डॉ.कृति भारती की मदद से सुगंधा ने बाल विवाह की जीती जंग

० आशा पटेल ० 
जोधपुर। अबूझ सावे के तौर पर बाल विवाह करवाए जाने की कुप्रथा से भी जुडा आखातीज यानी कि अक्षय तृतीया पर्व सुगंधा (बदला हुआ नाम) के लिए जीत की खुशियां लेकर आया। आखातीज के मौके पर सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं डॉ.कृति भारती के संबल से सुगंधा का बाल विवाह बालिग होने पहले ही निरस्त हो गया। जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय ने सुगंधा के महज 10 साल की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाकर आखातीज पर समाज को कड़ा संदेश दिया।।

जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की निवासी कमठा मजदूर की बेटी 17 वर्षीय सुगंधा का महज 10 साल की उम्र में बाल विवाह हो गया था। सुगंधा 7 साल तक बालविवाह का दंश झेलती रही। उसे गौना करवाकर 16 साल की उम्र में ससुराल भी भेज दिया गया था। जहां उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हुआ। इस बीच सुगंधा को जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ.कृति भारती की बाल विवाह निरस्त की मुहिम के बारे में महिला पुलिस थाने से जानकारी मिली। सुगंधा ने डॉ.कृति से मुलाकात कर पीडा बताई। जिसके बाद डॉ.कृति ने करीब पांच माह पहले सुगंधा के बाल विवाह निरस्त का वाद जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 में दायर किया।

डॉ.कृति ने ही सुगंधा की ओर से पैरवी कर बाल विवाह और आयु संबंधी तथ्यों से अवगत करवाया। जिसके बाद पारिवारिक न्यायालय संख्या दो के तत्कालीन न्यायाधीश प्रदीप कुमार मोदी ने सुगंधा के महज 10 साल की उम्र में 7 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायाधीश मोदी ने आखातीज पर समाज को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बाल विवाह से बच्चे का भविष्य खराब होता है। बाल विवाह की रोकथाम पूरे समाज की जिम्मेदारी है।

टिप्पणियाँ

Vimal Thorat ने कहा…
बालविवाह से उत्पीडित युवती को न्याय दिलाने के आपके प्रयासों की सराहना करते हुए आपको बहुत बहुत बधाई डॉ कृति भारती

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