मारिशस से लौटी महिला रचनाकारों का सम्मान

० आशा पटेल ० 
जयपुर - अजयमेरु प्रेस क्लब की मासिक साहित्यिक गोष्ठी साहित्यधारा में शहर के साहित्यकारों की सहभागिता एवं ग्यारह महिला रचनाकारों के सम्मान के साथ संपन्न हुई। गोष्ठी में जहां शहर के अनेक प्रबुद्ध साहित्यकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की । वहीं विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस के आमंत्रण पर अपनी प्रस्तुति देकर आईं अजमेर लेखिका मंच एवम साहित्य धारा से जुड़ी ग्यारह महिला रचनाकारों का सम्मान किया गया।
 कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना एवं कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार बीना शर्मा ने महिला रचनाकारों को माला पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने सभी का स्वागत करते हुए साहित्य धारा की पृष्ठ भूमि एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में क्लब के महासचिव सत्यनारायण जाला , चंद्र प्रकाश कटारिया , सुशील कुमार बंसल आदि भी उपस्थित रहे।

 सम्मानित होने वाली रचनाकारों डॉ. मधु खंडेलवाल, डॉ.नंदिता रवि चौहान, डाॅ. अंजू अग्रवाल ,सुनीता जैन, पायल गुप्ता, शालिनी अग्रवाल, डाॅ. सुनीता पचौरी, सुनीता मित्तल, पुष्पा क्षेत्रपाल, डाॅ.अनुपमा वर्मा एवं दीपशिखा क्षेत्रपाल ने अपनी मॉरीशस यात्रा के संस्मरण साझा किए एवं अपनी रचनाएं भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ने सरिता गैना अजमेर की महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि अजमेर की महिलाएं जहां भी जाती है वो अपना प्रभाव छोड़ कर ही आती हैं साथ ही उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा चीन के संस्मरण भी सुनाए। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.बीना शर्मा ने कहा कि यद्यपि आज साहित्य कितना ही हाशिए पर चला गया है , पर साहित्य एक बार फिर लौटेगा और अपना वर्चस्व स्थापित करेगा।कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए कवि एवं व्यंग्यकार प्रदीप गुप्ता तथा पत्रकार एवं गज़लकार अमित टंडन ने कई रोचक मुक्तक एवं अशआर प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में ग़ज़लकार तस्दीक अहमद खान ने अपने चिर - परिचित अंदाज़ में तरन्नुम में ग़ज़ल " शक्ले दिलवर बहुत ही प्यारी है " सुनाई । इसके अतिरिक्त वरिष्ठ गज़लकार डॉक्टर बृजेश माथुर ने हर दफा होता नही है आपका सोचा हुआ 

,गज़लकार रजनीश मैसी ने कितनी फरेबी होती है ये तस्वीरें, वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद भारद्वाज ने डुबोकर जिंदगी की कश्तियां तेरी, डॉ.के के शर्मा ने करते नही सम्मान जनक का बच्चे,प्रदीप गुप्ता ने जब वो पिता बना तो पिता बनकर ही रह गया, अमित टंडन ने अपने हिस्से का हक अदा कर लो , प्रतिभा जोशी ने गलियां पापा की, शुभदा भार्गव ने मंहगाई की मार, रंजना शर्मा ने ऐसे थे मेरे पापा, सुनील मित्तल ने जीवन में अनुशासन है 

 कुलदीप खन्ना ने कुछ खफा खफा सी है जिंदगी एवम ओजस्वी अग्रवाल ने मैं वो दिन कभी नहीं भूलूंगी आदि रचनाएं प्रस्तुत कर गोष्ठी में रंग जमाया। कार्यक्रम में नलिनी उपाध्याय, लीला मणि , डी सी देवड़ा, मंजू माथुर, सुरेश श्रीचंदानी ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में अजयमेरु प्रेस क्लब के महासचिव सत्य नारायण जाला ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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