सीएसयू की उपाधियों को डीयू के समकक्ष करने का निर्णय

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने दिल्ली विश्वविद्यालय , दिल्ली के कुलपति प्रो योगेश सिंह तथा इसके विद्वत् परिषद के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते कहा है कि उनके विश्वविद्यालय की समिति जिसने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विविध उपाधियों को दिल्ली विश्वविद्यालय के समकक्ष मानने के लिए अपनी अनुशंसा की थी उसे विद्वत परिषद ने अपनी स्वीकृति दे दी है । 
 वस्तुत: यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक भारत श्रेष्ठ भारत की दृष्टि से भी बहुत ही दूरगामी परिणाम वाला निकलेगा और संस्कृत के छात्र-छात्राओं को सबका साथ सबका विकास की भावना के लिए देश की शैक्षणिक गतिविधियों में काम करने का सुअवसर देगा । 

साथ ही साथ संस्कृत प्रतिभा के समान मूल्यांकन से भाषा की गुणवत्ता में भी वृद्धि भी होगी । संस्कृत पढ़ने वाले परम्परा के छात्र छात्राओं की यह एक चिर प्रतीक्षित मांग थी जो अब जाकर इसका पूरा किया जाना निश्चित रूप से संस्कृत के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी सूचक है । इस निर्णय को लेकर यह भी विचार था कि अंग्रेजों ने फूट डालो और शासन करो की कुनीति के कारण जो भारतीय शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक तथा गुरुकुलीय परम्परा में बांट कर खाई बनाने का प्रयास किया था ,उसको पाटने की दिशा इसे एक बहुत ही बड़ा कदम माना जाना चाहिए और इस निर्णय से एन.ई.पी.2020 जिसमें संस्कृत को केन्द्र में रख कर भारतीय भाषाओं के उन्नयन को लेकर प्रथम बार सुदृढ़ प्रयास किया गया है ,उस आशय की भी पुष्टि इससे होती है।

डीन , छात्र कल्याण, प्रो मदन मोहन झा ने भी हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि इसे संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम माना जाना चाहिए जिससे संस्कृत के साथ संस्कृत पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का हित है ।प्रो पवन कुमार, परीक्षा नियन्त्रक ने कहा कि सीएसयू के छात्र छात्राएं जिस निष्ठा तथा परीश्रम से अपने इस समृद्ध तथा नवाचारी पाठ्यक्रमों को पढ कर उत्तीर्ण होते हैं ,उसको देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने जो यह सार्थक पहल किया है ,वह सर्वथा प्रशंसनीय कदम है ।

कुल सचिव प्रो आर. जी . मुरली कृष्ण ने भी कहा कि यह केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने कुलपति के मार्गदर्शन में अनेक नवाचारी पाठ्यक्रमों तथा अनुसन्धान के क्षेत्रों में बहुत ही महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं । यही कारण है कि नैक द्वारा इसे ए++ ग्रेट दिया गया है जो देश के किसी भी पारम्परिक विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च अंक है । कुल सचिव ने आगे यह भी कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने संस्कृत पढ़ने पढाने की अपनी आधुनिक धारा में पारम्परिक संस्कृत विद्या के महत्त्व को भी स्थान दिया है । यह सर्वथा प्रशंसनीय है । इससे संस्कृत विद्या मुखरित होगी ।

प्रो काशीनाथ न्यौपाने , निदेशक , प्रकाश विभाग,प्रो मधुकेश्वर भट, निदेशक , केन्द्रीय योजना तथा डा पूरन मल गुप्त , पुस्तकालयाध्यक्ष तथा अन्य अधिकारियों और परिसरों के निदेशकों तथा आदर्श महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने भी ने भी प्रसन्नता जताया है । साथ ही साथ छात्र छात्राओं के बीच भी खुशी की लहर देखी जा रही है ।  यह अवसर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , दिल्ली के साथ साथ श्रीलाबशारासं विश्वविद्यालय , दिल्ली और राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के लिए भी यह लागू होगा ।।

 इस निर्णय के पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय उपरोक्त तीनों विश्वविद्यालयों की उपाधियों को अपने विश्वविद्यालय के समकक्ष नहीं मानता था । फलत: इनके अनेक प्रतिभावान संस्कृत अध्येताएं दिल्ली विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई तथा सेवा दे पाने वंचित हो जाते थे । अब इनकी अन्य उपाधियों के अतिरिक्त शिक्षा आचार्य, विद्या वारिधि तथा वाचस्पति की उपाधि क्रमशः एम.एड., पीएचडी तथा डी . लिट . के समक्ष मानी जाएगी ।

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