निबंध संग्रह ' आदि - इत्यादि ' का हुआ लोकार्पण

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली - साहित्यकार एवं समालोचक डॉ हरिसिंह पाल के निबंध संग्रह ' आदि इत्यादि ' का लोकार्पण नागरी लिपि परिषद के तत्वावधान में,गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा के सभागार में किया गया। इसका लोकार्पण पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पातंजलि, भाषाविद एवं फिजी के पूर्व हिंदी राजनयिक डॉ विमलेश कांति वर्मा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रदेव यादव, प्राध्यापक डॉ राकेश दुबे, विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अतुल प्रभाकर और गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा की अध्यक्ष कुसुम शाह कर कमलों से किया गया। 

संग्रह की जानकारी देते हुए निबंधकार डॉ पाल ने बताया कि इस 176 पृष्ठीय निबंध संग्रह में कुल 20 निबंधों को समाहित किया गया है। इनमें तीन निबंध नागरी लिपि, पांच हिंदी भाषा, पांच निबंध लोकसाहित्य और संस्कृति, दो योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण,दो महात्मा गांधी और एक एक निबंध अमीर खुसरो, मुस्लिम हिंदी लेखकों, डॉ भीमराव अम्बेडकर एवं दलित साहित्य पर केंद्रित है।

निबंध संग्रह पर नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, डॉ कर्ण सिंह चौहान,डॉ वेदप्रकाश अमिताभ, डॉ राजेन्द्र मिलन,डॉ राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी, डॉ सदानंद शाही, डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण, डॉ प्रेम जनमेजय, डॉ चंद्रधद त्रिपाठी,डॉ किरण हजारिका, डॉ रामनिवास मानव,डॉ शहाबुद्दीन शेख, डॉ ललित बिहारी गोस्वामी, डॉ खेमसिंह डहेरिया, डॉ इंद्र सेंगर , डॉ खान बातिश, डॉ बी पी फिलिप, डॉ जोनाली बरुआ, डॉ वेंकटेश्वर राव,डॉ वरुण कुमार,डॉ महेश दिवाकर, डॉ रामस्नेही लाल यायावर, डॉ इंद्र शेखर तत्पुरुष, डॉ जे पी बघेल, डॉ मोहन बहुगुणा, डॉ दिनेश चमोला,

 डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन, डॉ आरिफ नज़ीर, डॉ शिवशंकर अवस्थी, डॉ विजया भारती जेल्दी, डॉ कृपा शंकर चौबे,डॉ राकेश पाण्डेय, डॉ शशि तिवारी, डॉ मुक्ति शर्मा,डॉ राहुल और प्रवासी साहित्यकारों में अमेरिका की डॉ मीरा सिंह, अन्नदा पाटनी, डॉ अनूप भार्गव,डॉ अशोक व्यास, बेल्जियम के डॉ कपिल कुमार,दुबई की डॉ आरती लोकेश, नार्वे के सुरेश चंद्र शुक्ल, नीदरलैंड के डॉ रामा तक्षक, जापान की डॉ रमा शर्मा, कनाडा की डॉ स्नेह ठाकुर, गोपाल बघेल मधु, आस्ट्रेलिया की अपर्णा वत्स, डॉ भावना कुंअर , नेपाल की पूजा रौनियार और डॉ सुधन पौडेल ने निबंध संग्रह के महत्व को रेखांकित किया है।

समारोह के अध्यक्ष डॉ प्रेमचंद पातंजलि ने इस अवसर पर कहा कि डॉ पाल नागरी लिपि के जितने अच्छे कार्यकर्ता हैं, उससे भी बढ़कर उच्च कोटि के निबंधकार भी हैं। सुप्रसिद्ध ललित निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने लिखा है कि इस कृति के निबंध इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि वे हिंदी भाषा के व्यापक क्षितिज के धरातल को स्पर्श करते हैं। मुझे लगता है कि पहली बार इतने व्यवस्थित रूप में हिंदी और नागरी लिपि के अंतर्संबंधों को स्पष्ट किया गया है।

दुबई की डॉ आरती लोकेश के अनुसार यह निबंध संग्रह भाषा वैज्ञानिक़ों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। समालोचक डॉ वेदप्रकाश अमिताभ ने लिखा है कि इस कृति में एक ओर हिंदी भाषा और नागरी लिपि को लेकर कई पूर्वाग्रहों और भ्रमों का उच्छेदन है, दूसरी ओर लोकसाहित्य, संस्कृति की विशेषताओं एवं चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है। सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं आगरा कालेज की पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ शशि तिवारी के अनुसार मुक्त कंठ से प्रशंसा करने योग्य यह कृति हिंदी भाषा एवं नागरी लिपि के प्रति समर्पित है। 

भाषा, लिपि,लोक साहित्य और संस्कृति, नारी सशक्तिकरण आदि विविध उपयोगी व महत्वपूर्ण विषयों पर लेखक ने अपने बहुमूल्य विचार दिए हैं। समालोचक डॉ इंद्र सेंगर के अनुसार इस निबंध संग्रह के सभी निबंध गवेषणात्मक हैं, जिनमें विचार प्रधान, विश्लेषणात्मक और विवरणात्मक शैलियों को समन्वित रूप में प्रयोग किया गया है। प्रख्यात कवि डॉ राजेन्द्र मिलन के अनुसार इस पुस्तक ने सात दशकों से वांछित दिशाबोधक मार्ग प्रशस्त किया है।

लोकार्पण समारोह में साहित्यकार एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ओमप्रकाश शर्मा प्रकाश, आकाशवाणी के पूर्व सह निदेशक अरूण कुमार पासवान, रक्षा मंत्रालय के पूर्व हिंदी अधिकारी आचार्य ओमप्रकाश, वाराणसी के कवि एवं पूर्व अभियंता मोहन द्विवेदी, दूरदर्शन के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डॉ अजय कुमार ओझा, भारत सरकार के पूर्व हिंदी अधिकारी देवी प्रसाद मिश्र सहित बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और केंद्रीय हिंदी संस्थान के हिंदी पत्रकारिता के अनेक प्राध्यापक और विद्यार्थी भी उपस्थित थे। 

समारोह में स्वागत भाषण आकाशवाणी की राष्ट्रीय प्रसारण एवं मल्टीमीडिया अकादमी के पूर्व सहायक निदेशक अरुण कुमार पासवान ने एवं संचालन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक डॉ राकेश कुमार दुबे ने और धन्यवाद आर्य समाज मयूर विहार के अध्यक्ष आचार्य ओमप्रकाश ने किया।

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