विनोबा जयंती 11 सितंबर से सौ दिवसीय सत्याग्रह का ऐलान

० आशा पटेल ० 
वाराणसी। वाराणसी जिला एवं रेल प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने एक वर्ष पूर्व गांधी विचार की राष्ट्रीय शीर्ष संस्था सर्व सेवा संघ परिसर पर जबरन कब्जा करके भवनों को ध्वस्त कर दिया था। इस मनमाने, अनैतिक व विधि विरुद्ध अन्याय के खिलाफ़ चले लम्बे आन्दोलन के बाद एक बार फिर गांधीजनों द्वारा विरासत को बचाने की आवाज़ बुलन्द की गई। इसके लिए सर्व सेवा संघ और लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान द्वारा आयोजन किया गया और सर्व सेवा संघ के गेट पर अन्याय के विरुद्ध न्याय के दीप जलाये गए।
पिछले दिनों सर्व सेवा संघ द्वारा 22 जुलाई एवं 05 अगस्त को राष्ट्रपति के नाम लिखे ज्ञापन के जरिए मांग की गई है कि विशेष न्यायिक समिति गठित कर प्रकरण में प्रशासनिक कार्रवाई और शासकीय रवैये की यथाशीघ्र निष्पक्ष जांच की जाए। दोषियों को दण्डित किया जाये। ऐतिहासिक विरासत को वापस लौटाया जाये। नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाये; ताकि विनोवा-जे पी की इस राष्ट्रीय महत्त्व की विरासत (हेरिटेज) का पुननिर्माण व पुनः संचालन यथाशीघ्र सम्भव हो सके।
हाल में ही सर्व सेवा संघ का एक प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली पहुंचकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनसे समर्थन की अपील की। इसी क्रम में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिलकर प्रतिनिधि मंडल ने राजघाट, वाराणसी परिसर को षड्यंत्रपूर्वक हड़पे जाने के प्रकरण की संसदीय समिति द्वारा जांच कराने की मांग की, जिस पर राहुल गांधी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

गौरतलब है कि सर्व सेवा संघ का राजघाट परिसर एवं गांधी विद्या संस्थान स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम व्यक्तिगत सत्याग्रही एवं भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे, भारत छोड़ो आंदोलन के सेनानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बाबू जगजीवन राम जैसी महान शख्सियत की प्रेरणा एवं प्रयास से स्थापित हुआ था। सर्व सेवा संघ का आरोप है कि मोदी सरकार ने गांधी, विनोबा और जेपी के प्रति कृतज्ञता जताने की बजाय परिसर और संस्थान को लेकर षड़यंत्र रचा है। परिसर में रह रहे कार्यकर्ताओं को जबरन बेदखल किया और इसके ऐतिहासिक इमारतों को बिना किसी अदालती आदेश के गैरकानूनी तरीके से गिरा दिया।

इतना ही नहीं, वाराणसी के आला अधिकारियों ने यह झूठ भी फैलाया कि सर्व सेवा संघ ने रेलवे की जमीन पर कब्जा कर रखा था। जबकि सच यह है कि सर्व सेवा संघ ने नॉर्दर्न रेलवे से क्रमश: 1960, 1961 और 1970 में हुए तीन बैनामों के जरिए 12.89 एकड़ जमीन खरीदी थी। राजस्व अभिलेखों (खसरा-खतौनी) आदि में सर्व सेवा संघ का नाम प्रारम्भ से ही निर्बाध अंकित चला आ रहा था।

 इससे पहले दिसंबर 2020 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसी परिसर की जमीन के एक हिस्से को बलपूर्वक कब्जा कर गुजरात की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को वर्कशॉप बनाने के लिए दे दिया था।
शासन-प्रशासन के इस गैर कानूनी व अमानवीय रवैये पर चिंता जताते हुए सर्व सेवा संघ ने जानकारी दी कि इस अन्याय के खिलाफ एक वर्ष पूरा होने पर 22 जुलाई से 12 अगस्त तक प्रदेश/जिला सर्वोदय मंडलों द्वारा पूरे देश में संकल्प सत्याग्रह आयोजित किए गए ।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री अरविंद अंजुम, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज, लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के सदस्य सुशील कुमार एवं लोकसमिति के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने बताया कि विरासत विध्वंस के खिलाफ और इसके पुननिर्माण का आन्दोलन जारी रहेगा। आगामी विनोबा जयंती 11 सितंबर से सर्व सेवा संघ के गेट पर 'एकल (व्यक्तिगत) सत्याग्रह' शुरू किया जाएगा, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और बुद्धिजीवी शामिल होंगे। यह सत्याग्रह लगातार 100 दिनों तक जारी रहेगा। सर्व सेवा संघ परिसर, वाराणसी में आचार्य विनोबा भावे के आगमन (17, 18, 19 एवं 20 दिसंबर 1960) तथा सत्याग्रह के समापन के अवसर पर एक सम्मेलन आयोजित किये जाने का प्रस्ताव है।

अगर यह विरासत सर्व सेवा संघ को वापस नहीं मिली, तो यह आंदोलन नये स्वरूप में जारी रखा जाएगा। आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से सर्व सेवा संघ के अरविंद अंजुम, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ,सत्येंद्र सिंह, विभूति विक्रम लोक समिति के नंदलाल मास्टर ,कांग्रेस के नेता राघवेंद्र चौबे, विद्याधर मास्टर ,जागृति रही ,किसान नेता राजेंद्र चौधरी ,अनूप श्रमिक, गोपाल पांडे, सुरेश सेवार्थ आदि अनेक लोगो ने अन्याय के खिलाफ दीप जलाएं कार्यक्रम में शामिल हुए।

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