कैलीग्राफी में अनोखा प्रयास - 73 साल के अनुभवी विशेषज्ञ बच्चों को सिखा रहे हैं
जयपुर। कैलीग्राफी अपने आप में एक विज्ञान है, यह केवल राइटिंग सुधारना मात्र ही नहीं है। दरअसल यह गणित पर आधारित है। अक्षरों की बनावट गणित के कोण पर आधारित होती है। मसलन सामान्य राइटिंग नब्बे डिग्री के कोण पर लिखी जाती है जबकि कर्सिव राइटिंग लिखते समय पैंतालीस डिग्री के कोण का ध्यान रखा जाता है। वहीं अंकों का अनुसरण कर अक्षरों की प्रभावी बनावट तैयार की जाती है। यह तो एक उदाहरण मात्र है। एक कलम एक ही शब्द को कई अलग अलग तरीके से लिख देती है।
कैम्प में लगाई जा रही कैलीग्राफी की क्लास में बच्चों को पेंसिल से लेकर कलम दवात के बारे में बताया जाएगा। क्लासेज की शुरुआत में बच्चों को पेंसिल से लिखना सिखाया जा रहा है। उनकी राइटिंग को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इन बच्चों में जैसे- जैसे सुधार आता है वैसे-वैसे बच्चों को कलम दवात थमाई जाती है। हरिशंकर बालोठिया कहते हैं कि मैं बच्चों के लिए अपने हाथ से कलम बना रहा हूं।
वे बताते हैं कि हर विधा अभ्यास मांगती है। बात कैलीग्राफी की करें तो इसमें भी अभ्यास बहुत जरूरी है। प्रैक्टिस की कमी ही बच्चों की लेखनी को सुंदर बनने से रोकती है। बच्चे यहां से सीखते हैं, लेकिन घर पर अभ्यास नहीं करते, अब ऐसे में माता पिता को भी ध्यान देना जरूरी है। जो बच्चे अभ्यास करते हैं, उनमें बेहतरी देखने को मिलती है। घर पर अभ्यास से ही हैंडराइटिंग सही हो सकती है।
73 साल के अनुभवी हाथ, कागज पर चलते हैं तो मानो अक्षर की जगह मोती उकेर जाते हैं। अब वे अपना अनुभव बच्चों से साझा कर रहे हैं। उनके लेखन को, उनकी हैंडराइटिंग को सुधारने में जुटे हैं। जवाहर कला केंद्र के जूनियर समर प्रोग्राम (कैम्प) में अपने तजुर्बे से बच्चों की लेखनी निखारने में लगे हुए हैं कैलीग्राफी एक्सपर्ट हरिशंकर बालोठिया। कैम्प की इस क्लास में एक तरफ जहां बच्चों में सुधार लाने की प्रक्रिया जारी है, वहीं उन्हें अपनी जड़ों की ओर भी ले जाया जा रहा है। समाज का भविष्य माने जाने वाले बच्चों के हाथों को एक जमाने में काम में ली जाने वाली कलम और दवात से लिखने की सीख भी दी जा रही है।
कैम्प में लगाई जा रही कैलीग्राफी की क्लास में बच्चों को पेंसिल से लेकर कलम दवात के बारे में बताया जाएगा। क्लासेज की शुरुआत में बच्चों को पेंसिल से लिखना सिखाया जा रहा है। उनकी राइटिंग को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इन बच्चों में जैसे- जैसे सुधार आता है वैसे-वैसे बच्चों को कलम दवात थमाई जाती है। हरिशंकर बालोठिया कहते हैं कि मैं बच्चों के लिए अपने हाथ से कलम बना रहा हूं।
वे बताते हैं कि हर विधा अभ्यास मांगती है। बात कैलीग्राफी की करें तो इसमें भी अभ्यास बहुत जरूरी है। प्रैक्टिस की कमी ही बच्चों की लेखनी को सुंदर बनने से रोकती है। बच्चे यहां से सीखते हैं, लेकिन घर पर अभ्यास नहीं करते, अब ऐसे में माता पिता को भी ध्यान देना जरूरी है। जो बच्चे अभ्यास करते हैं, उनमें बेहतरी देखने को मिलती है। घर पर अभ्यास से ही हैंडराइटिंग सही हो सकती है।
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