लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाने में मीडिया की है अहम भूमिका-नसीरुद्दीन हैदर खान

० आशा पटेल ० 
जयपुर| द फ्यूचर सोसाइटी के अभियान "जेंडर सेंसिटिव राजस्थान" के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जेंडर विषयों पर समाज की सोच में व्यापक बदलावों की जरूरत बताते हुए यूनिसेफ के संजय निराला ने कहा कि महिला और पुरुष को लेकर बनायी गयी अवधारणाओँ ने भारत ही नहीं दुनिया भर में कई भ्रम पैदा किये गये हैं। उस परंपरागत सोच को बदलने के लिये जरूरी है कि मीडिया अपनी ख़बरों और लेखन से वास्तविकताओं को सामने रखे।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए जेंडर विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार नसीरुद्दीन हैदर खान ने बताया कि आज के दौर में महिलाएँ बौद्धिक, सामरिक और आर्थिक सभी क्षेत्रों में प्रखरता दिखा रही है। लेकिन ऐसी सभी महिलाओं को अपने घर से लेकर दफ्तर तक लंबा संघर्ष करना पड़ता है। इसलिये नहीं कि वो काबिलीयत में पिछड़ रही है बल्कि इसलिये कि समाज की सोच अभी भी उन्हें तय दायरों से बाहर काम करने में श्रृंखलाबद्ध तरीके से रोकती है।
मसलन लड़की है तो हवाईजहाज चलाने की क्षमता कम होगी या रात में रिपोर्टिंग करनी है तो लड़कों की ही ड्यूटी लगायी जायेगी। आज भी कामकाज़ी महिलाओं से अपेक्षा घर के कामों की उतनी ही होती है जितनी की एक घर में रहने वाले पुरुष से नहीं होती। लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाने के लिये खबरें कवर करते समय और उससे भी ज़्यादा उनके संपादन के वक्त कैसे मीडिया के साथी अपनी शब्दावली का चयन करें. कैसे सवालों में महिलाओं के प्रति पूर्वागृहों को दूर रखे इन सभी पक्षों पर विस्तार से चर्चा में दैनिक भास्कर टीम ने साझेदारी निभायी।
इस कार्यशाला में शामिल सभी पत्रकारों ने संवाद सत्र के दौरान सहमति बनायी की कैसे मीडिया द्वारा लैंगिक मुद्दों पर निजी जीवन से लेकर पेशे में समानता स्थापित करने के सामूहिक प्रयासों की ज़रूरत है।
दैनिक भास्कर के एडिटर मुकेश माथुर ने बताया की पत्रकारों को महिला मुद्दों को ज़्यादा से ज़्यादा उठाने की ज़रूरत है| फील्ड में हो रहे भेद भाव, महिलाओं की समस्याओं को बेहतर समझने, उनकी रिपोर्टिंग से लेकर उन्हें प्रसारित करने में दैनिक भास्कर की भूमिका पर भी माथुर ने विस्तार से रोशनी डाली।

 इस अवसर पर दैनिक भास्कर के तरुण शर्मा ने नसीरुद्दीन हैदर खान को एक पुस्तक भेंट की वहीं समय-समय पर ऐसे आयोजनों को जरूरी बताया। द फ्यूचर सोसाइटी की उपाध्यक्ष रविता शर्मा ने बताया कि गत 6 माह से चल रहे "जेंडर सेंसिटिव राजस्थान" अभियान के तहत प्रदेश के मीडिया को लैंगिक संवेदनशील बनाने का ये एक छोटा सा प्रयास है।

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