संविधान के वास्ते, गांधी के रास्ते ˮविरासत बचाओ यात्राˮ बरेली में

० आशा पटेल ० 
बरेली - स्ंविधान के वास्ते, गांधी के रास्ते ˮविरासत बचाओ यात्राˮ का शुभारंभ 7 अक्टूबर को राजघाट नई दिल्ली से हुआ था। यात्रा का समापन 11 अक्टूबर को राजघाट वाराणसी में होगा। यात्रा शुरू होने से पहले दिल्ली के गांधी स्मारक निधि परिसर में सभा आयोजित की गई। जिसमें सुप्रसिद्ध गांधीवादी-समाजवादी विचारक रामचंद्र राही, प्रोफएसर आनंद कुमार, प्रोफेसर संदीप पांडे, गांधी पीस फाउंडेशन के निदेशक कुमार प्रशांत, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, खुदाई खिदमतगार के फैसल खान, एस. आर. हीरेमठ आदि ने संबोधित करते हुए 
राष्टपिता महात्मा गांधी के समातामूलक, समावेशी, सत्य, अहिंसा के रास्ते पर चलकर गांधी की विरासत आगे बढ़ाने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए शांति, सद्भाव, जाति-धर्म निरपेक्ष सामाजिक न्याय की स्थापता का आह्वान किया। यात्रा में दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड से प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं।
दिल्ली में विचार गोष्ठी के बाद सुबह 11 बजे यात्रा में शामिल लोगों ने गांधी समाधि स्थल पर पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। प्रोफेसर आनंद कुमार ने यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह गांधी, विनोबा, जय प्रकाश नारायण की विरासत को बचाने की लड़ाई है। वरिष्ठ गांधीवादी राम चंद्र राही ने कहा कि देश की आम जनता तानाशाही को जानती है। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महासचिव संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश के सामने दो विकल्प हैं गांधी का रास्ता चुनें अथवा हिंदुत्ववादियों का। आईटीएम यूनिवर्सिटी के पूर्व निदेशक रमाशंकर सिंह, विजय प्रताप ने भी हिस्सा लिया। गांधी समाधि स्थल से निकलकर यात्रा गाजियाबाद, संभल में सभा करते हुए बिलारी पहुंची।

रविवार 8 अक्टूबर को सुबह बिलारी में विशाल जनसभा के बाद यात्रा बरेली पहुंची। बरेली के जवाहर लाल नेहरू युवा केंद्र में जुटे स्थानीय गांधीवादी, समाजवादी साथियों ने यात्रियों का स्वागत किया। प्रोफेसर आनंद कुमार, प्रोफेसर संदीप पांडे और एस. आर. हीरेमठ ने यात्रा के उद्देष्यों के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि जोर देकर कहा कि वाराणसी में सर्व सेवा संघ के 1962 में स्थापित गांधी-जेपी की विरासत, जो सर्व सवा संघ का प्रकाशन स्थल भी था, को तानाशाही सरकार ने संविधान और कानून को ताक पर रखकर ध्वस्त करवा दिया। ऐसी तानाशाह सरकारों को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। कहा कि गांधीजन निर्मल लोग हैं और संविधान व कानून को मानते हैं। इसलिए सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर न्याय की मांग कर रहे हैं। इसलिए जनता की अदालत में जा रहे हैं। बुल्डोजर चलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

यात्रा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि सत्ता पर काबिज हिंदूत्व की राजनीति करने वाले गांधी विरोधी विचारधारा देश की एकता-अखंडता और बंधुता के लिए खतरा बनी हुई है, वो जाति-मजहब की राजनीति करके जनसरोकार के असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। ऐसे में, स्वतंत्रता, न्याय, समता, बंधुता के आधार पर एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ " विरासत बचाओ यात्रा" आयोजित की गई है। सभा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समातामूलक, समावेशी, सत्य, अहिंसा के रास्ते पर चलकर गांधी की विरासत आगे बढ़ाने और लोकतंत्र की मजबूती के लिए शांति, सद्भाव, जाति-धर्म निरपेक्ष सामाजिक न्याय की स्थापना और गांधी-अंबेडकर के संविधान की ररक्षा आह्वान किया गया

इससे पूर्व बरेली में विकल्प के संयोजक और गांधीवादी साथी राजनारायण के नेतृत्व में सैकड़ों गांधीवादी समाजवादी साथियों ने यात्रा का स्वागत किया। बरेली के बुद्धिजीवी साथियों ने यात्रा के मुद्दों का समर्थन किया और एकजुट होकर तानाशाही सरकारों के खिलाफ संघर्ष की मुहिम छेड़ने का ऐलान किया।
यात्रा में उत्तराखंड से जबरसिंह वर्मा, राजेश कुमार, बिहार से रविंद्र कुमार, अनुपम आशिश, महाराष्ट्र से भगवान सिंह, अमोल, उड़ीसा से रोशन, राजस्थान से गोपाल शरण, कर्नाटक के साथी क्लाईमस आदि शामिल हैं। पहले दिन यात्रा का रात्रि ठहराव बिल्लारी था।

 यात्रा बरेली से होते हुए लखनऊ पहुंचेगी। जहां सुप्रसिद्ध समाजसेवी और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर, डा सुनीलम् भी यात्रा से जुड़ेंगे ।यात्रा गांधी-विनोबा-जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति, सेर्व सेवा संघ, युसुफ मेहरअली सेंटर, लोक समिति, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, खुदाई खिदमतगार, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। यात्रा का संयोजन गुड्डी कर रही हैं।

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