आधुनिक शिक्षा ही जलवायु परिवर्तन की आपदा लेकर आई है : राजेंद्र सिंह

० आशा पटेल ० 
जयपुर - आर्च फाउंडेशन एवं लायंस क्लब जयपुर डायमंड के संयुक्त तत्वावधान में फोर्टी,रोटरी क्लब जयपुर सिटीजन,अंतर राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन जयपुर, जे एस जी सेंट्रल संस्था,श्याम नगर विकास समिति,सर्व ब्राह्मण महा सभा,नेमीनाथ सांवलिया ट्रस्ट के सहयोग से जल संरक्षण पर तोतुका भवन मे सेमिनार आयोजित की गई। मुख्य समन्वयक अजय अग्रवाल ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए गोष्ठी के आयोजन पर प्रकाश डाला।
मुख्य सलाहकार सुधीर जैन गोधा ने जल संरक्षण पर अपने व्यक्तिगत अनुभव शेयर किए। सेमिनार को संबोधित करते हुए पर्यावरणविद सुनील पचार ने बताया कि जयपुर शहर के योजनाकारों ने आज से 500 वर्ष पूर्व ही जल संरक्षण के ढांचे बना दिए गए थे एवं जल के रीसाइक्लिंग के महत्व को समझ लिया था।

आर ए एस रणवीर सिंह परिहार ने अपने उद्बोधन में बताया कि राजस्थान में ज्यादा सुखा पड़ता है,यहां जल संरक्षण की ज्यादा आवश्यकता है।की नोट स्पीकर वाटरमैन राजेंद्र सिंह ने अपने उद्बोधन में पहाड़ों,नदियों व प्रकृति को बचाने के लिए प्रयास करने की जरूरत बताई। भारत के राजाओं ने जल संरक्षण के महत्व को समझा। उन्होंने बताया की आधुनिक शिक्षा ही जलवायु परिवर्तन की आपदा लेकर आई है। वर्षा जल का संरक्षण कैसे किया जाता है पर विस्तार से बताया उन्होंने बताया की भारत में 17 राज्य व 365 जिले सूखे का सामना कर रहे है व 190 जिले हर साल बाढ़ का सामना करते है।

सेमिनार में महावीरजी क्षेत्र के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, आई वी एफ राजस्थान के महा सचिव गोपाल गुप्ता,लायंस गवर्नर रोशन सेठी,समन्वयक लायन रमेश गुप्ता,लायन शंकर सिंह खंगारोत, सीए संजय पाबूवाल,रोटेरियन रवींद्र नाथ गुप्ता,संजय सिंह वैध,विजय गोयल,योगी मनीष विजय वर्गीय व बड़ी संख्या में सभी संस्थाओं के सदस्य मौजूद थे। सेमिनार का कुशल संचालन एंकर प्रीति सक्सेना ने किया। अंत में कार्यक्रम के समन्वयक लायन अनिल बाफना ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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