बीएलएस ई-सर्विसेज ने ग्राहकों तक बीमा सेवाएं पहुंचाने के लिए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के साथ की साझेदारी

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली : बीएलएस ई-सर्विसेज ने भारत में ज़रूरी बीमा उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के माध्यम से बीएलएस के विशाल नेटवर्क का उपयोग कर, प्रमुख बीमा उत्पादों जैसे हॉस्पिकैश, वाहन बीमा, निजी दुर्घटना बीमा, और दुकान बीमा तक लोगों की पहुँच बढ़ाई जाएगी। हॉस्पिकैश एक फ्लेक्सिबल इनकम प्रोटेक्शन प्लान है, जो रोज़ कमाने वाले लोगों के लिए है। यदि वे बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होते हैं, तो इस योजना के तहत उन्हें रोज़ाना पैसे मिलते रहेंगे। ग्राहक अपनी ज़रूरत के हिसाब से प्रतिदिन 1000 से 2000 रुपये तक का लाभ चुन सकते हैं, 

जिससे मेडिकल इमरजेंसी के समय उनकी आर्थिक स्थिति सुरक्षित रहेगी। इस साझेदारी से बीएलएस ई-सर्विसेज ने ई-गवर्नेंस सेक्टर में अपनी मजबूत उपस्थिति का फायदा उठाया है, और अब तक 40,000 से अधिक ग्राहकों को बीमा सेवाओं का लाभ पहुंचा चुकी है। इस महत्‍वपूर्ण साझेदारी का लक्ष्‍य बीमा लेने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। साथ ही प्रक्रिया को अधिक कारगर और यूजर के अनुकूल बनाया जाएगा। ग्राहकों को यह फायदे मिलेंगे : बीमा उत्‍पादों की एक व्‍यापक रेंज तक आसान पहुँच • बीएलएस ई-र्विसेज के माध्‍यम से पॉलिसी का आसान प्रबंधन • क्‍लेम की तेज प्रोसेसिंग और ग्राहक को ज्‍यादा सहयोग

इस साझेदारी पर बीएलएस ई-सर्विसेज के चेयरमैन, शिखर अग्रवाल ने कहा, "इस सहयोग से हमने एक बड़ा कदम उठाया है जिससे हम और ज्यादा लोगों तक पहुँच सकते हैं। हम सिर्फ बीमा बेचने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लोगों को ये भी समझा रहे हैं कि बीमा क्यों जरूरी है। हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति और हर व्यवसाय बीमा के महत्व को समझे और खुद को सुरक्षित रखे। हमारा लक्ष्य है कि भारत में बीमा के प्रति सोच बदले और हर कोई आसानी से बीमा खरीद सके।"

एसबीआई जनरल इंश्योरेंस की बिजनेस हेड प्रिया कुमार ने कहा, "बीएलएस ई-सर्विसेज के साथ मिलकर काम करना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे हम ना केवल ज्यादा लोगों तक पहुँच पाएंगे, बल्कि बीमा खरीदने का तरीका भी बदलेंगे। आजकल सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है, तो हम भी बीमा खरीदने को ऑनलाइन और सरल बनाना चाहते हैं। बीएलएस के अभिनव प्लेटफॉर्म की मदद से हम ऐसे बीमा उत्पाद बना रहे हैं जो लोगों की ज़रूरतों के हिसाब से होंगे, जिससे गांवों में रहने वाले लोग भी आसानी से बीमा खरीद सकें।

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