श्रीराम जी करेगें भाजपा की चुनावी नैया पार ?
० विनोद कुमार सिंह ०
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की भुमिका वैश्विक राजनीति की हमेशा ही रहा है। भारतीय राजनीति व सता के गलियारों में सन 2024 होने वाते लोक सभा चुनाव के गरमी की चर्चा चहुँ दिशाओं हो रही है।सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में अपनी अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त है। खासकर केन्द्र की भाजपा सरकार के अपने समस्त शक्तियों लगाकर पुनः सता के सिंघासन पर आसीन होना चाहती है।इसका सबसे बडा प्रमाण इसी माह के 22 जनवरी कोअयोध्या में भव्य नवर्निमित राम मंदिर उद्घाटन है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की भुमिका वैश्विक राजनीति की हमेशा ही रहा है। भारतीय राजनीति व सता के गलियारों में सन 2024 होने वाते लोक सभा चुनाव के गरमी की चर्चा चहुँ दिशाओं हो रही है।सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में अपनी अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त है। खासकर केन्द्र की भाजपा सरकार के अपने समस्त शक्तियों लगाकर पुनः सता के सिंघासन पर आसीन होना चाहती है।इसका सबसे बडा प्रमाण इसी माह के 22 जनवरी कोअयोध्या में भव्य नवर्निमित राम मंदिर उद्घाटन है।
केद्र की भाजपा सरकार के लिए राम मंदिर निर्माण का श्रेय का सेहरा पहने के लिए कितना उतावली है। इससे लगाया जा सकता है कि बीते बर्ष के 27 दिनों के अन्दर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का तीन बार अयोध्या दौरे पर आना है। फिलहाल आप के मन अयोध्या के बारे में जानने उत्सुकता बडी गई होगी। आप के मन में कुछ प्रशन वह जिज्ञासा होगी कि आखिर अयोध्या में क्या है जो नरेन्द् मोदी को यहाँ आने के लिए विवस कर दिया है। अयोधया के बारे कुछ बताने का प्रयास कर रहा हूँ। बीते वर्ष 2023 के अन्तिम तीन दिनो तक मुझे भी अयोध्या को नजदीक से देखने का मौका स्वर्णिम अवसर मिला।भारत की प्राचीन नगरियों में से अयोध्या एक है।इसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।हिंदु धार्मिक ग्रंथों में सप्त पुरियों इस प्रकार है-
अयोध्या,मथुरा,माया(हरिद्वार),काशी,कांची,अवंतिका(उज्जयिनी)और द्वारका में शामिल किया गया है।अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है।स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा,'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है।अयोध्या नगरी में कई महान योद्धा,ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं।भगवान श्रीराम ने भी यहीं जन्म लिया था।वही जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।अयोध्या की गणना भारत की प्राचीन सप्तपुरियों में प्रथम स्थान पर की गई है।जैन परंपरा के अनुसार भी 24 तीर्थंकरों में से 22 इक्ष्वाकु वंश के थे। इन 24 तीर्थंकरों में से भी सर्वप्रथम तीर्थंकरआदिनाथ(
ऋषभदेव जी)के साथ चार अन्य तीर्थंकरों का जन्मस्थान भी अयोध्या ही है।बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था।अयोध्या नगरी की स्थापना सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान(सूर्य)के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी।माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे।ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ।कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे।वैवस्वत मनु के10 पुत्र-इल,इक्ष्वाकु,कुशनाम,
ऋषभदेव जी)के साथ चार अन्य तीर्थंकरों का जन्मस्थान भी अयोध्या ही है।बौद्ध मान्यताओं के अनुसार बुद्ध देव ने अयोध्या अथवा साकेत में 16 वर्षों तक निवास किया था।अयोध्या नगरी की स्थापना सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान(सूर्य)के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी।माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे।ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ।कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे।वैवस्वत मनु के10 पुत्र-इल,इक्ष्वाकु,कुशनाम,
अरिष्ट,धृष्ट,नरिष्यन्त,करुष,महाबली, शर्याति और पृषध थे।इसमें इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ।इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा,ऋषि,अरिहंत और भगवान हुए हैं।इक्ष्वाकु कुल में ही आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए।अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा।पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए।विष्णुजी ने उन्हें साकेत
धाम में एक उपयुक्त स्थान बताया।विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया।इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा।मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया,जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया।स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है।उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में जैसे कौशल,कपिलवस्तु,वैशाली
और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने ही राज्य कायम किए थे।अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर(झूंसी)के इतिहास का उद्गम ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से ही सम्बद्ध है।जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चंद्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र ऐल से जुड़ी है,जिसे शिव के श्राप ने इला बना दिया था,उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंश मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से प्रारम्भ हुआ। .
