‘गरिमा के स्वर : कवयित्री सम्मेलन’ का भव्य आयोजन
० डॉ. धीरेंद्र कुमार ० नयी दिल्ली- दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्त्वावधान में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के उपलक्ष्य में ‘गरिमा के स्वर : कवयित्री सम्मेलन’ का भव्य आयोजन हिंदी भवन में किया गया| कवयित्रियों ने जब कविता, गीत, ग़ज़ल के स्वर साधे तो श्रोता मंत्र-मुग्ध हो उठे| इस काव्य सम्मेलन का आरम्भ माँ सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन से हुआ| सुधा संजीवनी ने माँ शारदे की वंदना ‘ज्ञान की गंगा बहा दे माँ, प्रेम को विस्तार दे’ के रूप में की| ‘गरिमा के स्वर : कवयित्री सम्मेलन’ की अध्यक्षता कर रही श्रीमती इंदिरा मोहन (अध्यक्ष, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन) इंदिरा मोहन ने दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के इतिहास का संक्षिप्त परिचय देते हुए पहले महिला कवयित्री सम्मेलन (1976) को याद किया| काव्य संध्या में आमंत्रित अतिथियों और कवयित्रियों का स्वागत मंजू मित्तल ने किया| इस कार्यक्रम में दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से हिंदी की दो महत्त्वपूर्ण कवयित्रियों - डॉ. रमा सिंह और डॉ. रंजना अग्रवाल को वागीश्वरी सम्मान से सम्मानित किया गया| वागीश्वरी सम्मान समारोह का संचालन प्रोफे