महाविद्यालय स्वरचित कविता प्रतियोगिता
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली - हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में हंसराज कॉलेज में स्नातकोत्तर अंतर महाविद्यालय स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन हुआI
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ ओम निश्चल, वरिष्ठ कवि एवं समीक्षक और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ वीणा गौतम, पूर्व प्राचार्या लक्ष्मीबाई कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की गरिमापूर्ण उपस्थिति रहीI इसमें दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष इंदिरा मोहन, महामंत्री प्रोफेसर रवि शर्मा 'मधुप' तथा हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर रमा का सान्निध्य प्राप्त हुआI
नयी दिल्ली - हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में हंसराज कॉलेज में स्नातकोत्तर अंतर महाविद्यालय स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन हुआI
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ ओम निश्चल, वरिष्ठ कवि एवं समीक्षक और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ वीणा गौतम, पूर्व प्राचार्या लक्ष्मीबाई कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की गरिमापूर्ण उपस्थिति रहीI इसमें दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष इंदिरा मोहन, महामंत्री प्रोफेसर रवि शर्मा 'मधुप' तथा हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर रमा का सान्निध्य प्राप्त हुआI
कार्यक्रम का संयोजन प्रोफेसर हरीश अरोड़ा, पीजीडीएवी कॉलेज एवं सह संयोजन डॉ मनीष, सहायक प्रोफेसर, हंसराज महाविद्यालय द्वारा किया गया I प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. नीलम सिंह, उपाध्यक्ष, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं डॉ. नीलम वर्मा, विख्यात कवयित्री एवं नृत्यांगना सम्मिलित थींI मंच का कुशल संचालन डॉ. सुधा शर्मा 'पुष्प', वरिष्ठ शिक्षाविद एवं बाल साहित्यकार ने किया I गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. सुधांशु शुक्ल, राकेश शर्मा, आरती अरोड़ा, डॉ. महेंद्र प्रजापति, डॉ. विजय कुमार मिश्र, सुनील विज, नवीन झा की उपस्थिति रही I
प्रतियोगिता में प्रो. रवि शर्मा 'मधुप' ने प्रतियोगिता के स्वरूप एवं नियमों की जानकारी दी I इस अवसर पर अपना वक्तव्य देते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर ओम निश्चल ने कविता संसार एवं कविता परंपरा पर प्रकाश डाला I कविता परंपरा में छंदों का महत्व बताया I उन्होंने कहा कि कल्पना के खिलने से कविता का सृजन होता है I विशिष्ट अतिथि डॉ वीणा गौतम जी ने कहा कि कविता छंदों से लोकप्रिय हुई है I कविता गीत एवं नव गीत के रूप में भी उभरकर सामने आई है I कवि ज्ञान के सरोवर में अपनी कलम डुबोकर लिखते हैं I श्रीमती इंदिरा मोहन ने कहा कि यह अमृत काल है I हमें अपने भीतर के अमृत को समझना एवं पहचानना होगा I हमें पूर्णता को पहचानना चाहिएI कविता में पड़ाव तो होते हैं परंतु प्राचीर नहीं I कविता सबको अपनाना चाहती है I
प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों के कुल 40 विद्यार्थियों ने भाग लिया | – प्रथम स्थान, पुष्पराज द्विवेदी –– द्वितीय स्थान, प्रिया झा –– तृतीय स्थान, कुमार मंगलम मिश्रा –– प्रोत्साहन पुरस्कार, नेहा शुक्ला –– प्रोत्साहन पुरस्कार इसमें प्रथम पुरस्कार मेधा राजौरिया – NCWEB, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय पुरस्कार पुष्पराज द्विवेदी, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, तृतीय पुरस्कार प्रिया झा, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं दो प्रोत्साहन पुरस्कार - कुमारमंगलम मिश्रा,
प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों के कुल 40 विद्यार्थियों ने भाग लिया | – प्रथम स्थान, पुष्पराज द्विवेदी –– द्वितीय स्थान, प्रिया झा –– तृतीय स्थान, कुमार मंगलम मिश्रा –– प्रोत्साहन पुरस्कार, नेहा शुक्ला –– प्रोत्साहन पुरस्कार इसमें प्रथम पुरस्कार मेधा राजौरिया – NCWEB, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय पुरस्कार पुष्पराज द्विवेदी, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, तृतीय पुरस्कार प्रिया झा, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं दो प्रोत्साहन पुरस्कार - कुमारमंगलम मिश्रा,
हिंदू कॉलेज एवं नेहा शुक्ला, विवेकानंद कॉलेज ने प्राप्त किए I विजेताओं को प्रमाण पत्र, पुस्तकें और नगद पुरस्कार स्वरूप क्रमशः 1200/-, 1000/-, 700/-, 500/-,500/- रुपए दिए गए I कार्यक्रम के अंत में राकेश शर्मा, संगठन मंत्री, दि.हि.सा. सम्मेलन ने सभी का धन्यवाद किया और प्रोफेसर रमा से इसको वार्षिक रूप से आयोजित करने का निवेदन किया, जिस पर उन्होंने अपनी सहर्ष स्वीकृति दी I
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प्रो रवि शर्मा 'मधुप'
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ।