आधुनिकता की दौड़ के बीच युवाओं को संस्कृति से जोड़ना ज़रूरी- डॉ मनीषा सिंह

० आशा पटेल ० 
 जयपुर : देश भर में विश्व सांस्कृतिक विविधता दिवस 21 मई को मनाया जाता है, यह दिन पूरे विश्व में अलग-अलग देशों की सांस्कृतिक महत्व को दर्शाने के लिए , उनकी विविधता को जानने के लिए मनाया जाता है. राजस्थान में परम्परागत संस्कृति से युवाओं को जोड़ने के मान द वैल्यू फाउंडेशन की ओर से वैशाली नगर स्थिति महल रजवाड़ा में सांस्कृतिक विविधता दिवस सेलिब्रेट किया गया. फाउंडेशन की फाउंडर मनीषा सिंह ने बताया कि देश भर में सांस्कृतिक विविधता दिवस 21 मई को मनाया जाता है .
 इस दिन को मनाने का उद्देश्य विश्व में अलग-अलग देशों की सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाने और उनकी विविधता को जानना है.संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 2002 में इस विश्व दिवस की घोषणा की थी. इसके बाद ये दिन मनाया जाने लगा, इस दिन सभी देश अपनी अलग भाषा, अलग परिधान और अलग-अलग सांस्कृतिक विशेषताओं को सेलिब्रेट करते हैं और ज्यादा से ज्यादा संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं. 
इसी कड़ी में मान द वैल्यू फाउंडेशन भी पिछले 13 सालों से युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने के लिए प्रयासरत है.हमारी भारतीय संस्कृति भी विविधता की परिचायक है, इतनी अधिक विविधताओं के बावजूद भी भारतीय संस्कृति में एकता की झलक दिखती है.राजस्थान की बात करें तो यहाँ की संस्कृति अपने आप में विविधताओं का समावेश है. यहाँ की भाषा, पहनावा, खानपान, रीति रिवाज, तीज त्योहार देश - दुनिया को अपनी ओर खींचते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में आधुनिकता के इस दौर में युवा पीढ़ी कहीं न कहीं हमारी संस्कृति से दूर होती जा रही.
मनीषा ने बताया कि देश के विकास के लिए आधुनिकता के साथ चलना जरुरी है , लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं से दूर हो जाएँ , राजस्थानी पहनावा , यहाँ की बोली, यहाँ का खान -पान , यहाँ के तीज त्योहार सब अपने आप में अद्भुत है, लेकिन अब बहुत कुछ लुप्त होता जा रहा है, जो की बड़ी चिंता की बात भी है. इसीलिए मान द वैल्यू फाउंडेशन की कोशिश होती है कि छोटे छोटे कार्यक्रमों के ज़रिए युवा पीढ़ी को जोड़ा जाए. कड़ी में आज के सेलिब्रेशन को देखें तो महिलाएँ पूरी तरह से पोशाक में सज- धज कर आईं तथा उन्होंने राजस्थान की आत्मा कहे जाने वाले नृत्य के बारे में जाना तथा घूमर की बारीकियों के बारे में जाना।

आज संस्कृति पर बात की गई । कार्यक्रम में पधारी अभिलाषा पारीक जी जो कि राजस्थानी भाषा की साहित्यकार है और राजस्थानी भाषा के लिए काफ़ी समय से कार्य कर रही हैं उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा में मिठास है सभी को अपनी मायड़ भाषा में बात करनी चाहिए, युवाओं को संस्कृति से जोड़कर पर्यटन में उन्हें रोज़गार के अवसर दिए जाने चाहिए, घूमर नृत्य में पारंगत प्रिया महेचा ने बताया कि घूमर नृत्य और लोकनृत्य में बहुत अंतर है।

चंचल बाईसा ने घूमर नृत्य की बारीकियों के बारे में बताया।कार्यक्रम में पधारी प्रतिभा राठौड़ ,श्रेयांशी चौहान, सुनीता नरुका, सीमा कँवर, संगीता , पूजा राठौर, प्रियंका, देवयानी, ख्वाहिश, कुसुम, रुद्राक्षी शेखावत, प्रिया राठौड़, चंचल राठौड़, रिद्धि - सिद्धी उपस्थित रहें।

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