भाजपा नें आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावी समर के लिए रणनीति बनाई

० विनोद तकियावाला ० 
नयी दिल्ली - भाजपा ने चार राज्यों के विधानसभा व आगामी वर्ष लोकसभा 2024 सफलता के लिए संगठन व सरकार में गहन मैराथन मंथन शुरू कर दी है।पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा आगामी विधानसभा व लोक सभा के चुनावी समर क्षेत्र में विजयश्री के लिए विशेष रणनीति बनाई है। स्वंय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इन दिनों देश की सम्पूर्ण तुफानी दौरा व नए परियोजनाओं की शिलान्यास ' व नई घोषणा इस बात का सबसे बडा प्रमाण है।वही भाजपा नें पार्टी के संगठनात्मक संरचना में कई बदलाव के बड़े संकेत दिए है।इसी कम में विगत दिनों दो केंद्रीय मंत्रियों को दी बड़ी जिम्मेदारी सौपी है जो चार राज्यों के विधानसभा के चुनाव व आगामी लोकसभा 24 के आम चुनावों में जीत की रणनीति पर काम करेंगे।आप को बता दें कि भाजपा
ने चार राज्यों में चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त किए है।

भूपेंद्र यादव ,केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को मध्यप्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया है।वहींअश्विनी वैष्णव रेल मंत्री को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी है।सर्व विदित रहे कि इसी बर्ष के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले है। आप को बता दे कि भूपेन्द्र यादव चुनावी रणनीति में माहिर माने जाते हैं। वहीं अश्विनी बैष्णव आईटी एक्सपर्ट हैं।वह भारतीय प्रशानिक सेवा से सेवा निवृत अ अधिकारी व पीएम मोदी के विश्वसनीय पात्र हैं। यही नहीं, वैष्णव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी काम कर चुके हैं। राजनीति के विशेष नजर रखने वाले का मानना है कि इन दोनों नेताओं के प्रभारी बनने से यह साफ हो गया है कि बीजेपी की केन्द्रीय टीम मध्यप्रदेश के चुनाव पर सीधे नजर रखेगी। इसके पूर्व गुजरात के चुनाव प्रभारी रह चुके भूपेन्द्र यादव की मदद से राज्य के ओबीसी मतदाताओं को साधेगी।

मध्यप्रदेश में जाति के आधार पर ओबीसी वर्ग के 48 फीसदी वोटर्स हैं। राज्य के विधान सभा में 230 में से 60 विधायकओबीसी वर्ग से आते हैं।वर्तमान विधान सभा में 32 सीटों पर भाजपा और 28 सीटों पर कांग्रेस के ओबीसी विधायक काबिज हैं।भूपेन्द्र यादव के चुनाव प्रभारी बनने से ओबीसी वर्ग के वोटर्स खासकर यादव मतदाताओं पर भी असर पड़ेगा। राज्य में करीब 18 से 20 सीटें ऐसी हैं,जहां यादव मतदाताओं निर्णायक भूमिका में हैं। केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव गुजरात में भी विधानसभा चुनाव के प्रभारी रह चुके हैं।उन्होनें अपनी रणनीति व कुशल नेतृत्व में182 सीटों में से भाजपा को156सीटें जीतने में सफलता मिली थी।

वही राजस्थान के जोधपुर में 18 जुलाई 1970 को जन्मे अश्विनी वैष्णव पूर्व आईएएस अधिकारी हैं।वह वर्तमान में 2021 से 39वें रेल मंत्री,55वें संचार मंत्री और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। 2019 से ओडिशा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले,1994 में वैष्णव ओडिशा कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए।उन्होंने ओडिशा में काम किया है।उन्होंने बालासोर और कटक जिलों के कलेक्टर के रूप में कार्य करने समेत ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में काम किया। सुपर साइक्लोन 1999 के समय वह चक्रवात के वास्तविक समय और स्थान से संबंधित डेटा एकत्र करने में कामयाब रहे।उस डेटा को एकत्र करके ओडिशा सरकार ने लोगों के लिए सुरक्षा उपाय किए।उन्होंने 2003 तक ओडिशा में काम किया, जब उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उपसचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।

केन्द्र ने जिन दोनों नेताओं को मप्र के विधानसभा चुनाव की कमान सौंपी है।वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त रहे हैं। ऐसे में मप्र में होने वाले राजनीतिक फैसलों और गतिविधियों पर पीएम मोदी की सीधी नजर रहेगी।यादव जहां म प्र की परिस्थियों को लेकर जमीनी जानकारी जुटाएंगे,तो वैष्णव आईटी सेक्टर के अनुभव के आधार पर चुनावी रणनीति बनाएंगे। वही दुसरी ओर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की दबी जुबान से होने लगी है।भारतीय राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले का मानना है कि जल्द ही मोदी मंत्रो मण्डल में फेर बदल व विस्तार हो सकती है।उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास में 29 जून को नरेंद्र मोदी,अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच चले 4 घंटे की मेराथन मीटिंग के बाद से ही कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई जा रही है।

आप को याद होगा कि 2021 में आखिरी बार मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ था।उस वक्त 43 मंत्रियों ने शपथ ली थी।जिसमें रविशंकर प्रसाद,हर्षवर्धन और प्रकाश जावेड़कर जैसे मंत्रियों को हटाया गया था।वहीं दुसरी ओर अनुराग ठाकुर,किरेन रिजीजू और पुरुषोत्तम रुपाला का प्रमोशन हुआ था। इन विस्तार के पीछे तर्क दिये जाते है कि जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं,वहां के नेताओं को विशेष तरजीह मिलती है,जबकि चुनाव संपन्न हुए राज्यों के मंत्रियों का पत्ता कटता है।

केंद्रीय मंत्री मंडल के इस संभावित फेरबदल में माना जा रहा है कि गुजरात कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है।वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी,अमित शाह,मनसुख मांडविया,परषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवू सिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा मंत्री हैं।सुत्रों का मानना है कि राज्य के कोटे से मंत्रियों की अगर छंटनी होती है,तो मनसुख मांडविया,परषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश की कुर्सी पर अधिक खतरा है।गुजरात से मोदी कैबिनेट में सीआर पाटिल को शामिल किए जाने की चर्चा तेज है।हाल के गुजरात चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत में पाटिल ने अंहम भूमिका निभाई थी।

संगठन में नए उत्तरादायित्व सौपे जाने के कारण कैबिनेट से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान की भी बिदाई हो सकती है।सता के सियासी गलियारों में दोनों को संगठन में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है।पीयूष गोयल को अगर कैबिनेट से हटाया जाता है,तो उन्हें राजस्थान बीजेपी का प्रभार मिल सकता है ।गोयल पिछले15 दिन में 3 बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं। राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह के पास मुख्यालय का भी प्रभार है।वहीं कैबिनेट से अगर धर्मेंद्र प्रधान की छुट्टी होती है,तो उन्हें यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है।यूपी का प्रभार अभी राधामोहन सिंह के पास है।

राजनीति के पंडितो का मानना है कि मोदी कैबिनेट के फेरबदल में बिहार-यूपी के मंत्रियों का भी पत्ता कट सकता है।मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से 20 मंत्री हैं।बिहार से अश्विनी चौबे पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है।तीनों में से कम से कम 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है।पिछले कैबिनेट विस्तार में ही चौबे को हटाए जाने की चर्चा थी,लेकिन अंतिम वक्त में उनका सिर्फ विभाग बदला था।उर्जा मंत्री आरके सिंह की भी कुर्सी पर संकट है।फरवरी 2023 में सिंह का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था,जिसमें सिंह फाइल रोके जाने पर प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की बात कर रहे थे।वहीं बीजेपी के चिराग प्रेम से पारस की कुर्सी पर भी संकट है।

