‘साइकिल से दुनिया की सैर’ का लोकार्पण

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली. 
हिंदी में प्रकाशन से पूर्व ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ बांग्ला में ‘सुदूरेर पियासी’ नाम से प्रकाशित और अत्यंत चर्चित रही है। इस पुस्तक में बिमल दे ने अपने उन अनुभवों को अंकित किया है जिनका उनकी चिंतन–धारा पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा। यह पुस्तक उनके सबसे साहसी यात्रा–अभियान पर केन्द्रित है। पांच वर्षों में पूरी हुई यह यात्रा उन्होंने साइकिल से की थी। वर्ष 1967 में कोलकाता से शुरु हुआ उनका यह सफ़र ईरान, तुर्की, रूस, अफगानिस्तान, इराक, सूडान, मिस्र, इटली, स्वीटजरलैंड, स्पेन, मोरक्को, फ़्रांस, अमेरिका आदि देशों और उनके प्रमुख शहरों से होते 1972 तक जारी रहा।
राजकमल प्रकाशन एवं कुंजुम बुक्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित लेखक से मिलिए कार्यक्रम में बांग्ला के विख्यात यात्रावृत्तकार एवं यात्री-पवर्तारोही बिमल दे की पुस्तक ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ का लोकार्पण बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक गीतांजलि श्री द्वारा कुंजुम बुक्स, एम ब्लाक ग्रेटर कैलाश में किया गया। लोकार्पण के बाद घुमक्कड़ लेखक अजय सोडानी ने विमल दे से उनकी किताब पर बातचीत की। अजय सोडानी प्रकृति प्रेमी लेखक हैं और हिमालय पर लिखी गयी उनकी किताबें बहुचर्चित हैं।

 लोकार्पण कार्यक्रम में राजकमल प्रकाशन समूह के कमीशनिंग एडिटर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “अनजानी जगहों के प्रति जिज्ञासा और साईकिल से कैसे दुनिया को जाना जा सकता है, यह बिमल दे ने अपनी इस पुस्तक में बहुत दिलचस्प तरीके से लिखा है।" घुमक्कड़ लेखक अजय सोडानी ने कहा, “जब मैंने पांच साल पहले यह पुस्तक पढ़ी तो लगा यह कोई इंसान नहीं कर सकता है, यह किसी महामानव का काम है। मैं अक्सर सोचा करता था, कैसे होते होंगे ये लोग कैसे दिखते होंगे, क्या खाते होंगे, कैसे लिखते होंगे और जब मैंने बिमल दे को देखा तो पता लगा ये तो आम इंसान की ही तरह हैं। लेकिन फर्क था दिलो दिमाग में, जो इनके पास अलग है और इन्हें मानव से महामानव बना रहा है।"

लेखक बिमल दे ने साइकिल से दुनिया की यात्रा के दौरान के दिलचस्प किस्सों, घटनाओं का अनुभव उपस्थित पाठकों से साझा किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने दुनिया की सैर करने का फैसला किया तो उनके जेब में केवल 16 रुपए थे। उन्हें पता नहीं था कि यह कैसे संभव हो पायेगा। लेकिन अगर आपके इरादे नेक और ईमानदार हो तो भगवान भी आपकी हेल्प करता है।

 भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर जगह प्यार है, जो मुझे भी मिला, धीरे-धीरे लोग मेरे सपोर्ट में आये। मैं दुनिया को अपनी नजरों से देखना चाहता था। यह इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति के कारण ही संभव हो पाया। आगे उन्होंने दुनिया की अपनी सैर के दौरान आये रोमांचित क्षणों एवं कठिनाईयों को भी साझा किया

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