फिर बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर दिखेगा : प्रशांत किशोर
० संत कुमार गोस्वामी ०
पटना: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार में बने महागठबंधन को अवसरवादी कहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने इस सरकार को वोट नहीं दिया था। यह सरकार जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर चल रही है जिसे जनता का विश्वास प्राप्त नहीं है। उन्होंने महागठबंधन की नई सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी यह नई सरकार एक-दो सालों में पांच से दस लाख नौकरियां दे देती है तो मैं इनके समर्थन में अपना जन सुराज अभियान वापस ले लूंगा, क्योंकि बिहार के लोगों के हित में ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे ही होगी।
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में जो नियोजित शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें तो समय पर आज सरकार तनख्वाह भी नहीं दे पा रही है। तो ये सरकार और नई नौकरियां कहां से दे पाएगी। उन्होंने कहा कि जन सुराज अभियान को बिहार में केवल कुछ महीने ही हुए हैं और प्रदेश की राजनीति 180 डिग्री घूम गई है। उन्होंने दावा किया कि अगला विधानसभा चुनाव आते-आते कई बार बिहार की राजनीति घूमेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फेविकॉल की तरह अपनी कुर्सी पर बैठ गए हैं और बाकी पार्टियां कभी इधर तो कभी उधर हो रही है।
पटना: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार में बने महागठबंधन को अवसरवादी कहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने इस सरकार को वोट नहीं दिया था। यह सरकार जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर चल रही है जिसे जनता का विश्वास प्राप्त नहीं है। उन्होंने महागठबंधन की नई सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी यह नई सरकार एक-दो सालों में पांच से दस लाख नौकरियां दे देती है तो मैं इनके समर्थन में अपना जन सुराज अभियान वापस ले लूंगा, क्योंकि बिहार के लोगों के हित में ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे ही होगी।
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में जो नियोजित शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें तो समय पर आज सरकार तनख्वाह भी नहीं दे पा रही है। तो ये सरकार और नई नौकरियां कहां से दे पाएगी। उन्होंने कहा कि जन सुराज अभियान को बिहार में केवल कुछ महीने ही हुए हैं और प्रदेश की राजनीति 180 डिग्री घूम गई है। उन्होंने दावा किया कि अगला विधानसभा चुनाव आते-आते कई बार बिहार की राजनीति घूमेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फेविकॉल की तरह अपनी कुर्सी पर बैठ गए हैं और बाकी पार्टियां कभी इधर तो कभी उधर हो रही है।
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