विद्या गुप्ता की कहानी संग्रह 'मैं हस्ताक्षर हूं' का लोकार्पण
० योगेश भट्ट ०
दुर्ग छत्तीसगढ़ । विद्या गुप्ता की कहानियां ताकतवर स्त्रियों की कहानियां हैं, जिसमें पठनीयता के तत्व मौजूद हैं। इन कहानियों में संवेदनशील, पारिवारिक मूल्यों को सहेजने वाली सांस्कृतिक रूप से प्रतिबद्ध स्त्रियों के दर्शन होते हैं। आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि "छत्तीसगढ़ कथा सृजन के लिए सबसे उर्वर प्रदेश है, क्योंकि जैसी विविधता और लोक अनुभव यहां मिलेंगे वह अन्यत्र दुर्लभ हैं।" यहां कथाकार श्रीमती विद्या गुप्ता के कथा संग्रह 'मैं हस्ताक्षर हूं' के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
दुर्ग छत्तीसगढ़ । विद्या गुप्ता की कहानियां ताकतवर स्त्रियों की कहानियां हैं, जिसमें पठनीयता के तत्व मौजूद हैं। इन कहानियों में संवेदनशील, पारिवारिक मूल्यों को सहेजने वाली सांस्कृतिक रूप से प्रतिबद्ध स्त्रियों के दर्शन होते हैं। आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि "छत्तीसगढ़ कथा सृजन के लिए सबसे उर्वर प्रदेश है, क्योंकि जैसी विविधता और लोक अनुभव यहां मिलेंगे वह अन्यत्र दुर्लभ हैं।" यहां कथाकार श्रीमती विद्या गुप्ता के कथा संग्रह 'मैं हस्ताक्षर हूं' के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने की। आयोजन में कथाकार सतीश जायसवाल, परदेशी राम वर्मा,विनोद साव, आलोचक डा.सियाराम शर्मा, गुलवीर सिंह भाटिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पं. माधवराव सप्रे द्वारा लिखित 'एक टोकरी भर मिट्टी' हिंदी की पहली कहानी है। इस तरह छत्तीसगढ़ हिंदी कहानी की पुण्यभूमि भी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण जीवन भी है, वन्य जीवन भी है तो नागरबोध भी है। यहां के लोकजीवन और लोक-संस्कृति में किस्से भरे पड़े हैं। यहां की प्रदर्शन कलाएं, संगीत और लोकनाट्य में भी कथाएं अभिव्यक्त होती हैं।
उन्होंने कहा कि माधवराव सप्रे,पदुमलाल पन्नालाल बख्शी से लेकर आधुनिक दौर में भी शानी, विनोद कुमार शुक्ल, मेहरून्निशा परवेज, जया जादवानी जैसे अनेक कथाकारों ने छत्तीसगढ़ के कथा साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने कहा नये लेखक इन वरिष्ठ लेखकों से प्रेरणा लेकर सृजनात्मकता को धार दें। विद्या गुप्ता की कहानियां ताकतवर स्त्रियों की कहानियां हैं, जिसमें पठनीयता के तत्व मौजूद हैं। इन कहानियों में संवेदनशील, पारिवारिक मूल्यों को सहेजने वाली सांस्कृतिक रूप से प्रतिबद्ध स्त्रियों के दर्शन होते हैं।
इस अवसर पर वक्ताओं ने विद्या गुप्ता की अलग-अलग कहानियों पर अपनी टिप्पणी देते हुए उन्हें संवेदनशील लेखिका बताया।कार्यक्रम में भाजपा नेता कैलाश गुप्ता (बिलासपुर), डा.शाहिद अली, अनीता करडेकर, कांति सोलंकी आदि उपस्थित रहे।
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