अयोध्या रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजधानी थी।पहले यह कौशल जनपद की राजधानी थी।प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था।बाल्मीकि रामायण के 5वें सर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है।भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था।इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा।रामचंद्र से लेकर द्वापरकालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकुओं के उल्लेख मिलते हैं।इस वंश का बृहद्रथ,अभिमन्यु के हाथों '
धाम में एक उपयुक्त स्थान बताया।विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया।इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा।मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया,जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया।स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है।उत्तर भारत के तमाम हिस्सों में जैसे कौशल,कपिलवस्तु,वैशाली
और मिथिला आदि में अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने ही राज्य कायम किए थे।अयोध्या और प्रतिष्ठानपुर(झूंसी)के इतिहास का उद्गम ब्रह्माजी के मानस पुत्र मनु से ही सम्बद्ध है।जैसे प्रतिष्ठानपुर और यहां के चंद्रवंशी शासकों की स्थापना मनु के पुत्र ऐल से जुड़ी है,जिसे शिव के श्राप ने इला बना दिया था,उसी प्रकार अयोध्या और उसका सूर्यवंश मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से प्रारम्भ हुआ। .
अयोध्या रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजधानी थी।पहले यह कौशल जनपद की राजधानी थी।प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था।बाल्मीकि रामायण के 5वें सर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है।भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था।इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा।रामचंद्र से लेकर द्वापरकालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकुओं के उल्लेख मिलते हैं।इस वंश का बृहद्रथ,अभिमन्यु के हाथों '
महाभारत' के युद्ध में मारा गया था।महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था जो लगभग14वीं सदी तक बरकरार रहा।प्राचीन भारतीय ग्रंथों के आधार पर इनकी स्थापना का काल ई.पू. 2200 के आसपास माना है।इस वंश में राजा रामचंद्रजी के पिता दशरथ 63वें शासक हैं।... बृहद्रथ के कई काल बाद यह नगर यह नगर मगध के मौर्यों से लेकर गुप्तों और कन्नौज के शासकों के अधीन रहा।
यहाँ महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की।वो बहराइच में 1033 ई. में मारा गया था।उसके बाद तैमूर के पश्चात जब जौनपुर में शकों का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या शर्कियों के अधीन हो गया। आईन-ए-अकबरी के अनुसार इस नगर की लंबाई 148 कोस तथा चौड़ाई 32 कोस मानी गई है।सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों से पूर्ण धनधान्य से भरा-
पूरा,उत्तरोत्तर उन्नति को प्राप्त कौशल नामक एक बड़ा देश था।इसी देश में मनुष्यों के आदिराजा प्रसिद्ध महाराज मनु की बसाई हुई तथा तीनों लोकों में विख्यात अयोध्या नामक एक नगरी थी।इन्द्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था।आप को बता दें कि अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है।सरयू नदी यहाँ से होकर बहती है।सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं।इनमें गुप्त द्वार घाट,कैकेयी घाट, कौशल्या घाट,पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।राम जन्मभूमि मंदिर,यह स्थान रामदूत हनुमान के आराध्य प्रभु श्रीराम का जन्म स्थान है।राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं।शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था।
यहाँ महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की।वो बहराइच में 1033 ई. में मारा गया था।उसके बाद तैमूर के पश्चात जब जौनपुर में शकों का राज्य स्थापित हुआ तो अयोध्या शर्कियों के अधीन हो गया। आईन-ए-अकबरी के अनुसार इस नगर की लंबाई 148 कोस तथा चौड़ाई 32 कोस मानी गई है।सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों से पूर्ण धनधान्य से भरा-
पूरा,उत्तरोत्तर उन्नति को प्राप्त कौशल नामक एक बड़ा देश था।इसी देश में मनुष्यों के आदिराजा प्रसिद्ध महाराज मनु की बसाई हुई तथा तीनों लोकों में विख्यात अयोध्या नामक एक नगरी थी।इन्द्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था।आप को बता दें कि अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है।सरयू नदी यहाँ से होकर बहती है।सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं।इनमें गुप्त द्वार घाट,कैकेयी घाट, कौशल्या घाट,पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।राम जन्मभूमि मंदिर,यह स्थान रामदूत हनुमान के आराध्य प्रभु श्रीराम का जन्म स्थान है।राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे और इसके पर्याप्त प्रमाण हैं।शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था।
