संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं को नूतन आलोक देगा

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - नूतन संस्कृत शब्दावली निर्माण परियोजना का केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , दिल्ली में विमोचन करते कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने मुख्यातिथि के रुप में कहा-संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं को नूतन आलोक देगा। इस परियोजना का आयोजन केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के साथ वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग , दिल्ली तथा संस्कृत प्रोमोशन फाउण्डेशन, दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में किया जा रहा है ।

 राष्ट्र निर्माण में अपनी अपनी भाषाओं तथा साहित्यों के ज्ञानों को लगाया जाना चाहिए क्योंकि साहित्य अपनी संस्कृति का अंत: साक्ष्य होता है । संस्कृत के नूतन शब्दावली के निर्माण को लेकर कहा कि समय के साथ भाषा के शब्द संसार में परिवर्तन होना स्वाभाविक है । इससे भाषा तथा उसके साहित्य में जीवन्तता बनी रहती है । इसके लिए उन्होंने उदाहरण देते यह भी कहा कि आज से लगभग तीस साल पहले हिन्दी को नेपाल के लोग आसानी से समझ सकते थे।

प्रो वरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत के नये शब्दों की संपदा को बनाने तथा लोकप्रिय करने में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग , भारत सरकार तथा संस्कृत प्रोमोशन फाउण्डेशन की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी । इसके लिए उन्होंने इस आयोग के अध्यक्ष प्रो गिरीश नाथ झा के प्रति भी आभार अभिव्यक्त किया ।
संस्कृत संबर्धन प्रतिष्ठान , दिल्ली के आकादमिक सचिव प्रो चांदकिरण सलूजा ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेप -2020 के अनुसार उच्च शिक्षा में भी मातृभाषा का प्रयोग होना चाहिए जिससे लिए पाठ्य सामग्री भी मातृभाषा में ही यथाशीघ्र उपलब्ध हो क्योंकि भाषा का अर्थ बच्चों को भाषा तथा ज्ञान की दृष्टि से उन्हें सशक्त करना है।

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