वक़्फ़ संपत्ति सरकार की नहीं,मुसलमानों की दान की हुई निजी संपत्ति होती है
० रईस अहमद ० एडवोकेट,दिल्ली हाई कोर्ट नयी दिल्ली - 1911 में जब अंग्रेज़ी सरकार ने हिंदुस्तान की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली तबदील किया तो रायसिना हिल के चारो तरफ मुसलमानों की काफी सारी ज़मीन का अधिग्रहण किया। अंग्रेज़ी सरकार ने लुटियन को इसके डिज़ायन की ज़िम्मेदारी सौंपी तो ज़मीनों के अधिग्रहण में काफी ज़मीने वक़्फ़ और मुसलमानों की विरासतें भी शामिल थी। ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली 70 प्रतिशत वक़्फ़ की ज़मीन पर बसी है, और आज भी पूरे भारत में 8.5 लाख से भी अधिक वक़्फ़ संपत्तियां मौजूद है। जिनका रकबा 9 लाख एकड़ से भी अधिक है। यह सभी वक़्फ़ संपत्तियां वे संपत्तियां हैं जो मुसलमानों के पूर्वजों द्वारा समाज कल्याण के लिए दान की हुई है। अंग्रेज़ी हुकुमत के लिए लुटियन्स के इमारती डिज़ायन के मुताबिक़ दिल्ली के निर्माण के समय 1913 में वक़्फ़ संपत्तियों की देख रेख के लिए भारत में पहली बार मुसलमान वक़्फ़ वेलिडेशन एक्ट-1913 को लागू किया गया। जिसके बाद 1943-45 के बीच एक समझौते के तहत काफी सारी वक़्फ़ जायदादों को वापस किया गया जिसमें 123 वक़्फ़ संपत्तियां भी शामिल थी। इनमें मस्जिद, मज़ार, खानकाहें
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