साहित्य, संस्कृति तथा ज्ञान का अद्भुत समागम है ‘ज्ञान पर्व

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली/ इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ का सोमवार को हुआ उद्घाटन। ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ विषय पर आयोजित की गयी कार्यशाला। उद्घाटन में शामिल हुए इलाहाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार, पाठक। अकादमिक जगत और छात्रों हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ का पहला दिन युवा पाठकों और पुस्तक प्रेमियों से भरा रहा। ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में 50 से अधिक विद्यार्थी जुड़े। प्रवीण शेखर जी ने विद्यार्थियों को ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ के गुर बताए। यह सत्र लगभग डेढ़ घंटे से अधिक चला।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केन्द्र के सभागार में 26 अगस्त तक आयोजित ‘राजकमल ज्ञानपर्व’ का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक प्रो. राजेन्द्र कुमार के कर-कमलों द्वार सम्पन्न हुआ।  इस अवसर पर ‘हिंदी प्रकाशन में इलाहाबाद का योगदान’ विषय पर चर्चा आयोजित की गयी। विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। 

उन्होंने कहा कि यह अवसर साहित्य, संस्कृति तथा ज्ञान का अद्भुत समागम है। उन्होंने साहित्यकारों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों का आह्वान किया कि वे इसका पूरा-पूरा लाभ उठायें। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि पुस्तक संस्कृति के उत्तरोत्तर विकास के लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के शिक्षकों तथा शोधार्थियों को एक साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए।

 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह ने कहा कि साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से अमर रहता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को यहाँ उपलब्ध ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें खरीदकर ज्ञानार्जन करना चाहिए जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। प्रख्यात गीतकार यश मालवीय ने इलाहाबाद की गौरवमयी साहित्यिक परम्परा का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह ने श्रेष्ठ हिन्दी साहित्य के विकास हेतु साहित्यिक तथा छात्रोपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन करके हिन्दी जगत को नयी गति प्रदान किया है।

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