भामाशाह राधेश्याम चौधरी के सुपुत्र को मिला भामाशाह सम्मान

० आशा पटेल ० 
जयपुर , भारतीय वाङ्मय में दान का महत्त्व विलक्षण बताया गया है। मनुष्य किसी सद्प्रेरणा से समाज को अपने निमित्त मात्र के द्वारा कृतार्थ करता है, उसे लोकोपकारी कहा गया है। बालिका शिक्षा के संवर्धन हित ऐसी ही लोकोपकारी प्रतिभा का नाम है भामाशाह सेठ राधेश्याम चौधरी जिनका श्री श्री 1008 श्रद्धेय संत नारायण दास महाराज द्वारा जनकल्याण हेतु कायाकल्प हुआ। परम संत श्रद्धेय नारायण दास महाराज की विलक्षण प्रेरणा से उन्होंने अपने पूर्वजों की स्मृति में सामोद गांव तथा आसपास के क्षेत्र की बालिकाओं के लिए शिक्षा का एक नवीन सुविधायुक्त केंद्र स्थापित करवाया।

 लोकार्पण के दौरान तत्कालीन शिक्षामन्त्री गुलाबचन्द कटारिया द्वारा सम्मान समारोह में भामाशाह सेठ राधेश्याम चौधरी को सम्मानीत किया गया। परिवार की यही भामाशाही परंपरा को भामाशाह सेठ राधेश्या चौधरी के सुपुत्रों प्रवीण एंव प्रदीप तथा सुपौत्र प्रशांत चौधरी ने राधेश्याम चौधरी की स्मृति में विद्यालय भवन में लगभग चालीस लाख रुपये की लागत से पांच कक्षा कक्ष का निर्माण करवा कर उनकी परंपरा को और आगे बढ़ाया। समाज में दान के अक्षय महत्त्व को रेखांकित व स्मृति जीवन्तता हित विद्यालय में दान देने वाले 

चौधरी परिवार की ओर से प्रदीप चौधरी को उदयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षाभूषण सम्मान से अंलकृंत किया गया।इस अवसर पर चौधरी परिवार की ओर से नांमाकित विधालय के प्रधानार्चाय डाॅ.दीपेश जोशी को भी प्रेरक सम्मान से सम्मानीत किया गया। इस अवसर पर समाजसेवी राजू मंगोडीवाला की भी गरीमामयी उपस्थति रही।

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