हर संगठन के वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या 40 से 50 प्रतिशत होनी चाहिए : अरुंधती भट्टाचार्य

० आशा पटेल ० 
जयपुर। महिलाओं को जब किसी कंपनी के वर्कफोर्स में नियुक्त किया जाता है, उनमें से बहुत कम प्रतिशत ही वरिष्ठ प्रबंधन तक पहुंच पाती हैं। इसका कारण यह है कि महिलाएं अकसर विभिन्न अवस्थाओं में वर्कफोर्स से बाहर हो जाती हैं, जैसे कि प्रैग्नेंसी के दौरान, जब उनके बच्चे कक्षा 10 वीं से 12वीं के बीच होते हैं या जब उन्हें घर पर बुजुर्गों की देखभाल करने की आवश्यकता होती है।
हर संगठन के वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या 40 से 50 प्रतिशत होनी चाहिए। महिलाओं को वर्कफोर्स में बनाए रखने के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि वे अपनी जॉब्स क्यों छोड़ती हैं और वहीं उन्हें फ्लेक्सिबल वर्क शेड्यूल और स्थान प्रदान किया जाना चाहिए। यह बात सेल्सफोर्स इंडिया की चेयरपर्सन और सीईओ अरुंधति भट्टाचार्य ने जयपुर में आईडब्ल्यूएन राजस्थान वुमन लीडरशिप समिट 2024 में “वुमन एज कैटेलिस्ट फॉर बिल्डिंग ए हेल्थी ऑर्गेनाइजेशन” विषय पर संबोधन के दौरान कही। इस समिट का आयोजन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) - इंडियन वुमन नेटवर्क (आईडब्ल्यूएन) - राजस्थान चैप्टर द्वारा किया गया था।
श्रीमती भट्टाचार्य, जो एसबीआई की पहली महिला चेयरपर्सन भी रही हैं ने बताया कि कैसे एसबीआई में महिलाओं के लिए दो वर्ष तक के अवकाश के कॉन्सेप्ट को शुरू करने से 650 से अधिक महिलाओं को अपनी नौकरी में बने रहने में मदद मिली। कौशल विकास के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलने के साथ, लर्निंग, रीलर्निंग और अनलर्निंग सीखने की आवश्यकता है। कौशल विकास एक पहल का विषय है, क्योंकि अब बहुत सारे ऑनलाइन कोर्सेज उपलब्ध हैं।

एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के संस्थापक, एमडी और सीईओ संजय अग्रवाल ने वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह माना कि महिलाएं काम कर रही हैं फिर भी उनके योगदान और अपने काम के लिए उनके द्वारा समर्पित समय को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या कम महत्व दिया जाता है। अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि संगठनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे महिला कर्मचारियों के प्रयासों को पहचानें और उनकी सराहना करें, तथा यह सुनिश्चित करें कि उनकी कड़ी मेहनत को मान्यता मिले और पुरस्कृत किया जाए।

वरिष्ठ निदेशक एवं प्रमुख, सीआईआई-राजस्थान, नितिन गुप्ता ने कहा कि इस समिट का उद्देश्य वुमन लीडर्स को एक ऐसा मंच प्रदान करना था, जहां वे अपने अनुभवों को साझा कर सकें कि कैसे उन्होंने अपनी लीडरशिप जर्नी में चुनौतियों का सामना किया और वे कौन से महत्वपूर्ण क्षण या घटनाएं थीं, जिन्होंने एक व्यक्तित्व व लीडर के रूप में उनमें परिवर्तन लाया। 
अपने स्वागत संबोधन में आईडब्ल्यूएन राजस्थान की चेयरवुमन, तनुजा अग्रवाल ने कहा कि इस सत्र का उद्देश्य संगठनों के विकास में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा करना है। इस अवसर पर आईडब्ल्यूएन राजस्थान की को-वाईस चेयरवुमन, निवेदिता सारदा ने धन्यवाद किया।

समिट के दौरान “चेंज मेकर्स: सेलिब्रेटिंग वुमन लीडर्स अक्रॉस द कंट्री” विषय पर आयोजित हुआ, जिसमें वक्ताओं के रुप में संस्थापक, इनसेप्ट डिज़ाइन्स, नित्या सिंघल; सह-संस्थापक, खानूम, प्रियंवदा गोलछा; उप प्रबंध निदेशक एवं कॉर्पोरेट मामलों की चीफ, मेटियोरिक बायोफार्मास्युटिकल्स प्रा लि, पूनम कौशिक और चेयरवुमन, आईडब्ल्यूएन उत्तरी क्षेत्र एवं निदेशक, निम्स विश्वविद्यालय, डॉ. पल्लवी मिश्रा शामिल रहीं। अपने संबोधन के दौरान नित्या सिंघल ने बताया कि कैसे महिला लीडर्स बाधाओं को दूर करते हुए नए मानक स्थापित कर रही हैं,

 चाहे वह बोर्डरूम हो या सामाजिक स्थितियां। अपने वेंचर, इनसेप्ट डिज़ाइन्स के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "मेरा पैशन भारत को सोने की चिड़िया के रूप में प्रदर्शित करना है जो कि वह वास्तव में है। मैं स्थानीय आर्टीजंस को बिना उन्हें उनके स्थानीय और प्रामाणिक परिवेश से दूर किए, उनकी प्रतिभा को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का काम करती हूं।"

प्रियंवदा गोलछा ने छोटे ब्रैंड्स के लिए सोशल मीडिया की ताकत के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि खानूम में वे मिनिएचर पेंटिंग की कला में ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को लाने का प्रयास कर रही हैं।
पूनम जी कौशिक ने सत्र में बताया कि महिलाओं के लिए हमेशा चुनौतियां दोहरी होती हैं और दोनों जेंडर्स की भागीदारी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, "हम पुरुष वर्सेज महिला के बजाय एक साथ अधिक मजबूत हैं। लेकिन साथ ही, बाधाओं से लड़ते हुए व्यापार और उद्योगों की वास्तविक दुनिया में अपना रास्ता बनाना महत्वपूर्ण है।"

डॉ. पल्लवी मिश्रा ने कहा कि इस सत्र का उद्देश्य वुमन लीडर्स की शक्ति और क्षमता को प्रोत्साहित करना था, जिससे कि वे अपने स्वयं के ऑर्गेनाइजेशन के भीतर परिवर्तन एजेंट के रूप में कार्य कर सकें और भविष्य के लिए बिजनेस को आकार देने में सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा कि आईडब्ल्यूएन एक ऐसा मंच है, जिसमें सभी महिला उद्यमियों को शामिल कर सशक्त करना है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

श्री माहेश्वरी समाज जयपुर ने मनाया शताब्दी समारोह

डीपीएस स्कूल,द्वारका द्वारा नियम/कानूनों को ठेगा दिखाते हुए फिर फीस वसूली के लिए काटे 26 छात्रों के नाम

फिक्की फ्लो जयपुर चैप्टर ने समझा नोसेना के सामरिक महत्व को