1528 में बाबर के सेनापति मीरबकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर स्थित मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी।फिलहाल भाजपा समर्थको व रामभक्तो को आगामी 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है।जब प्रधान मंत्री मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करेगें।नव र्निमाणाधीन राम मंदिर के उद्घाटन के पूर्व 30 दिसम्बर को स्वयं नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या को देश के विभिन्न हिस्सों से जोड़ने के उदश्यों से दो नई अमृत भारत ट्रेनों व छह नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई तथा पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया।
उन्होनें यहाँ एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर 10 हजार लोगों को संभालने की क्षमता है,लेकिन नवीनीकरण पूरा होने के बाद अब यह क्षमता बढ़कर 60 हजार तक पहुंच जाएगी।प्रधानमंत्री ने वंदे भारत एवं नमो भारत के बाद नई ट्रेन श्रृंखला ‘अमृत भारत’ के बारे में जानकारी दी।प्रधान मंत्री प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज प् पहली अमृत भारत ट्रेन प्रभु श्री जन्म स्थली अयोध्या से होकर जा रही है।उन्होनें यूपी,दिल्ली,बिहार,पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के लोगों को ये ट्रेनें मिलने पर बधाई दी।स्वदेशी र्निमित आधुनिक उपकरणों से सुसज्जितअमृत भारत ट्रेनों में निहित गरीबों की सेवा की भावना की क्रद करते हुए कहा कि “जो लोग अक्सर अपने काम के सिलसिले में लंबी दूरी की यात्रा करते हैं और जिनकी उतनी आय नहीं है,वे भी आधुनिक सुविधाओं वआराम दायक यात्रा के हकदार हैं।इन ट्रेनों को गरीबों के जीवन की गरिमा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।”प्रधान
मंत्री ने विकास को विरासत से जोड़ने में वंदे भारत ट्रेनों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। “देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन काशी से चली थी। आज देश में 34 मार्गों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं। वंदे भारत ट्रेनें काशी,कटरा, उज्जैन पुष्कर,तिरूपति,शिरडी, अमृतसर,मदुरै जैसे आस्था के हर बड़े केंद्र को जोड़ती हैं।इसी कड़ी में,आज अयोध्या को भी वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिली है।”पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन के अयोध्याधाम नाम कर दिया गया है।जिसके पहले चरण 240 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।इस तीन-मंजिला आधुनिक रेलवे स्टेशन में सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।
रेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु 2300 करोड़ रुपये की तीन रेलवे परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया है। रामायण के रचियता संत बालमिकी के नाम अयोध्या में र्निमित हवाई अड्डे का लोकापर्ण कर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की यह सौगात,भाजपा कार्यकताओ की उत्साह व राम भक्तों की "जय श्रीराम "की जयघोष गुजंयामान स्वर व विपक्षी राजनीतिक दलों की भय से भारतीय राजनीति के पंडितओं की चर्चा व चिन्तन का दौर जारी है,
मंत्री ने विकास को विरासत से जोड़ने में वंदे भारत ट्रेनों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। “देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन काशी से चली थी। आज देश में 34 मार्गों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं। वंदे भारत ट्रेनें काशी,कटरा, उज्जैन पुष्कर,तिरूपति,शिरडी, अमृतसर,मदुरै जैसे आस्था के हर बड़े केंद्र को जोड़ती हैं।इसी कड़ी में,आज अयोध्या को भी वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिली है।”पुनर्विकसित अयोध्या रेलवे स्टेशन के अयोध्याधाम नाम कर दिया गया है।जिसके पहले चरण 240 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।इस तीन-मंजिला आधुनिक रेलवे स्टेशन में सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।
रेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु 2300 करोड़ रुपये की तीन रेलवे परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया है। रामायण के रचियता संत बालमिकी के नाम अयोध्या में र्निमित हवाई अड्डे का लोकापर्ण कर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की यह सौगात,भाजपा कार्यकताओ की उत्साह व राम भक्तों की "जय श्रीराम "की जयघोष गुजंयामान स्वर व विपक्षी राजनीतिक दलों की भय से भारतीय राजनीति के पंडितओं की चर्चा व चिन्तन का दौर जारी है,
भाजपा व उसके समर्थक भक्ति की शक्ति जानती है।तभी तो वह आजकल भाजपा व उसके समर्थको की ओर से एक स्वर आने लगा है कि " जय श्री राम - -- -- जय श्री राम के जय धोष से बातावरण राम मय हो गया है। तभी तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व व उसके समर्थक कहने लगे है कि राम जी करेगे भाजपा की नैया पार,उदासी मन तु काहे को डरें।
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