 2021 में लोजपा तोड़ने के बाद पशुपति पारस को मंत्री बनाया गये थे।बिहार से चिराग पासवान की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है।जबकि बीजेपी से संजय जायसवाल,अजय निषाद और राम कृपाल यादव में से एक को मंत्री बनाया जा सकता है।उत्तर प्रदेश से महेंद्रनाथ पांडेय, अजय मिश्र टेनी समेत 4 मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है।यूपी कोटे से संजीव बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है। महेन्द्र नाथ पाण्डेय की जगह ब्राह्मणों को साधने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी या हरिश द्विवेदी को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।वाजपेयी और द्विवेदी दोनों अभी राष्ट्रीय संगठन में कार्यरत हैं।

मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से अभी 8 मंत्री हैं।इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल,नारायण राणे और रामदास आठवले का नाम प्रमुख हैं।महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है।अगर यह प्रस्ताव माना जाता है,तो बीजेपी अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है।बीजेपी के नए समीकरण में भारती पवार,राव साहेब दानवे और नारायण राणे की कुर्सी भी जा सकती है।महाराष्ट्र में शिंदे गुट से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है। बात कर्नाटक की करें तो यहां से 6मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं।इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का नाम प्रमुख है।कर्नाटक के 6 में से 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है।केंद्रीय मंत्री शोभा करंदजाले के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा जोरों पर है।

कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद से ही बीजेपी नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है।मोदी कैबिनेट में कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना और तमिलनाडु की भी भागीदारी बढ़ सकती है।तेलंगाना से एक और तमिलनाडु से 2 मंत्री बनाए जा सकते हैं।तमिलनाडु में सहयोगी एआईएडीएमके को एक मंत्री पद दिया जा सकता है।एआई ए डी एमके कोटे से एम थंबीदुरई मंत्री बनाए जा सकते हैं। तेलंगाना से मंत्री बनने की दौड़ में सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद का नाम रेस में सबसे आगे है।एमपी,राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर सबकी नजर मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल में एमपी,

राजस्थान और छत्तीसगढ़ को अधिक तरजीह मिलने की चर्चा है।तीनों राज्यों से वर्तमान में10 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं।इनमें से1-2का पत्ता कट सकता है।हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों से बीजेपी के पास 62 सांसद हैं।ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी विस्तार में मध्य प्रदेश को 3,छत्तीसगढ़ को2और राजस्थान को 2और मंत्री पद मिल सकता है।नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार में कुल 79 मंत्री बनाए जा सकते हैं।वर्तमान में 78 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं।सिर्फ1पद रिक्त है।पिछली बार कैबिनेट विस्तार में12मंत्रियों का इस्तीफा हुआ था।36 नए मंत्रियों का उस वक्त शपथ हुआ था,जबकि 7मंत्री प्रमोट किए गए थे।

हालांकि,इस बार ज्यादा स्पेस नहीं है।नए मंत्री बनाने के लिए पुराने मंत्रियों को हटाना होगाIऐसे में संभावनाएं जताई जा रही है कि खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों को हटाने की बजाय विभागों में बदली जा सकतीहैं।राजनीति में ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो कोई भविष्य वक्ता भी नहीं बता सकता है।क्योकि केन्द्र सिंघासन पर आसीन नेतृत्व के व्यक्तित्व से देशवासी भली भाँति परिचित है। वह कोई निर्णय लेने के लिए उसे वाध्य नही कर सकता है।कुछ राजनीतिज्ञों का मानना है कि केन्द्रीय मंत्री मंडल में विस्तार नही कर अपनी सुझ बुझ से पार्टी संगठन के संरचना लगाया जाए ताकि पार्टी को अंसतोष गुट का कोप भाजन ना बनना पड़े व पार्टी अपनी विजय श्री का परचन पहरा सकें।

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