हिमालय देवतात्मा है तथा संस्कृत भारत की आत्मा -कुलपति प्रो वरखेड़ी

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने हिमालयन चन्द्रखानी पास ट्रेक , कुल्लू,हिमालय के छात्र-छात्राओं का अभिनन्दन करते कहा कि हिमालय देवतात्मा है तथा संस्कृत भारत की आत्मा । उन्होंने कहा कि जिस तरह हिमालय प्राचीन काल से ही भारत की रक्षा करता आया है । उसी प्रकार संस्कृत भी भारतीय संस्कृति की रक्षा करती आयी है । यह गौरवमय ,शौर्य से भरे तथा साहसिक पर्वतारोहन मात्र कुछ छात्र छात्राओं की यात्रा ही नहीं रही , बल्कि यह इसके एक एक प्रतिभागी के परिवार , संबंधी ,मित्र तथा परिजनों की सहभागिता का प्रतीक है । 
हमारा दिव्य तथा भव्य हिमालय नदियों , प्रकृति तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है , उसका संदेश संस्कृत के छात्र छात्राएं को विशेष रुप से अपने अपने परिसरों , महाविद्यालयों , समाजों तथा दोस्तों के बीच पहुंचाया जाना चाहिए ,ताकि पर्यावरण संतुलन की बात तथा उसका महत्त्व जन जन तक पहुंच सके । इस अभियान के प्रमुख ए.एन . विजेन्द्र राव ,मैसूर तथा प्रो मदन मोहन झा ,डीन , छात्र कल्याण तथा इस कार्यक्रम से जुड़े अधिकारी तथा कर्मयोगियों का धन्यवाद किया ।

डीन अकादमी,प्रो बनमाली बिश्बाल ने चन्द्रखानी पास की ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डाला और इसे केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए एक एतिहासिक उपल्ब्धि बताया । प्रो झा ने कहा कि सामान्य कुलपति के मार्गदर्शन से ही यह संभव हो सका और आने वाले समय में कैलाश पर्वत आदि अभियान को लेकर कुलपति जी ने जो उत्साह बढ़ाया है ,उस दिशा में हम मिलजूल आगे बढ़ेंगे । इस अभियान के एक विशेष प्रतिभागी के रुप में सौफ्टवेयर इन्जिनियर , कृष्ण कुमार , मैसूर ने कहा कि किसी भाषा को लेकर आयोजित किया गया यह अभियान अपने आप में ऐतिहासिक तथा अनूठा माना जाना चाहिए । इससे संस्कृत का महत्त्व स्पष्ट होता है ।

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