यूईएम यूनिवर्सिटी में इंडस्ट्री ओटोमेशन हेतु ड्यूल डिग्री मेजर व माइनर डिग्री की शुरुआत

० आशा पटेल ० 
जयपुर।  दोहरी डिग्री, जैसे कि इंजीनियरिंग में, कंप्यूटर विज्ञान को मेजर और मैकेनिकल को माइनर रूप में मिलाकर या यहाँ तक कि इसके विपरीत एक मैकेनिकल फर्म के ऐसे स्वचालन में उद्योग की मदद करेगा भारत में पहली बार स्नातक स्तर या स्नातक स्तर के छात्र इंजीनियरिंग के दो पाठ्यक्रम समानांतर रूप से कर सकते हैं और वे इंजीनियरिंग की दो अलग-अलग धाराओं में एक प्रमुख डिग्री और एक माइनर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं (जैसे: कंप्यूटर विज्ञान में प्रमुख डिग्री और मैकेनिकल में माइनर डिग्री)

यूनिवर्सिटी वाईस चांसलर प्रो. (डॉ.) बिस्वजॉय चटर्जी ने बताया कि मैकेनिकल फर्मों को उचित इंजीनियर नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि उनकी जो मशीनें हैं या उनकी जो इंडस्ट्रीज हैं, या कहे जो मैकेनिकल फर्म हैं वे अभी ऑटोमेशन की तरफ जा रही हैं, इसलिए पूरी मशीनें मैन्युअल रूप से संचालित नहीं होती हैं, यह स्वचालित रूप से संचालित होती हैं और ये सभी भौतिक उपकरण साइबर फिजिकल उपकरण बन गए हैं मतलब इंटरनेट द्वारा दुनिया के किसी भी कोने से मशीनों को मानव रिमोट के जरिए संचालित कर सकता है।

तो हमें मशीनों को स्वचालित करना होगा साथ ही साथ भौतिक मशीनों को साइबर भौतिक बनाना होगा। अब समस्या ये है कि मैकेनिकल इंजीनियर मशीनों को जानते हैं लेकिन उनको साइबर भौतिक बनाने के लिए साइबर कोडिंग करने के लिए जो ज्ञान है वो ज्ञान उनके पास नहीं होता है, इसके विपरीत अगर वे कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरों को ये काम करवाने के लिए लेंगे तो कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरों को मशीनों का ज्ञान नहीं है और उनको दो साल तीन साल तक प्रशिक्षण देना पड़ता है 

तो वो प्रशिक्षण देते देते इंजीनियर दूसरी कंपनी में चला जाता है, इससे इंडस्ट्रियल लोग बहुत पीड़ित हैं और देश प्रगति नहीं कर पा रहा है। हम साधारण भाषा में कह सकते है, कि मैकेनिकल फर्मों का और इलेक्ट्रिकल फर्मों का जो नॉन आईटी है वो नॉन आईटी बेल्ट जितना प्रगति करना चाहिए उतना बिल्कुल प्रगति नहीं कर पा रहा है। यही प्रॉब्लम है जो कोर्स अभी हमने चालू किए हैं जिसमें कंप्यूटर साइंस मेजर ले सकते हैं और मैकेनिकल साइंस माइनर ले सकते हैं, 

उससे क्या होगा बच्चे कंप्यूटर साइंस भी जानेंगे और जितना जरूरी है मशीन जानने के लिए मशीन को प्रोग्रामिंग करने के लिए उतना मैकेनिकल का नॉलेज उनके पास होगा। इससे क्या होगा वह भी नॉन आईटी इंडस्ट्री में बहुत शानदार तरीके से काम कर सकते हैं। साथ ही डॉ चटर्जी ने बताया कि विद्यार्थी के पास दूसरा ऑप्शन यह है कि अगर उसकी इच्छा हो तो वह माइनर डिग्री वह किसी इंडस्ट्री से कर सकते हैं, मतलब हमारे यहां से वह मेजर माइनर दोनों ही कर सकते हैं लेकिन अगर उनकी इच्छा है कि आपके पास माइनर डिग्री नहीं है 

और या डिग्री वह यूईएम से नहीं करना चाहता तो यूईएम के किसी इंडस्ट्री के साथ मिलकर जिनके साथ यूईएम का एमओयू है वहां से भी कर सकता है, वह ऑप्शन भी विद्यार्थी के पास है। जैसे सेस, आईबीएम या टीसीएस आदि। इन सभी इंडस्ट्रियों के प्रोफेशनल उनको सीधे पढ़ाएंगे तो यह भी एक बड़ा ऑप्शन होगा, उनके पास जिनके पास पहले से ही इंडस्ट्री नॉलेज है और वो इंडस्ट्री में शामिल होने के पहले दिन से ही इंडस्ट्री को डिलीवर कर सकते हैं।

यूईएम जयपुर के रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि यूईएम विद्यार्थियों को रोजगारपरक और कुशल बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। 600 से अधिक उद्योगों के साथ प्रयासों के तहत, पाठ्यक्रम और अकादमिक पाठ्यक्रम को नवीनतम उद्योग आवश्यकताओं के अनुसार अद्यतन और संशोधित किया जाता है। शिक्षकों को नवीनतम उभरती तकनीकों पर प्रशिक्षित किया जाता है और विद्यार्थियों को हार्वर्ड, एमआईटी आदि जैसे दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से सीखने के अवसर दिए जाते हैं।

 हमारे विद्यार्थी विश्व स्तर पर और आईआईटी, एनआईटी आदि में प्रत्येक हैकाथॉन और प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर रहे हैं। विश्वविद्यालय ने पहले ही 350 से अधिक पेटेंट प्रकाशित किए हैं और पिछले एक वर्ष में 280 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। विश्वविद्यालय को टाइम हायर एजुकेशन इम्पैक्ट रैंकिंग, QS I-Gauge, R-World's आउटकम बेस्ड ग्लोबल रैंकिंग, ग्लोबल यूनिवर्सिटी रैंकिंग यू के और कई अन्य वैश्विक रैंकिंग में स्थान मिला है।

यूनिवर्सिटी उपनिदेशक प्रोजेक्ट संदीप कुमार अग्रवाल ने बताया की हम लोग लगातार इनोवेशन करते रहते हैं, हमारा प्लेसमेंट हर साल अच्छा होता है, इस बार भी यूईएम,जयपुर का प्लेसमेंट बहुत अच्छा है। हमारा प्रयास रहता है कि हमारा प्लेसमेंट तब तक जारी रहता है जब तक कि हमारे अंतिम विद्यार्थी को नौकरी का ऑफर नहीं मिल जाए।

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