फेंस जयपुर ने मनाया हाइफा बंदरगाह विजय दिवस
जयपुर | राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच जयपुर चैप्टर एवं एस एस जैन सुबोध कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में हाइफा बंदरगाह विजय दिवस मनाया गया | सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती और भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। डॉ एस एस अग्रवाल अध्यक्ष फैंस जयपुर ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए रा. सु. जा. मं. (फैंस) के गठन के उद्देश्य बताये जिसमे सभी स्तरों पर सुरक्षा हेतु जागरूक रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। केवल बाह्य सुरक्षा से ही सतर्क नहीं,
यह लड़ाई उस समय के अत्याधुनिक हथियार जिनमे मशीनगन, बारूदी गोले आदि हथियार थे जबकि इस भारतीय ब्रिगेड ने घुड़सवारों जिनके पास तलवार और भाले थे ने विजय प्राप्त की।इस युद्ध का विवरण इजराइल के स्कूल कालेजों के पाठ्यक्रम में शामिल है। इस युद्ध को मानव इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक के रूप में याद किया जाता है। यह भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अतीत है। फैंस के राष्ट्रीय महासचिव सरदार जसबीर ने बताया कि दिल्ली में त्रिमूर्ति सर्किल का नाम 2018 में इस युद्ध के सौ वर्ष का समारोह मनाए जाने के समय हाइफा चौक रक्खा गया। प्रतिवर्ष इस जगह हाइफा विजय दिवस 23 सितंबर को आयोजित किया जाता है।
आतंरिक सुरक्षा जैसे – आतंकवाद , फेक करेंसी, साइबर फ्रॉड, सीरियल बम ब्लास्ट, देश विरोधी आन्दोलन, नशा, घातक बिमारियाँ आदि के प्रति प्रत्येक नागरिक में जागरूकता होनी चाहिए और हमेशा देश प्रथम का भाव मन- दिमाग में रहे के बारे में बताया तथा पिछले दिनों फैंस द्वारा किए गए विभिन्न कार्यक्रमों राष्ट्रहित सर्वोपरी , सीमा सुरक्षा : चुनौतियाँ एवं समाधान , राष्ट्रीय सुरक्षा हमारा दायित्व , आत्मनिर्भर भारत समर्थ भारत विषय पर गोष्ठी सेमिनार आयोजित की गयी।
मुख्य वक्ता मेजर जनरल रिटायर्ड अनुज कुमार माथुर ने हाइफा बंदरगाह पर भारतीय सैन्य बल द्वारा की गई विजय के बारे में बताया कि किस प्रकार यह युद्ध लड़ा गया। ब्रिटिश भारतीय सेना और ओटोमन सेनाओं के बीच लड़े गए इस युद्ध में 15वीं केवलरी ब्रिगेड में तीन घुड़सवार रेजिमेंट शामिल थीं जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद इस ब्रिगेड को 23 सितंबर 1918 को ओटोमन को हराकर हाइफा पर कब्जा करने भेजा गया था। माउंट कार्मेल की ढलान से आश्चर्यजनक हमला करते हुए ये ब्रिगेड हाइफा बंदरगाह पर कब्जा करने में सफल हुए।
यह लड़ाई उस समय के अत्याधुनिक हथियार जिनमे मशीनगन, बारूदी गोले आदि हथियार थे जबकि इस भारतीय ब्रिगेड ने घुड़सवारों जिनके पास तलवार और भाले थे ने विजय प्राप्त की।इस युद्ध का विवरण इजराइल के स्कूल कालेजों के पाठ्यक्रम में शामिल है। इस युद्ध को मानव इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक के रूप में याद किया जाता है। यह भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अतीत है। फैंस के राष्ट्रीय महासचिव सरदार जसबीर ने बताया कि दिल्ली में त्रिमूर्ति सर्किल का नाम 2018 में इस युद्ध के सौ वर्ष का समारोह मनाए जाने के समय हाइफा चौक रक्खा गया। प्रतिवर्ष इस जगह हाइफा विजय दिवस 23 सितंबर को आयोजित किया जाता है।
के बी शर्मा प्राचार्य एस एस जैन सुबोध महाविद्यालय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में इस युद्ध के अनेक नायकों का भी स्मरण किया तथा यह संकल्प भी बताया कि उनके महाविद्यालय के पाठ्यक्रम के साथ इस युद्ध की शौर्य गाथा भी अध्ययन में सम्मिलित की जाएगी। फैंस के जयपुर चैप्टर के महासचिव पुष्कर उपाध्याय ने समाज में घर परिवार में सभी जगह सुरक्षा हेतु जागरूक रहकर समरसता का व्यवहार रखने के आग्रह के साथ सभी का आभार व्यक्त किया।
टिप्पणियाँ