गांधी ने जिसको सत्य माना हमेशा उसके साथ अडिग रहे : डॉ. मिथिलेश
प्रयागराज : राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ के दूसरे दिन की शुरुआत 'अच्छी हिन्दी कैसे लिखें?' विषय पर आयोजित कार्यशाला से हुई। इस सत्र में विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने बच्चों को अच्छी हिन्दी लिखने और बोलने के गुर सिखाए। इस सत्र में अस्सी से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। लगभग दो घंटे चले इस बेहद रोचक सत्र में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों से लेकर शोधार्थियों तक ने बढ़ चढ़कर अपनी प्रस्तुति दर्ज कराई। विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने अच्छी हिन्दी हेतु कई महत्वपूर्ण किताबों की भी चर्चा की।
अगला सत्र 'हिंदी व्यंग्य और हरिशंकर परसाई' पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस सत्र में डॉ. बसंत त्रिपाठी, डॉ. दिनेश कुमार और डॉ. चित्तरंजन कुमार ने परसाई के जीवन और साहित्य पर बातचीत की। इस सत्र का संचालन शोधार्थी पुष्पेंद्र ने किया। डॉ. चित्तरंजन कुमार ने कहा कि परसाई अपने समाज के सजग लेखक हैं। परसाई को पढ़ते हुए कबीर की याद अक्सर आती है।
डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि जो स्थान कथा साहित्य में प्रेमचंद का है, कविता में मुक्तिबोध का है वही स्थान व्यंग्य में परसाई का है। डॉ. बसंत त्रिपाठी ने कहा कि परसाई एक ऐसा आईना हैं जिसके भीतर हम अपने अंदर की विद्रूपताओं को देख सकते हैं।
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