आईआईएम संबलपुर ने मास्टर बुनकरों के लिए सेलर-बायर मीट का किया आयोजन

० संवाददाता द्वारा ० 
संबलपुर, ओडिशा : देश के पारंपरिक हथकरघा क्षेत्र को विशेष रूप से ओडिशा में मजबूती देने के लिए, प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक आईआईएम संबलपुर ने हाल में अपने परिसर में एक सेलर—बायर मीटिंग आयोजित की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मास्टर बुनकरों और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित खरीदारों के बीच नेटवर्किंग की सुविधा प्रदान करना था, जिसमें फैबइंडिया, नाइका फैशन, रिलायंस स्वदेश और आदित्य बिड़ला लिवा जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल थे। इस पहल ने मास्टर बुनकरों को बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान की, जिससे उनके वैश्विक व्यापार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और ओडिशा के हथकरघा उद्योग की समृद्ध विरासत को बढ़ावा मिला। इस अवसर पर 'नेचुरलडाइंग' नामक एक पुस्तिका का भी अनावरण किया गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन कई प्रमुख हितधारकों के सहयोग से किया गया, जिनमें भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई); आदित्य बिड़ला ग्रासिम, इंपीरियल कॉलेज, ओआरएमएएस और ओडिशा का मिशन शक्ति डिपार्टमेंट, शामिल थे। इसके अलावा बुनकर उत्पादों की एक प्रदर्शनी—बिक्री भी हुई,  जिसमें हथकरघा के काम की एक विविध श्रृंखला प्रदर्शित की गई, जो स्थायी फैशन में महत्वपूर्ण प्रगति को उजागर करती है। प्रदर्शनी में एक्सेल यार्न सहित प्राकृतिक रंगों से रंगे फाइबर यार्न के उपयोग पर जोर दिया गया, साथ ही जलकुंभी, 

बांस और केले के पौधों से प्राप्त फाइबर यार्न में नवाचारों पर भी जोर दिया गया। इसके अलावा, संस्थान ने मास्टर बुनकरों और कारीगरों के उत्पादों को डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर लाने की सुविधा के लिए फ्लिपकार्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को औपचारिक रूप दिया है, जिससे उनकी बाजार पहुंच बढ़ रही है। कार्यक्रम में क्रेता-विक्रेता, मास्टर बुनकर, संकाय, कर्मचारी, आईआईएम संबलपुर के छात्र सहित 1000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल ने अपने संबोधन में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में हथकरघा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, भारत के हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने पर हमारा ध्यान सस्टेनेबल विजन का हिस्सा है। प्रोजेक्ट: "बुनकरवैली डॉट कॉम"के निर्माण के माध्यम से, हम सिलिकॉन वैली जैसा एक केंद्र बनाना चाहते हैं जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हथकरघा शिल्प को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यह पहल मानव और पर्यावरण दोनों की भलाई को बढ़ावा देती है। 

उत्पाद, मूल्य, स्थान, प्रचार और लोगों जैसे विपणन के पांच पी पर जोर देकर, हमने अपने एमबीए छात्रों जैसे बुनकरों को पारंपरिक हथकरघा उत्पादों को वैश्विक बाजार में ऊपर उठाने के लिए उपकरणों से लैस करने का प्रयास किया। यह पहल केवल एक स्थानीय प्रयास नहीं है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता वाला एक आंदोलन है। मुख्य अतिथि, एमसीएल के निदेशक (कार्मिक) केशव राव ने बाजार पहुंच में सुधार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के महत्व पर जोर दिया। उन्होने इस क्षेत्र को बदलने के लिए इनोवेशन की क्षमता को रेखांकित किया और कहा, "संबलपुर क्षेत्र के हथकरघा उत्पादों की असाधारण गुणवत्ता बुनकरों की प्रतिभा और समर्पण को ही दर्शाती है। 

यही कारण है कि हथकरघा उत्पादों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। प्रो. जायसवाल की अगुवाई में यह पहल हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अनूठा प्रयास है और यह एक नेक काम है। मुझे विश्वास है कि इस दृष्टिकोण के माध्यम से, हम संबलपुर को स्थायी व्यावसायिक प्रथाओं के केंद्र के रूप में उभरते हुए देखेंगे।"सिडबी के सीजीएम और ईस्टर्न ज़ोन इंचार्ज श्री अरूप कुमार ने की-नोट स्पीकर के तौर पर अपने भाषण में हथकरघा क्षेत्र के भीतर छोटे और मध्यम उद्यमों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आईआईएम और आईआईटी के सहयोग से सिडबी द्वारा संचालित क्लस्टर हस्तक्षेप कार्यक्रम पर प्रकाश डाला। 

उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि परिवर्तन सामूहिक दृष्टि और मजबूत कार्रवाई से ही संभव होता है। जब SIDBI जैसे परिवर्तनकर्ता IIM संबलपुर जैसे संस्थानों और अन्य समर्पित भागीदारों के साथ सहयोग करते हैं, तो हम केवल छोटे उद्यमों को आगे बढ़ाने से कहीं अधिक प्रयास करते हैं; हम नवाचार को बढ़ावा देते हैं और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं। यह प्रयास व्यक्तिगत प्रगति से परे है, क्योंकि यह हमारे प्रयासों को हमारे राष्ट्र की व्यापक आकांक्षाओं के साथ जोड़ता है। बेहतर रणनीतियों के जरिये हम व्यवसायों को न केवल जीवित रहने, बल्कि फलने-फूलने के लिए सशक्त बनाते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम जो भी कदम सामूहिक रूप से उठाते हैं, वह राष्ट्रीय विकास और सफलता की बड़ी कहानी में योगदान देता है।"

मुख्य अतिथि, प्रियंका प्रियदर्शिनी, वाइस प्रेसिडेंट, बिजनेस डवलपमेंट , ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आदित्य बिड़ला समूह ने उद्योग और कारीगरों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर, हम ऐसे स्थायी समाधान बनाते हैं जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मांगों को पूरा करते हैं। उन्होंने आगे कहा, ज्ञान, एक कुशल बुनकर के हाथों में एक धागे की तरहहै, जो कुछ सुंदर और स्थायी बनाने की शक्ति रखता है। हमारे तेजी से विकसित हो रहे उद्योग में न केवल नवाचार करना बल्कि ज्ञान और कौशल को आगे बढ़ाना भी आवश्यक है। 

हमारा दृढ़ विश्वास है कि वास्तविक सफलता दूसरों को सशक्त बनाने में निहित है, इसलिए हम भविष्य के लीडर तैयार कर रहे हैं और संबलपुर जैसे क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिए ज्ञान साझा कर रहे हैं। हमारा मिशन न केवल बनाए रखना बल्कि ऊपर उठाना है, यह सुनिश्चित करना है कि हर उत्पाद और हर प्रयास स्थायी प्रभाव और नवाचार की एक बड़ी कहानी में योगदान देता हो। हमने जो विशेषज्ञता हासिल की है, उससे उन्हें सशक्त बनाकर, हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारी विरासत फलती-फूलती रहे, उनके द्वारा बनाए गए हर कला के हर नमूने में प्रगति और परंपरा का ताना-बाना शामिल हो।

समारोह का समापन प्रमाण पत्र वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें हथकरघा क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के योगदान को मान्यता दी गई। प्रो. सुजीत कुमार प्रुसेथ ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जबकि स्वागत भाषण प्रो. सुमिता सिंधी ने दिया। उल्लेखनीय है कि आईआईएम संबलपुर के सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस द्वारा आयोजित 12 दिवसीय सप्ताहांत कार्यक्रम विशेष रूप से ओडिशा में पारंपरिक हथकरघा क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया था। दूसरे समूह में 25 मास्टर बुनकरों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जो पहले समूह के सफल समापन पर आधारित थी, जिसमें 18 प्रतिभागी शामिल थे।

सेलर—बायर मीट सिडबी क्लस्टर इंटर्वशन प्रोग्राम, नेचरल डाई इमर्सन प्रोग्राम , बिड़ला सेल्यूलोज, आदित्य बिड़ला और इंपीरियल कॉलेज के सहयोग से आयोजित की गई थी बीएसएम ने एक्सेल यार्न से बने प्रोडक्ट का एक व्यापक संग्रह प्रदर्शित किया, जो प्राकृतिक और अन्य रंगों के साथ संयुक्त होने पर इस सामग्री की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है, जिसमें इंपीरियल कॉलेज में प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान तैयार किए गए उत्पाद भी शामिल हैं। प्रदर्शनी और सेलर—बायर मीट में क्लस्टर के भीतर विकसित उत्पादों की एक विविध शृंखला प्रस्तुत की गई, 

जो पारंपरिक शिल्प कौशल और नए डिजाइन दोनों को दर्शाती है। प्रदर्शित वस्तुओं में साड़ियां, दुपट्टे, स्टोल, बेडशीट, वॉल हैंगिंग और रूमाल शामिल थे, जो कपास और रेशम दोनों से तैयार किए गए थे। एक्सेल, बांस और केले के धागे के साथ प्राकृतिक रंगों और अन्य रंगों का उपयोग करके विकसित उत्पादों की शृंखला का आकर्षण भी विशेष रहा।

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